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Tata Sons IPO: नोएल कब लाएंगे टाटा संस का आईपीओ, RBI के आदेश के बाद भी क्यों हो रही देरी?

रिजर्व बैंक का नियम है कि सभी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को शेयर बाजार में लिस्ट होना ही होगा। आरबीआई ने इसकी डेडलाइन सितंबर 2025 तय की थी। उस वक्त करीब 15 कंपनियों की लिस्ट भी जारी की गई थी जिन्हें शेयर बाजार में लिस्ट होना था। उनमें से कई कंपनियां लिस्ट हो चुकी है। लेकिन टाटा संस इस मामले में आरबीआई से राहत की मांग की जा चुका है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 21 Oct 2024 05:18 PM (IST)
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आरबीआई को उम्मीद थी कि अन्य NBFC की तरह टाटा संस भी नियमों के मुताबिक आईपीओ लाएगी।

विवेक शुक्ला, नई दिल्ली। अपने चचेरे भाई रतन टाटा के देहांत के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बना दिया गया है। माना जाता है कि टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन ही टाटा ग्रुप का मार्गदर्शन करता है। नोएल टाटा के ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनते ही देश के कॉर्पोरेट संसार में उनसे एक उम्मीद लगानी शुरू कर दी है। इसके अलावा नोएल टाटा से एक अपेक्षा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डी स्कूल) को भी है।

टाटा संस के शेयर किसके पास

नोएल टाटा से उम्मीद यह की जा रही है कि वे टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी, टाटा संस का प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाने का रास्ता साफ करेंगे। टाटा संस के अधिकांश शेयर टाटा ट्रस्ट्स के पास हैं। टाटा ट्रस्ट्स के ही अध्यक्ष बने हैं नोएल टाटा। भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई) की अपेक्षा रहती है कि बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) सार्वजनिक होनी चाहिए। मतलब उनका बाजार में आईपीओ आना चाहिए।

आरबीआई के नियमों के तहत सभी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को शेयर बाजार में लिस्ट होना ही होगा। इसकी डेडलाइन सितंबर 2025 तय की गई थी। ऐसी करीब 15 कंपनियों की लिस्ट जारी की गई थी, जिनमें कई कंपनियां लिस्ट हो चुकी है। वहीं जो कंपनियां लिस्ट नहीं हुई हैं, उनमें टाटा संस का भी नाम शामिल है। टाटा संस की ओर से इस मामले में आरबीआई से राहत की मांग की जा चुकी है।

हितों का टकराव

दरअसल कहने वाले कहते हैं वेणु श्रीनिवासन आरबीआई और टाटा संस दोनों के बोर्ड हैं। इसलिए ये सारा मामला हितों के टकराव से संबंधित है। श्रीनिवासन को 14 जून, 2022 को आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक मंडल में चार साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था। वे टीवीएस मोटर्स के भी चेयरमैन रहे हैं। उनकी भारत के कॉरपोरेट जगत में बहुत ऊंचा कद है।

नियमों को मानने वाले नोएल

आरबीआई की इसी तरह की उम्मीद टाटा संस से भी थी कि वह आईपीओ लाएगी। पर यह हो ना सका। अब इस बात की उम्मीद बन रही है क्योंकि टाटा ट्रस्ट की कमान अब नोएल टाटा के पास है। उनके लिए कहा जाता है कि वे नियमों के अनुसार ही चलते हैं। शेयर बाजार पर नजर रखने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट राजन धवन मानते हैं कि टाटा संस का अभी तक आईपीओ का ना आना टाटा समूह के लिए कोई गर्व की बात नहीं है। यह तो कायदे से रतन टाटा के समय ही आ जाना चाहिए था, क्योंकि आरबीआई के नियम टाटा संस पर भी लागू होते हैं।

क्या होगा टाटा संस की लिस्टिंग पर

टाटा संस की जब भी लिस्टिंग होगी तो उसको लेकर देश के लाखों शेयर बाजार में निवेश करने वाले सामने आएंगे। इससे टाटा संस को तो लाभ होगा ही। टाटा संस के शेयर जिन्हें भी मिलेंगे उन्हें बहुत लाभ होगा ही। टाटा संस में 5 फीसद हिस्सेदारी बेचने से 55 हजार करोड़ रुपये से अधिक जुटाए जा सकते हैं, जो टाटा समूह की वित्तीय स्थिति को मजबूती प्रदान करेंगे। इस राशि के मिलने से टाटा समूह को अपनी आगे की योजनाओं को पूरा करने में पूंजी की कमी नहीं होगी।

दरअसल नोएल टाटा को अपनी क्षमताओं को दिखाने का मौका पहली बार मिल रहा है। अब वे टाटा संस के आईपीओ को लाने के साथ अपनी नई पारी को धमाकेदार तरीके से शुरू कर सकते हैं। यह हैरानी की बात है कि टाटा संस अब तक आईपीओ नहीं ला सकी। हालांकि उसे रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक आईपीओ ले आना चाहिए था।

डी स्कूल को मदद की दरकरार

नोएल टाटा से एक उम्मीद दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डी स्कूल) को भी है। यहां की रतन टाटा लाइब्रेरी स्थापित हुई थी टाटा समूह के उदार आर्थिक सहयोग से ही। यह बात 1949 की है। इसे इकोनॉमिक्स, कॉमर्स और ज्योग्राफी में अध्ययन और अनुसंधान के लिए आदर्श लाइब्रेरी माना जाता है। यहां पर बैठकर अध्ययन किया है देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी। वे डी स्कूल में 1970 के दशक के आरंभ में पढ़ाते थे।

डी. स्कूल के डायरेक्टर और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. राम सिंह ने बताया कि टाटा समूह रतन टाटा लाइब्रेरी को दिल खोलकर सहयोग करता था। हालांकि अब उसकी तरफ स कोई मदद नहीं मिल रही। नोएल टाटा को देखना होगा कि टाटा समूह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे श्रेष्ठ संस्थान को आर्थिक मदद देता रहे। अब नोएल टाटा पर सारे देश की नजरें रहेंगी कि वे किस तरह से जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित अपने उद्योग समूह का नेतृत्व करते हैं।

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