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Monetary Policy: क्या होती है मॉनेटरी पॉलिसी? महंगाई को कम करने में कैसे किया जाता है इसका इस्तेमाल

What is Monetary Policy मॉनेटरी पॉलिसी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का एक काफी अहम टूल होता है। इसकी मदद से बेरोजगारी महंगारी मुद्रा की विनमय दर आदि को आसानी से नियंत्रित किया जाता है। मॉनेटरी पॉलिसी में किसी देश की फाइनेंशियल सिस्टम को चलाने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन और ब्याज दरों का उपयोग किया जाता है। (जागरण फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Mon, 03 Jul 2023 10:30 AM (IST)
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What is Monetary Policy: जानिए कैसे काम करती है मॉनेटरी पॉलिसी
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत में हर दो महीने बाद आरबीआई की ओर से नई मॉनेटरी पॉलिसी लागू की जाती है। मॉनेटरी पॉलिसी में ब्याज दरों में बदलाव से लेकर कई अहम ऐलान किए जाते हैं। जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। मॉनेटरी पॉलिसी के जरिए कोई भी केंद्रीय बैंक अपने देश के फाइनेंशियल सिस्टम को कंट्रोल करता है।

क्या होती है मॉनेटरी पॉलिसी?

मॉनेटरी पॉलिसी किसी भी देश के केंद्रीय बैंक के लिए एक काफी अहम टूल होता है। इसके जरिए उस देश के फाइनेंशियल सिस्टम में मनी फ्लो को कंट्रोल किया जाता है। जब भी देश में महंगाई बढ़ जाती है तो केंद्रीय बैंक उस समय ब्याज दर को बढ़ाकर महंगाई को कम करने की कोशिश करती है। वहीं, जब भी देश की अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो वह केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए ब्याज दरों को घटाता है।

मॉनेटरी पॉलिसी का उद्देश्य

महंगाई को कम करना

मॉनेटरी पॉलिसी का उपयोग महंगाई को एक सीमित दायरे में रखना होता है। इसके लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दर में बदलाव करता है, जिससे मनी फ्लो नियंत्रित रहता है।

बेरोजगारी

मॉनेटरी पॉलिसी का उपयोग देश में बेरोजगारी दर को कम रखना भी होता है। जब भी किसी देश में बेरोजगारी बढ़ती है तो मनी फ्लो को बढ़ाया जाता है। इससे कारोबारियों को सस्ती दरों पर लोन मिलता है और वे रोजगार पैदा करते हैं।

एक्सचेंज रेट्स

किसी भी देश की मुद्रा की विनिमय दर का सीधा जुड़ाव उस देश की मॉनेटरी पॉलिसी से होता है। जब भी मनी फ्लो को बढ़ा दिया जाता है तो उस देश की मुद्रा की विनिमय दर कम हो जाती है और जब मनी फ्लो को कम कर दिया जाता है तो उस देश की मुद्रा की विनिमय दर बढ़ जाती है।

मॉनेटरी पॉलिसी को दो प्रकार से नियंत्रित किए जाते हैं, जिसमें ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) है। इसमें केंद्रीय बैंक बॉन्ड्स को निवेशकों से खरीदता और बेचता है और वहीं दूसरा ब्याज दर होती है।