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जुलाई-सितंबर तिमाही भारतीय कंपनियों के लिए शानदार, कंपनियां क्यों लाती हैं IPO, पैसे लगाने से पहले किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

शेयर मार्केट में इस वक्त आईपीओ की बहार आई है। बहुत-सी कंपनियां अपना आईपीओ ला चुकी हैं और कई लाने की तैयारी में हैं। निवेशक भी आईपीओ को काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं क्योंकि उन्हें ज्यादातर में अच्छा-खासा लिस्टिंग गेन मिल रहा है। हालांकि आईपीओ में पैसे लगाने से पहले यह समझना जरूरी है कि आईपीओ क्या होता है इसे कंपनियां क्यों लाती हैं।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 08 Oct 2024 02:47 PM (IST)
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आईपीओ में निवेश करने से आपको कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हो जाते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों ने जुलाई-सितंबर की अवधि में 19 बिलियन डॉलर के 551 सौदे किए, जो संख्या के आधार पर दो वर्षों में सबसे अधिक है। ग्रांट थॉर्नटन भारत डीलट्रैकर के अनुसार, तीन महीने की अवधि (Q3 2024) में 4.1 बिलियन डॉलर मूल्य के 25 आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) भी आए। इस अवधि में 214 विलय एवं अधिग्रहण सौदे हुए। इनका मूल्य 11.4 अरब डॉलर था।

शेयर मार्केट में निवेश करने के कई तरीके हैं। इनमें से आईपीओ यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग। कई बार आईपीओ काफी कम समय में काफी अच्छा रिटर्न देते हैं। जैसे कि बजाज हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ ने निवेशकों को 114 फीसदी का लिस्टिंग गेन दिया। हालांकि, आईपीओ में निवेश करने और उससे अच्छा रिटर्न पाने के लिए आपको कुछ बातों को समझना होगा। मसलन, आईपीओ क्या होता है, इसे कंपनियां क्यों लाती हैं और इसमें निवेश करने से क्या होता है।

IPO क्या होता है और कंपनी इसे क्यों लाती है?

जब भी कोई कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट होना चाहती है, तो वह अपना आईपीओ (What is IPO) लाती है। इसकी कुछ वजहें होती हैं। कई बार कंपनी को अपना कर्ज घटाने, कामकाज जारी रखने या फिर कारोबार का विस्तार करने के लिए पूंजी की जरूरत होती है। चूंकि, कोई भी कंपनी बैंकों से तय मात्रा में ही कर्ज ले सकती है, तो वह आईपीओ लाकर जनता से पैसे जुटाती है। इसमें कंपनी अपने शेयर बेचती है और उससे मिलने वाले पैसों को कारोबार बढ़ाने पर खर्च करती है।

आईपीओ में निवेश करने से क्या फायदा होता है?

आईपीओ में निवेश करने से आपको कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हो जाते हैं। आईपीओ के लिस्ट होने के बाद आपको अच्छा लिस्टिंग गेन (IPO Investment Benefits) मिल सकता है, जैसा कि बजाज हाउसिंग फाइनेंस और कई अन्य आईपीओ के मामले में हुआ है। अगर लिस्टिंग के बाद भी शेयर बढ़ता है, तो भी आपको मुनाफा (IPO Profits) हो सकता है। आप लिस्टिंग के बाद भी शेयर को खरीद-बेच सकते हैं। साथ ही, अगर कंपनी मुनाफे के स्थिति में डिविडेंड बांटती है, तो आपको उसका भी लाभ मिलेगा।

क्या आईपीओ में निवेश करने में जोखिम भी हैं?

इसका सीधा और सरल जवाब है, हां। आप अक्सर सुनते होंगे कि शेयर मार्केट में निवेश जोखिमों के अधीन है और आईपीओ भी इसका अपवाद नहीं। बजाज हाउसिंग फाइनेंस से निवेशकों को तगड़ा मुनाफा हुआ। लेकिन, फिनटेक कंपनी पेटीएम जैसे आईपीओ भी हैं, जिसके आईपीओ में पैसा लगाने वाले निवेशकों को भारी नुकसान (IPO Investment Risk) हुआ। पेटीएम ने अपने आईपीओ का प्राइस बैंड 2,080 से 2,150 रुपये प्रति शेयर रखा था। लेकिन, यह लिस्टिंग के दिन ही घटकर 1,586.25 रुपये पर आ गया।

IPO में आप किस तरह से निवेश कर सकते हैं?

आईपीओ में निवेश करने के लिए डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। आप अपनी पसंद के हिसाब से किसी भी ब्रोकरेज में ऑनलाइन अकाउंट खोल सकते हैं। इसके लिए आधार और पैन कार्ड जैसे कुछ डॉक्युमेंट लगते हैं। साथ ही, बैंक डिटेल भी जरूरी होती है। फिर भी आप किसी भी आने वाले आईपीओ में निवेश कर सकते हैं। आप जैसे ही आईपीओ के लिए अप्लाई करेंगे कि आपके अकाउंट में उतनी रकम फ्रीज हो जाएगी। इसका मतलब कि आपके अकाउंट से पैसे तभी कटेंगे, जब आपको शेयर अलॉट जाएगा। नहीं तो आपके पैसे एक दिन वापस मिल जाएंगे।

आईपीओ में प्राइस बैंड और लॉट साइज क्या होता है?

प्राइस बैंड और लॉट साइज आईपीओ के सबसे अहम हिस्से होते हैं। कोई भी आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 3-5 दिन तक खुला रहता है। कंपनी एक प्राइस बैंड तय करती है और आप उसी के हिसाब से निवेश कर सकते हैं। हालांकि, इसमें आप सेकेंडरी मार्केट की तरह 1 या 2 शेयर नहीं खरीद सकते। आपको पूरा लॉट खरीदना होता है। जैसे कि बजाज हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ का प्राइस बैंड 66 से 70 रुपये था। आईपीओ का लॉट साइज 214 शेयरों का था। इसका मतलब कि निवेशक को कम से कम 214 शेयर खरीदने होंगे।

आईपीओ में निवेश के दौरान सतर्कता भी जरूरी

IPO में शेयरों की बिक्री दो तरह से होती है। एक तो कंपनी फ्रेश इक्विटी जारी करती है। इस तरह के आईपीओ को अच्छा समझा जाता है, क्योंकि इसमें मिलने वाली पूंजी कंपनी का कारोबार बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है। वहीं, कुछ आईपीओ में मौजूदा शेयरहोल्डर्स अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलते हैं, जिसे ऑफर फॉर सेल (OFS) कहते हैं। अगर कोई आईपीओ सिर्फ ऑफर फॉर सेल वाला है, तो उससे विशेष सजग रहने की जरूरत होती है, क्योंकि उसमें कंपनी कोई पैसा नहीं मिलता।

आईपीओ की कम या अधिक डिमांड पर क्या होता है?

अगर कोई कंपनी IPO लाती है और उसे निवेशकों की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो वह अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि, कंपनी के कितने फीसदी शेयर की बिकने चाहिए, इसे बारे में कोई खास नियम नहीं है। वहीं, अगर आईपीओ की अधिक डिमांड रहती है, तो सेबी के तय फॉर्मूले के मुताबिक शेयरों का अलॉटमेंट होता है। इसमें कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए तय किया जाता है कि किस निवेशक को शेयर मिलेगा और किसे नहीं। जैसे कि किसी निवेशक ने 5 लॉट के लिए अप्लाई किया है, तो उसे 1 या 2 लॉट भी मिल सकते है। हो सकता है कि किसी निवेशक को एक भी लॉट न मिले।

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