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क्या आप भी शुरू करने वाले हैं Intra-Day Trading, जानें क्या है इसके फायदे-नुकसान

Intra-Day Trading शेयर बाजार में निवेश करना भले ही फायदे का सौदा है पर यह काफी रिस्क भरा भी होता है। दरअसल शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव यह बताता है कि निवेशकों को रिटर्न मिलेगा या फिर नुकसान। ऐसे में कई बार निवेशक लॉन्ग टर्म निवेश (Long Term Investment) करना पसंद नहीं करते वह इंट्रा-डे इन्वेस्टमेंट करते हैं। चलिए जानते हैं कि इंट्रा-डे ट्रेडिंग के क्या फायदे और नुकसान हैं। 

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Mon, 05 Feb 2024 03:19 PM (IST)
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क्या आप भी शुरू करने वाले हैं Intra-Day Trading

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश बेशक काफी जोखिम भरा होता है, लेकिन इसमें रिटर्न भी काफी मिलता है। वैसे एक्सपर्ट शेयर बाजार में लॉन्ग-टर्म निवेश की सलाह देते हैं पर कई निवेशक इंट्रा-डे ट्रेडिंग करते हैं। चलिए, आज हम आपको बताएंगे की इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra-Day Trading) के क्या फायदे या नुकसान होते हैं।

इंट्रा-डे ट्रेडिंग क्या है

इंट्रा-डे ट्रेडिंग का मतलब होता है जब एक दिन के लिए किसी शेयर में निवेश करें। इसे ऐसे समझे कि कोई निवेशक सुबह के कारोबार में कोई शेयर खरीदता है और बाजार बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं। इसमें निवेशक बाजार में उतार-चढ़ाव का फायदा उठा सकते हैं।

बता दें कि निवेशक को निवेश से पहले ही बाजार की जानकारी होनी चाहिए। हालांकि, ट्राडे ट्रेंडिंग और स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट (Stock Market Investment) में काफी अंतर होता है।  

दरअसल, स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट में लंबे समय तक निवेश किया जा सकता है। वहीं, इंट्रा-डे ट्रेडिंग में केवल 1 दिन के लिए निवेश किया जा सकता है।

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इंट्रा-डे ट्रेडिंग के फायदे

इसमें तुरंत लाभ होने की संभावना है। इसमें एक कारोबारी दिन में ट्रेडिंग हो जाती है और अगले दिन नया ट्रेडिंग सेशन शुरू होता है। ऐसे में निवेशक के पास कई अवसर होते हैं। वह इंट्रा-डे ट्रेडिंग से लिक्विटी और फ्लेक्सिबिलिटी में बढ़त कर सकते हैं।

इसके अलावा इंट्राडे ट्रेडर्स लीवरेज और मार्जिन ट्रेडिंग से भी फायदा उठा सकते हैं।

इंट्रा-डे ट्रेडिंग के नुकसान

इंट्रा-डे ट्रेडिंग में कई जोखिम होते हैं। एक आंकड़ों के अनुसार करीब 90 से 95 फीसदी निवेशकों को इंट्रा-डे ट्रेडिंग से नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसकी प्रमुख वजह होती है निवेशकों के पास मार्केट की समझ ना होना।

कई निवेशक 'कट लॉस' और 'बुक-प्रॉफिट' को समझ नहीं पाते हैं। इसके अलावा इंट्रा-डे ट्रेडिंग में पूरे दिन बाजार पर नजर रखने की जरूरत होती है।

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