What is Turbulence: उड़ान के दौरान फ्लाइट में क्यों लगते हैं झटके, कितना खतरनाक हो सकता है इन-फ्लाइट टर्बुलेंस?
टर्बुलेंस वैसे तो उड़ानों के दौरान होने वाली सामान्य घटना है और आमतौर पर यह खतरनाक नहीं होता। आधुनिक विमानों को भी इस तरह डिजाइन किया जाता है कि वो हर तरह के टर्बुलेंस को आसानी से झेल लें। मौजूदा विमानों में ऐसे सेंसर्स भी लगे होते हैं जो पहले ही इसका पता लगा लेते हैं और पायलट पहले ही यात्रियों को चेतावनी दे सकता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। What is Turbulence अगर आपने भी कभी विमान यात्रा की है तो आप टर्बुलेंस (Turbulence) नाम के शब्द से जरूर परिचित होंगे। जी हां, उड़ान के दौरान कई बार विभिन्न वजहों से विमान में झटके लगते हैं या विमान हिचकोले खाने लगता है, जिसे टर्बुलेंस कहा जाता है। इसका अनुभव थोड़ा डरावना होता है, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। टर्बुलेंस हवाई यात्रा का एक सामान्य हिस्सा है। यह ज्यादातर यात्रियों को कभी न कभी अनुभव होता ही है। हालांकि कई बार यह इतना ज्यादा होता है कि जानलेवा भी साबित हो सकता है।
ऐसी ही एक घटना 21 मई को सिंगापुर एयरलाइंस के एक विमान के साथ हुई। लंदन से सिंगापुर जा रहे सिंगापुर एयरलाइंस (Singapore Airlines) के एक विमान को मंगलवार 21 मई 2024 को इतने जबरदस्त टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा कि उसकी बैंकॉक में इमरजेंसी लैंडिंग तक करवानी पड़ी। टर्बुलेंस इतना जबरदस्त था कि विमान बहुत तेज हिचकोले खाने लगा। इससे विमान में बैठे एक बुजुर्ग यात्री की मौत तक हो गई जबकि दर्जनों अन्य यात्री घायल हो गए।
टर्बुलेंस क्या है?
टर्बुलेंस या इन फ्लाइट टर्बुलेंस हवा के प्रवाह में दबाव और गति में अचानक परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली स्थिति है, जिससे विमान को उड़ान के दौरान हवा में झटके लगते हैं और वह हिलने-डुलने लगता है। टर्बुलेंस की वजह से विमान में हल्के झटके से लेकर कभी-कभी बहुत तेज और लंबे झटके भी महसूस हो सकते हैं।
इन कारणों से होता है टर्बुलेंस
- खराब मौसम टर्बुलेंस की सबसे बड़ी वजह होती है। तूफान, तेज़ हवाएं और वायुमंडल में अस्थिरता इसका मुख्य कारण होती हैं।
- पहाड़ों और ऊंची चोटियों के पास हवा का बहाव अस्थिर हो सकता है, जिससे विमान को झटके लग सकते हैं।
- जेट स्ट्रीम्स (Jet Streams) भी टर्बुलेंस की बड़ी वजह हो सकते हैं। ये तेज हवाओं की संकरी धाराएं होती हैं, जो ऊपरी वायुमंडल में पाई जाती हैं। इनको पार करते समय विमान में अचानक झटके लग सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन डाल रहा एविएशन इंडस्ट्री पर असर
एविएशन इंजीनियरिंग एक्सपर्ट जयव्रत घोष कहते हैं कि निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन का असर एविएशन इंडस्ट्री पर पड़ा है। दसअल जलवायु परिवर्तन के चलते एक्स्ट्रीम वेदर इवेंट तेजी से बढ़े हैं। किसी पायलट को विमान उड़ाने के कुछ घंटे पहले उस रूट पर मौसम का हाल बताया जाता है जिसके आधार पर वो विमान उड़ाता है। लेकिन उड़ान के दौरान अचानक से मौसम में बदलाव से पायलट की मुश्किल बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में कई बार विमान में टर्बुलेंस महसूस होता है, कई बार बेहद खराब मौसम के चलते विमान को डाइवर्ट भी किया जाता है। ऐसे में विमान निश्चित समय पर अपने निर्धारित