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अमेरिका में घटेंगी ब्याज दरें, पर भारत में उम्मीद नहीं; किस बात से डर रहा RBI?

SBI के नवनियुक्त प्रमुख सीएस शेट्टी का कहना है कि आरबीआई हाल-फिलहाल ब्याज दरों में कटौती नहीं करने वाला। उन्होंने कहा कि नीतिगत दरों में कमी के लिए हमें चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) तक इंतजार करना पड़ सकता है। खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर सुधार होने तक रेपो रेट में कमी की संभावना नहीं है। आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 18 Sep 2024 07:06 PM (IST)
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मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सात से नौ अक्टूबर के बीच बैठक होनी है।

पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सीएस शेट्टी का कहना है कि इस बात की कोई संभावना नहीं कि 2024 में आरबीआई ब्याज दरों में किसी तरह की रियायत देगा। उन्होंने इसकी वजह खाद्य मुद्रास्फीति में अस्थिरता को बताया। माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व चार साल में पहली बार ब्याज दरों में कटौती का एलान बुधवार को कर सकता है। इससे अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी ऐसा करने के लिए प्रेरित होंगे।

हाल ही में बैंक की कमान संभालने वाले शेट्टी ने एक साक्षात्कार में बताया, 'नीतिगत दरों के मोर्चे पर, बहुत से केंद्रीय बैंक स्वतंत्र रूप से फैसला ले रहे हैं। हालांकि फेडरल रिजर्व द्वारा अगर दरों में कटौती की जाती है तो सभी प्रभावित होंगे। जहां तक आरबीआइ की बात है तो वह ब्याज दरों में कटौती पर फैसला लेने से पहले खाद्य मुद्रास्फीति को ध्यान में रखेगा।'

हमारा मानना है कि चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान दरों में कटौती नहीं हो सकती है। हमें ब्याज दरों में किसी भी तरह की रियायत के लिए चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) तक इंतजार करना पड़ सकता है। खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर सुधार होने तक रेपो रेट में कमी की संभावना नहीं है।

सीएस शेट्टी, एसबीआई के चेयरमैन

आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सात से नौ अक्टूबर के बीच बैठक होनी है। नीतिगत दरों के बारे में फैसला लेते समय एमपीसी खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखती है। जुलाई में यह 3.60 से बढ़कर अगस्त में 3.65 प्रतिशत हो गई थी। हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति अभी आरबीआई द्वारा निर्धारित चार प्रतिशत के लक्ष्य के नीचे है। अगस्त में खाद्य पदार्थों की मूल्य वृद्धि की दर 5.66 प्रतिशत थी।

आरबीआई ने उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के जोखिमों के बीच अगस्त में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। यह लगातार नौवीं एमपीसी बैठक थी, जिसमें नीतिगत दर के मोर्चे पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया गया। आरबीआइ ने फरवरी, 2023 से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है।

पिछली बैठक में, छह में से चार एमपीसी सदस्यों ने यथास्थिति के पक्ष में मतदान किया, जबकि दो बाहरी सदस्यों ने दर में कटौती की वकालत की थी। इस सप्ताह की शुरुअता में आरबीआई गवर्नर दास ने भी कहा था कि ब्याज दर में नरमी का फैसला मासिक आंकड़ों के आधार पर नहीं बल्कि इस बात निर्भर करेगी कि लंबे समय तक खाद्य मुद्रास्फीति कैसी रहती है।

सहायक कंपनियों में हिस्सेदारी के विनिवेश पर विचार नहीं

अपनी कुछ सहायक कंपनियों में एसबीआई की हिस्सेदारी के मुद्रीकरण पर शेट्टी ने कहा कि वर्तमान में किसी भी सहायक कंपनी में हिस्सेदारी के विनिवेश के बारे में कोई विचार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'अगर इन सहायक कंपनियों को (विकास) पूंजी की आवश्यकता होती है, तो हम निश्चित रूप से जांच करेंगे।'

उन्होंने कहा कि इस समय, किसी भी बड़ी सहायक कंपनी को अपने परिचालन को बढ़ाने के लिए मूल कंपनी से पूंजी की आवश्यकता नहीं है। बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में 489.67 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डाली थी। कंपनी ने कर्मचारियों को शेयर भी आवंटित किए थे और इसके परिणामस्वरूप बैंक की हिस्सेदारी 69.95 प्रतिशत से मामूली रूप से घटकर 69.11 प्रतिशत हो गई है।

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