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Moonlighting: आखिर क्या है मूनलाइटिंग? जिसका तेजी से बढ़ा ट्रेंड; टेक कंपनियों की डाटा प्राइवेसी पर भी संकट

Moonlighting मूनलाइटिंग उस परिस्थिति को कहते हैं जब कोई कर्मचारी अपनी फुल टाइम परमानेंट नौकरी के साथ ही किसी दूसरी कंपनी में भी काम करने लगता है। इस स्थिति को तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है। मूनलाइटिंग आईटी कंपनियां के लिए चिंता का विषय है।

By JagranEdited By: Amit SinghUpdated: Thu, 22 Sep 2022 07:36 AM (IST)
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टेक कंपनियों की डाटा प्राइवेसी पर भी संकट
नई दिल्ली, एजेंसियां: विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौर में नौकरीपेशा लोगों के बीच एक नया ट्रेंड तेजी से फैला। इस ट्रेंड के तेजी से फैलने के पीछे कई कारगर कारण थे, लेकिन उन्हें जानने से पहले यह जान ले कि आखिर यह ट्रेंड था क्या? और अब क्यों इस ट्रेंड को लेकर मूनलाइटिंग (moonlighting) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस आर्टिकल हम जानेंगे कि क्या है मूनलाइटिंग।

कोविड-19 संक्रमण ने जब पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया, तब उसे नियंत्रित करने का एक मात्र उपाय था लॉकडाउन। ऐसे में आप अपने घरों में ही रहने के लिए बाध्य थे, तब बड़े स्तर में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) का ट्रेंड शुरु हुआ। कंपनियों ने लोगों को घरों में रहते हुए ही काम करने की छूट दी। काम करने के इस तरीके को रिमोट वर्किंग भी कहा जाता है। लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें मिली इस सहुलियत का गलत फायदा भी उठाया, जिसे मूनलाइटिंग कहा जा रहा है।

क्या है मूनलाइटिंग

मूनलाइटिंग उस परिस्थिति को कहते हैं, जब कोई कर्मचारी अपनी फुल टाइम परमानेंट नौकरी के साथ ही किसी दूसरी कंपनी में भी काम करने लगता है। इस स्थिति को तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है। मूनलाइटिंग आईटी कंपनियां के लिए चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि उनकी कंपनी का कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ-साथ, उनकी प्रतिद्वंदी कंपनी में काम करेगा। तो यह उसकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करेंगे, साथ ही दोनों कंपनियों के डाटा प्राइवेसी के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है।

विप्रो ने 300 कर्मचारियों के खिलाफ की कार्रवाई

बीते बुधवार ही टेक दिग्गज कंपनी विप्रो ने मूनलाइटिंग के दायरे में आए करीब 300 कर्मचारियों को निकाले जाने की जानकारी दी है। कंपनी के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने ट्वीट कर कर्मचारियों को निकालने जाने के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि वो मूनलाइटिंग को लेकर अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं और यह कंपनी के प्रति निष्ठा का पूर्ण उल्लंघन है। अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआइएमए) के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रेमजी ने कहा था कि वास्तविकता यही है कि आज ऐसे लोग हैं, जो विप्रो के साथ-साथ प्रतिद्वंदी कंपनियों के लिए भी काम कर रहे हैं। हमने पिछले कुछ महीनों में ऐसे 300 कर्मचारियों का पता लगाया है। जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।

(समाचार एजेंसी पीटीआइ से इनपुट्स के साथ)