एयरपोर्ट पर नहीं पहुंच पता है। इससे कई विमानों की टाइमिंग पर असर पड़ता है। वहीं क्लाइमेट चेंज के चलते गर्मी बढ़ी है। बेहद गर्मी के समय में हवा हल्की हो जाती है। ऐसे में विमान को उड़ाने के लिए लम्बे रनवे की जरूरत होती है। विमान काफी दूरी तक दौड़ता है तब जाके कहीं विमान को ऊपर उठाने के लिए प्रेशर बन पता है। लेकिन कई ऐसे एयरपोर्ट हैं जहां रनवे छोटे हैं। ऐसी जगहों पर गर्मी के समय विमान को उड़ाने में काफी मुश्किल होती है। वहीं एयरलाइंस के लिए फ्यूल की कीमतें काफी महत्वपूर्ण होती हैं। बेहद गर्म मौसम में फ्लाइट को ठंडा करने के लिए या रनवे पर ज्यादा दूरी तक विमान को दौड़ाने पर फ्यूल की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में एयरलाइंस के लिए विमानों का संचालन काफी मुश्किल हो जाता है। कुल मिला कर जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी एविएशन सेक्टर के लिए कई तरह की मुश्किलें पैदा कर रही है।बढ़ रहीं टर्बुलेंस की घटनाएं
रीडिंग यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट साइंटिस्ट और को-रिसर्चर प्रोफेसर पॉल प्रोफेसर विलियम्स का कहना है कि हवाई यात्रा के दौरान टर्बुलेंस में बढ़ोतरी की वजह जेट स्ट्रीम में हवा की रफ्तार में ज्यादा अंतर है। जेट स्ट्रीम पृथ्वी की सतह से 8 से 10 किमी की ऊंचाई पर पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली हवा की धाराएं होती हैं। ये धाराएं भूमध्य रेखा और ध्रुवों के बीच तापमान के अंतर के कारण बनती हैं। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट्स से मिले आंकड़ों के आधार पर ये अध्ययन किया है। बता दें कि सैटेलाइट टर्बुलेंस नहीं देख सकते, लेकिन जेट स्ट्रीम का आकार और ढांचा देख सकते हैं, जिसका विश्लेषण किया जा सकता है। विमानों की गतिविधियों पर नजर रखने वाले राडार तूफान के कारण होने वाली टर्बुलेंस को तो पकड़ सकते हैं, लेकिन साफ हवा में होने वाली टर्बुलेंस को पकड़ना मुश्किल होता है।
कितना खतरनाक है टर्बुलेंस?
टर्बुलेंस वैसे तो उड़ानों के दौरान होने वाली सामान्य घटना है और आमतौर पर यह खतरनाक नहीं होता। आधुनिक विमानों को भी इस तरह डिजाइन किया जाता है कि वो हर तरह के टर्बुलेंस को आसानी से झेल लें। मौजूदा विमानों में ऐसे सेंसर्स भी लगे होते हैं, जो पहले ही इसका पता लगा लेते हैं और पायलट पहले ही यात्रियों को चेतावनी दे सकता है या फिर हालात को देखते हुए उड़ान का रास्ता भी बदल सकता है। हालांकि, कभी-कभी यह इतना तेज होता है कि इसकी वजह से विमान में सीट के ऊपर बने सामान रखने की जगह से सामान गिरने या यात्रियों को चोट लगने जैसी घटना भी हो जाती है। ऐसा कुछ सिंगापुर एयरलाइंस के उस विमान के साथ हुआ जिसमें एक वृद्ध यात्री की मौत हो गई।टर्बुलेंस के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या करें?
- टर्बुलेंस के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहला कदम है सीट बेल्ट लगाए रखना। उड़ान के दौरान और लैंडिंग के समय हर वक्त अपनी सीट बेल्ट बांधे रखें।
- उड़ान के दौरान जब भी कैप्टन सीट बेल्ट लगाने का संकेत दें, तो तुरंत अपनी सीट पर बैठ जाएं और सीट बेल्ट लगा लें। अगर पायलट बहुत तेज टर्बुलेंस की चेतावनी दे तो सिर को सीट के हेडरेस्ट से सटा लेना चाहिए।
- टर्बुलेंस के दौरान विमान के क्रू मेम्बर्स आपको सुरक्षित रहने के निर्देश देंगे, जिनका पालन आपको करना चाहिए।