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कोयला उत्पादन में कब आत्मनिर्भर बनेगा भारत, कहां आ रही हैं चुनौतियां

अभी दुनिया के कई हिस्सों में कोयला उत्पादन बढ़ा है और कई एशियाई देशों के लिए कोयला आयात करना सस्ता हो गया है। ऐसे में भारतीय कंपनियां भी कोयला आयात करती रहेंगी। भारत अपनी घरेलू जरूरत का एक बड़ा हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा कर सकता है। लेकिन यहां कोयले की गुणवत्ता और कोयला ढुलाई में आने वाली लागत एक बड़ी बाधा बनी रहेगी।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 25 Jun 2024 08:13 PM (IST)
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भारत में कोयले की क्वालिटी का मसला है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वर्ष 2026-27 में भारत को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन ग्लोबल रिचर्स एजेंसियों का कहना है कि भारत के लिए कोयला आयात रोकना अभी मुश्किल होगा। मंगलवार को ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी की तरफ से जारी एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक भारत में कोयला उत्पादन बढ़ कर 150-170 करोड़ टन के करीब हो जाएगा, लेकिन इस दौरान आयात भी तकरीबन 15 करोड़ टन के सालाना बना रहेगा।

कोयले की क्वालिटी का सवाल

रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपनी घरेलू जरूरत का एक बड़ा हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा कर लेगा। यहां कोयले की गुणवत्ता और कोयला ढुलाई में आने वाली लागत एक बड़ी बाधा बनी रहेगी। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भारत में कोयले की कीमत यहां आपूर्ति पक्ष को काफी प्रभावित करती है। अभी दुनिया के कई हिस्सों में कोयला उत्पादन बढ़ा है और कई एशियाई देशों के लिए कोयला आयात करना सस्ता हो गया है। ऐसे में भारतीय कंपनियां भी कोयला आयात करती रहेंगी।

कार्बन उत्सर्जन का भी है मसला

इस रिपोर्ट में भारत के ऊर्जा सेक्टर में होने वाले उत्सर्जन का भी ब्यौरा है। भारत ने वर्ष 2070 तक अपनी इकोनॉमी को कार्बन उत्सर्जन से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन इसे हासिल करने के लिए पहले कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली तकनीक को अपनाना होगा। वर्ष 2005 के मुकाबले वर्ष 2030 में भारत में 162 फीसद ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होगा। यह वर्ष 2043 में अपने सबसे उच्चतम स्तर पर होगा।

रिपोर्ट में सुझाव है कि उद्योग जगत को बेहतर प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए सरकार की तरफ से प्रोत्साहन बढ़ाई जानी चाहिए। स्टील व सीमेंट जैसे बड़े उद्योगों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सबसे ज्यादा चुनौती आएगी। ऐसे में रिपोर्ट में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात कही है। ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल भारत की कार्बन उत्सर्जन घटाने की यात्रा में सबसे अहम भूमिका निभाएगा।

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