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फिनफ्लुएंसर्स पर सेबी की सख्ती, क्या अब निवेशकों को मिलेगी सही सलाह?

इंटरनेट मीडिया पर वित्तीय जानकारी देने वालों को फिनफ्लुएंसर कहा जाता है। करीब एक साल पहले मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फिनफ्लुएंसर्स के असर को कम करने के लिए नियमों पर एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। इसका मुख्य उद्देश्य सेबी-रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी/रेगुलेटेड संस्थाओं और बिना पंजीकरण वाली संस्थाओं के बीच पैसों या दूसरी तरह के लेनदेन पर रोक लगा कर फिनफ्लुएंसर्स की कमाई रोकना था। अब ये नियम बन गए हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sun, 07 Jul 2024 10:00 AM (IST)
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सेबी ने फिनफ्लुएंसर्स के राजस्व मॉडल पर चोट करने के अपने वादे को पूरा किया है।

धीरेंद्र कुमार। करीब एक साल पहले मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फिनफ्लुएंसर्स के असर को कम करने के लिए नियमों पर एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। इसका मुख्य उद्देश्य सेबी-रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी/रेगुलेटेड संस्थाओं और बिना पंजीकरण वाली संस्थाओं (फिनफ्लुएंसर सहित) के बीच पैसों या दूसरी तरह के लेनदेन पर रोक लगा कर फिनफ्लुएंसर्स की कमाई रोकना था। अब, ये नियम बन गए हैं। इंटरनेट मीडिया पर वित्तीय जानकारी देने वालों को फिनफ्लुएंसर कहा जाता है।

नए नियम कहते हैं कि बोर्ड द्वारा विनियमित व्यक्ति और ऐसे व्यक्तियों के एजेंट किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं रखेंगे, जैसे कि धन या धन जैसे मूल्य से जुड़ा कोई लेनदेन, किसी ग्राहक का रेफरल, सूचना प्रौद्योगिकी सिस्टम के बीच बातचीत या एक जैसी प्रकृति या चरित्र का कोई अन्य संबंध, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, किसी दूसरे व्यक्ति के साथ, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सलाह या सिफारिश देता है या प्रतिभूति या प्रतिभूतियों के संबंध में या उससे संबंधित रिटर्न या प्रदर्शन का कोई निहित या स्पष्ट दावा करता है, जब तक कि बोर्ड द्वारा ऐसी सलाह/सिफारिश/दावा करने की अनुमति न दी गई हो।

इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी तरह की निवेश की सलाह या सिफारिशें देता है, उसे कोई पैसा नहीं मिल सकता या स्टॉक ब्रोकर या ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और बाजार के दूसरे सहभागियों या किन्हीं दूसरी सेबी-रेगुलेटेड संस्थाओं के साथ उसका कोई संबंध नहीं हो सकता। ये ऐसे लोगों या संस्थाओं के बीच आकस्मिक संबंध होने को भी रोकता है।

इस तरह सेबी ने फिनफ्लुएंसर्स के राजस्व मॉडल पर चोट करने के अपने वादे को पूरा किया है। हालांकि, जब मैं तरह-तरह के फिनफ्लुएंसरों को देखता हूं, तो ये महसूस करने से खुद को रोक नहीं पाता हूं कि असलियत में इस कदम से किसी सलाह के सही या गलत होने से अंजान लोगों के रिस्क पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

इसे समझने के लिए, आप यूट्यूब या इंस्टाग्राम पर जाएं और कुछ आसान से शब्द खोजें जिन्हें कोई नौसिखिया इस्तेमाल करेगा, जैसे-अभी खरीदने के लिए बेस्ट स्टॉक। एक 'ताजा' नजरिया पाने के लिए, इनकॉग्निटो/प्राइवेट विंडो का इस्तेमाल करें। सामने आने वाली वीडियो/रील देखें। फिर, अगले कुछ घंटों या दिनों में, इनकी एल्गोरिदम जो भी आपके सामने पेश करे, उसे देखते रहें।

आप नोटिस करेंगे कि वहां ऐसे बहुत से फिनफ्लुएंसर हैं जिनके पास दर्शकों की बड़ी संख्या है और पैसे बनाने के बहुत से मौके हैं। फाइनेंस को लेकर प्रभावित करने वाले ऐसे तमाम चैनल हैं जिनके फॉलोवर लाखों में हैं। ये लोग विज्ञापन और दूसरे तरीकों से अपने दर्शकों से सीधे पैसे कमा सकते हैं। इन्हें किसी ब्रोकर से पैसे लेने की जरूरत ही नहीं है।

सच कहें तो, इंटरनेट पर सीखने लायक बहुत सी बेहतरीन बातें हैं। देखा जाए, तो हाल के कुछ सालों में होने वाली ये सबसे अच्छी घटनाओं में से एक होगी। ये बहुत आश्चर्यजनक है कि वहां कितनी अच्छी जानकारियां उपलब्ध हैं और बहुत से रोजमर्रा के कामों के लिए ये जादू की तरह काम करती हैं। हालांकि, इससे ज्यादा जटिल कामों को सीखना-समझना आसान नहीं हो जाता।

कभी-कभी, किसी बात को समझने के लिए कुछ हद तक बैकग्राउंड की जानकारी जरूरी होती है, ताकि आप समझ सकें कि दी जाने वाली सलाह असल में अच्छी है या नहीं। और सच कहें तो स्वास्थ्य और पर्सनल फाइनेंस जैसी बातों को लेकर खराब सलाह को मानना वाकई बहुत बुरा हो सकता है।

इसमें कोई शक नहीं कि इंटरनेट मीडिया की निगरानी अपने आप में बड़ा काम है, जिसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पड़ने वाले असर जैसा गंभीर मसला भी बना रहता है। हालांकि, फिनफ्लुएंसर और सेबी द्वारा रेगुलेट की जाने वाली संस्थाओं के बीच किसी तरह के कमर्शियल लिंक को तो खत्म किया ही जा सकता है।

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