Explainer: क्या होती है पत्नी की 'निजी संपत्ति', जिस पर पति का भी नहीं होता हक
शादी के पत्नी को सुसराल पक्ष और मायके से साड़ी गहने समेत कई कीमती उपहार मिलते हैं। इन्हें स्त्रीधन कहते हैं और इस पर सिर्फ पत्नी का ही अधिकार होता है। इसे ससुराल पक्ष का कोई भी व्यक्ति भी जबरदस्ती नहीं ले सकता। आइए जानते हैं कि स्रीधन के मामले में महिलाओं के पास क्या अधिकार होते हैं और यह दहेज से कितना अलग है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शादी को काफी नाजुक बंधन माना जाता है। यह ऐसा रिश्ता है, जो दो लोगों की आपसी समझ से चलता है। अक्सर छोटी-मोटी को नजरअंदाज करना पड़ता है या फिर परिस्थितियों से थोड़ा-बहुत समझौता करना पड़ता है। लेकिन, कई बार मामला इतना बिगड़ जाता है कि अलगाव की नौबत आ जाती है।
ऐसे में जब महिला अपने जेवरात और शादी के बाद मिले दूसरे उपहार वापस मांगती है, तो कई बार ससुराल वाले मुकर जाते हैं। उन्हें लगता है कि ये उपहार तो उनके रिश्तेदारों से मिले हैं, तो उन पर बहू का हक कैसे हो सकता है। लेकिन, ऐसा है नहीं। और इस बात को सुप्रीम कोर्ट भी स्पष्ट कर चुका है कि शादी के महिला को मिले उपहार उसकी 'निजी संपत्ति' है और उस पर किसी और का हक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
हालिया मामला केरल का है। पत्नी का आरोप था कि उसके पति ने शादी की पहली रात ही उसके सारे गहने यानी स्त्रीधन को लेकर सुरक्षित रखने के नाम पर अपनी मां को दे दिए। फिर मां-बेटे ने मिलकर उसके सारे गहने का इस्तेमाल अपना कर्ज चुकाने के लिए किया। अदालत ने महिला को आरोप सही पाया और पति को स्त्रीधन लौटाने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा कि पति मुश्किल के समय पत्नी के स्रीधन का इस्तेमाल तो कर सकता है। लेकिन, यह उधार की सूरत में रहता है, जिसे पत्नी को लौटाना पति का दायित्व होता है। स्त्रीधन पर पति-पत्नी का संयुक्त अधिकार नहीं होता, बल्कि यह संपत्ति सिर्फ और सिर्फ पत्नी की होती है।
क्या होता है स्त्रीधन?
कानून की नजर में वे सभी चीजें स्त्रीधन हैं, जो पत्नी को शादी से पहले या शादी के उपहार के तौर पर मिलती हैं। जैसे कि साड़ी, गहने और किसी भी अन्य तरह का उपहार। इसमें प्रॉपर्टी तक भी शामिल है। इस बात का कोई मतलब नहीं कि ये चीजें बहू को मायके से मिली हैं या फिर ससुराल की तरफ से।