हद से बाहर निकली महंगाई, अब ब्याज दर घटाएगा या बढ़ाएगा आरबीआई?
खाद्य वस्तुओं की महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है। इसका असर कुल खुदरा महंगाई दर पर भी दिख रहा है। आलू-प्याज के साथ अन्य सब्जियों की कीमत बढ़ने से अक्टूबर की खुदरा महंगाई दर 6.21 फीसदी पर पहुंच गई जो 14 महीने का उच्चतम स्तर है। महंगाई के आंकड़े ने आरबीआई की चिंता भी बढ़ा दी है और ब्याज दर के मोर्चे पर भी अनिश्चितता बढ़ गई है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। खुदरा महंगाई के अक्टूबर के आंकड़ों ने आरबीआई के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी है। इसमें दो फीसदी का घट-बढ़ हो सकता है। इसका मतलब कि अगर महंगाई 2 से 6 फीसदी के भीतर रहती है, तो आरबीआई के लिए ज्यादा परेशानी नहीं रहती।
लेकिन, अक्टूबर में महंगाई 6.21 फीसदी तक पहुंच गई। यह पिछले 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। इसका अनुमान एक्सपर्ट को भी नहीं था। उनका मानना था कि अक्टूबर में महंगाई जाहिर तौर पर बढ़ेगी, लेकिन यह 6 फीसदी की सीमा के भीतर रहेगी। अब आरबीआई के लिए परेशानी बढ़ गई है कि वह दिसंबर में होने वाली मीटिंग में नीतिगत ब्याज दरों पर कटौती के बारे में क्या फैसला ले।
महंगाई ने आरबीआई की मुश्किल कैसे बढ़ाई?
अमेरिका और यूरोप समेत दुनियाभर की तमाम विकसित अर्थव्यवस्थाएं लगातार ब्याज दरों में कटौती कर रही हैं। अमेरिका दो बार ब्याज दरों में कमी कर चुका है। वहीं, यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने तीन बार और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दो बार दरें घटाई हैं। स्विट्जरलैंड, स्वीडन, कनाडा जैसी कई अर्थव्यवस्थाओं ने भी ढील दी है। चीन भी लंबे समय से किसी भी रूप में ब्याज दरों में राहत दे रहा है।
ऐसे में आरबीआई से भी उम्मीद थी कि वह दिसंबर में होने वाली MPC मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती करेगा। इसके लिए जरूरी थी कि अक्टूबर में महंगाई काबू में रहे। लेकिन, अक्टूबर में खुदरा महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।