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ब्याज दरों में कटौती और F&O ट्रेडिंग पर क्या है RBI का रुख, गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया

रिजर्व बैंक ने पिछले साल फरवरी से नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। कई लोग आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उनका EMI का बोझ कम हो सके। अब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ किया है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती के बारे में क्या सोच रहा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 18 Jun 2024 09:00 PM (IST)
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खाद्य महंगाई की ऊंची दर से चिंतित है रिजर्व बैंक।
पीटीआई, मुंबई। मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव करना जल्दबाजी भरा कदम होगा और केंद्रीय बैंक को नीतिगत दरों के मोर्चे पर किसी भी तरह के साहसिक कदम से बचना होगा। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि हम सेबी के साथ मिलकर फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) सेगमेंट में उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम पर नजर रख रहे हैं, लेकिन इस पर कोई भी कार्रवाई मार्केट रेगुलेटर यानी सेबी ही करेगा।

चालू खाता घाटा में कमी की उम्मीद

आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि इस बात की संभावना है कि मार्च तिमाही का चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों के 1.2 प्रतिशत के आंकड़े से नीचे आ जाएगा। इसका आधिकारिक एलान अगले सप्ताह किया जाएगा। पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में चालू खाता घाटा (कैड) 1.2 प्रतिशत पर आ गया है, जो एक साल पहले इसी अवधि में जीडीपी के 2.6 प्रतिशत से बहुत कम है। ऐसा कम व्यापारिक घाटे के चलते हुआ है।

सोने की खरीद जारी रहेगी

वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में देश के शामिल होने के बाद निवेश में वृद्धि की चर्चाओं के बीच गवर्नर दास ने कहा कि आरबीआई भविष्य में अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाना जारी रखेगा। मुद्रा भंडार के रणनीतिक हिस्से के तौर पर सोने का भंडार बढ़ाना भी जारी रखेगा।

दास ने कहा कि आरबीआई को वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत के अपने अनुमान के अनुसार अर्थव्यवस्था बढ़ने का भरोसा है। हालांकि यह एक रूढ़िवादी अनुमान है और इसका विश्लेषण जून तिमाही में अनुमान से अधिक वृद्धि की ओर इशारा कर रहा है।

महंगाई पर सजग है आरबीआई

मुद्रास्फीति के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भले ही मुख्य महंगाई दर में कमी आई हो, लेकिन खाद्य महंगाई अभी भी ऊंची बनी हुई है और मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितताएं भी हैं। हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को यथावत रखने का फैसला लिया गया था। हालांकि समिति में इस मुद्दे पर असहमति जताने वाले सदस्यों की संख्या घटकर अब दो हो गई है।

पहले की गई अपनी टिप्पणियों को दोहराते हुए दास ने कहा कि मुद्रास्फीति का अंतिम पड़ाव सबसे कठिन है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी आ रही है, लेकिन काफी धीमी गति से। उन्होंने कहा कि आरबीआई को भरोसा है कि मुद्रास्फीति में गिरावट की यात्रा धीमी गति से ही सही जारी रहेगी।

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