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दुग्ध उत्पादों से A1 और A2 लेबलिंग हटाएंगी डेयरी कंपनियां, आखिर दोनों में क्या है अंतर?

फूड रेगुलेटर FSSAI ने डेयरी कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे सभी मिल्क प्रोडक्ट्स यानी दूध दही मक्खन और घी पर A1 और A2 का लेबल लगाना बंद करें। A1 दूध पश्चिमी देशों की होलस्टीन गायों का होता है। मार्केट में यही दूध बड़े पैमाने पर मिलता है। वहीं A2 दूध भारतीय मूल की गिर और साहीवाल जैसी गायों से मिलता है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 24 Aug 2024 04:29 PM (IST)
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FSSAI ने मिल्क प्रोडक्ट्स से A1 और A2 लेबल हटाने के निर्देश दिए हैं।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। डेयरी से दूध या दूध से बने उत्पाद खरीदते वक्त कई लोग एक लेबल चेक करते हैं, दूध A1 है या फिर A2। लेकिन, अब ऐसा करना मुमकिन नहीं होगा। दरअसल, फूड रेगुलेटर FSSAI ने डेयरी कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे सभी मिल्क प्रोडक्ट्स यानी दूध, दही, मक्खन और घी पर A1 और A2 का लेबल लगाना बंद करें।

आइए जानते हैं कि A1 और A2 लेबल का क्या मतलब होता है और फूड रेगुलेटर ने इसे हटाने का निर्देश क्यों दिया है।

A1 और A2 लेबल क्या होता है?

A1 और A2 गाय के दूध में मिलने वाले दो तरह के बीटा-कैसीन प्रोटीन के बारे में बताता है। A1 प्रोटीन मुख्य रूप से उत्तरी यूरोप की नस्ल वाली गायों के दूध में मिलता है, जैसे कि होलस्टीन। वहीं, A2 प्रोटीन अधिकतर साहीवाल और गिर जैसी भारतीय नस्ल की गायों के दूध में मिलता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, दूध में पाया जाने वाला 80 फीसदी प्रोटीन केसीन (Casein) होता है। A1 गाय के दूध में A1 बीटा-केसीन और A2 गाय के दूध में A2 बीटा-केसीन होता है।

A1 और A2 दूध में अंतर

कुछ स्टडीज बताती हैं कि अगर किसी को A1 दूध से दिक्कत है, तो उन्हें A2 दूध का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि यह पचाने में अधिक आसान होता है। लेकिन, इसका कोई ठोस वैज्ञानिक निष्कर्ष नहीं है। किसी भी रिसर्च ने यह साबित नहीं किया कि A1 के मुकाबले A2 दूध अधिक स्वास्थ्यवर्धक, सुरक्षित या सुपाच्य है।

यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण और अन्य वैश्विक निकाय भी कह चुके हैं कि A2 दूध के बेहतर होने के दावे को सही ठहराने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।

FSSAI ने दखल क्यों दिया?

फूड रेगुलेटर का मानना है कि A1 और A2 लेबल 'भ्रामक' हैं। इनसे उपभोक्ताओं को यह लग सकता है कि एक दूध दूसरे की तुलना में अधिक बेहतर या फिर फायदेमंद है, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। FSSAI के अनुसार, इस तरह के दावे मौजूदा मानकों के हिसाब से भी दुरुस्त नहीं हैं। इसलिए, A1 और A2 लेबल लगाने का कोई तुक नहीं।

FSSAI ने सभी डेयरी कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने A1 और A2 लेबल का इस्तेमाल बंद करें। उन्हें 6 महीने के भीतर अपने पैकेजिंग से किसी भी ऐसे दावे को हटाना होगा। यह निर्देश ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी लागू होगा।

यह भी पढ़ें : A1 vs A2 Milk: A1 और A2 दूध में क्या है फर्क? जानें कौन-सा दूध है बेहतर

 


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अभी दुकानों पर ये लेबल दिख सकते हैं। FSSAI के निर्देश के मुताबिक, कंपनियों को मौजूदा स्टॉक 6 महीने के भीतर खत्म करना होगा। नए स्टॉक पर यह A1 या A2 लेबल नहीं मिलेगा।

अभी यह साबित नहीं हुआ कि A2 दूध स्वास्थ्यवर्धक है या नहीं। FSSAI ने सिर्फ इस वजह से मौजूदा लेबलिंग को हटाने का निर्देश दिया है, क्योंकि इनके पक्ष में कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं है और इनसे उपभोक्ता गुमराह हो सकते हैं।

आप अपनी पोषण संबंधी जरूरतों के हिसाब से दूध खरीद सकते हैं। वह ऑर्गेनिक, फुल-फैट या अतिरिक्त विटामिन से भरपूर हो सकता है।