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अमेरिका में मंदी की आहट और जापान में ब्याज दर बढ़ने का कहर, कब तक उबर पाएगा शेयर बाजार?

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक अगले कुछ दिनों के बाद भारतीय बाजार फिर से पटरी पर आ सकती है लेकिन मिड कैप और स्माल कैप को संभलने में थोड़ा वक्त लग सकता है। सोमवार को एशिया के अन्य देशों के बाजार में औसतन चार प्रतिशत की गिरावट रही। वहीं जापान निक्की में 12.4 प्रतिशत तो अमेरिकी नैसडेक में चार प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 05 Aug 2024 07:58 PM (IST)
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शेयर बाजार पर इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की आशंका का भी असर पड़ा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका में मंदी की आहट और जापान में ब्याज दर बढ़ने से दुनिया के अन्य बाजार के साथ भारतीय मार्केट में भी सोमवार को भारी गिरावट रही। सेंसेक्स 2222.53 अंक की गिरावट के साथ 78,759.40 अंक पर तो निफ्टी 662 अंक की गिरावट के साथ 24,055 अंक पर बंद हुए। इस बड़ी गिरावट से निवेशकों को 15 लाख करोड़ से अधिक के नुकसान की आशंका है। गत कार्य दिवस में बीएसई का मार्केट कैपिटल 457 लाख करोड़ था जो सोमवार को 442 लाख करोड़ के नीचे चला गया।

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक अगले कुछ दिनों के बाद भारतीय बाजार फिर से पटरी पर आ सकती है, लेकिन मिड कैप और स्माल कैप को संभलने में थोड़ा वक्त लग सकता है। सोमवार को एशिया के अन्य देशों के बाजार में औसतन चार प्रतिशत की गिरावट रही। वहीं जापान निक्की में 12.4 प्रतिशत तो अमेरिकी नैसडेक में चार प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यूरोप के बाजार छह माह के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए।

क्या धराशायी हुआ शेयर बाजार

बाजार के धराशायी होने के दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। गत शुक्रवार को अमेरिका में नौकरी संबंधित रिपोर्ट जारी की गई, जिसके मुताबिक अमेरिका में जुलाई की बेरोजगारी दर 4.3 प्रतिशत के साथ तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। अमेरिका में बेरोजगारी दर के बढ़ने से वहां मंदी की आशंका जाहिर की जाने लगी। इसे संभालने के लिए अमेरिकी फेडरल बैंक की तरफ से सितंबर में ब्याज दर में कटौती की प्रबल संभावना है।

यूरोप व चीन में पहले से ही सुस्ती चल रही है। कच्चे तेल की कीमत पहले से आठ माह के न्यूनतम स्तर पर है। इन सबको देखते हुए वैश्विक स्तर पर मंदी की आहट देख दुनिया भर के बाजार में सोमवार को जबरदस्त बिकवाली की गई जिससे बाजार प्रभावित हुआ।

दूसरा बड़ा कारण यह रहा कि पिछले सप्ताह जापान के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी। पिछले 15 साल से भी अधिक समय से जापान में 0.0-0.1 प्रतिशत की ब्याज दर थी। लगभग शून्य ब्याज दर होने से वैश्विक निवेशक जापानी बैंक से पैसा उठाकर दुनिया के अन्य देशों में निवेश कर रहे थे। अब जापान सेंट्रल बैंक की तरफ से ब्याज दर बढ़ा देने पर निवेशकों को ब्याज भी देना पड़ेगा जिससे बिकवाली को समर्थन मिला। दूसरी तरफ जापानी सरकार के हस्तक्षेप से डालर के मुकाबले येन में मजबूती भी आ गई।

क्या है एक्सपर्ट की राय

पीएचडी चेंबर के कैपिटल मार्केट कमेटी के चेयरमैन बी.के. सभरवाल कहते हैं कि पहले एक डॉलर के बदले 162 येन मिल रहे थे जो अब 145 येन हो गया। मतलब सीधे-सीधे 13 प्रतिशत का नुकसान हो गया। इन वजहों से जापानी बैंक से जुड़े निवेशकों ने घाटे से बचने व उसे कम रखने के लिए जमकर बिकवाली की।

पीएल कैपिटल के मार्केट एडवाइजरी हेड विक्रम कसाट के मुताबिक इन दो कारणों के अलावा बाजार पर इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की आशंका का भी असर पड़ा है। अमेरिका की तरफ से अगले 48 घंटों में ईरान एवं हिजबुल्लाह की तरफ से इजरायल पर हमले की चेतावनी से यह आशंका और भी प्रबल हो गई है।

हालांकि विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि भारतीय बाजार अब विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं करता है। आनंद राठी शेयर्स की बिजनेस हेड तन्वी कंचन के मुताबिक भारतीय बाजार में शार्ट टर्म मुनाफे की बिकवाली से बाजार में जो घबराहट है, वह लंबे समय तक नहीं रहने वाला है। सभरवाल ने बताया कि दो-तीन दिनों में बाजार सामान्य होने लगेगा, लेकिन मिड कैप व स्मॉल कैप को संभलने में थोड़ा वक्त लग सकता है। चुनाव परिणाम वाले दिन भी बाजार में ऐसी ही गिरावट हुई थी।

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