रतन टाटा ने की थी विदेशी कंपनियों को खरीदने की शुरुआत, अमेरिकी और ब्रिटिश कंपनियों पर लगाया था देसी ठप्पा
एक वक्त था जब भारतीय कारोबारी सपने में भी किसी बड़ी विदेशी कंपनी को खरीदने के बारे में नहीं सोचते थे। लेकिन इस मानसिकता को रतन टाटा बदला। उन्होंने साल 2000 में टाटा से दोगुने बड़े ब्रिटिश ग्रुप टेटली का अधिग्रहण कर सबको चौंका दिया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक बड़ी डील की और टाटा ग्रुप के साम्राज्य को दुनियाभर में फैला दिया।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर की देर रात देहांत हो गया। यह भारतीय कारोबार जगत के लिए एक स्वर्णिम युग के अंत सरीखा है। रतन टाटा साल 1991 में जेआरडी टाटा की जगह टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने। उन्होंने एक के बाद एक कंपनियों को खरीदकर टाटा ग्रुप के साम्राज्य को बढ़ाया। ये सौदे न सिर्फ देश में हुए, बल्कि रतन टाटा ने कई बड़ी विदेशी कंपनियों को खरीदा।
टाटा समूह का साम्राज्य
ब्रिटिश चाय कंपनी को खरीदा
टाटा कंज्यमूर प्रोडक्ट्स पहले टाटा टी नाम से कारोबार करती थी। इसने साल 2000 में दिग्गज ब्रिटिश चाय कंपनी- टेटली (Tetley Tea) को खरीदा। यह डील 45 करोड़ डॉलर में हुई। इस डील ने दुनिया को इसलिए भी हैरान किया, क्योंकि टेटली साइज में टाटा के मुकाबले दोगुनी बड़ी थी। इस डील के बाद टाटा टी दुनिया की सबसे बड़ी चाय कंपनियों में शुमार हो गई। यह पहली दफा था, जब किसी भारतीय कंपनी ने विदेशी कंपनी का अधिग्रहण किया हो। इससे टाटा ग्रुप के वैश्विक विस्तार की शुरुआत भी हो गई।दो बड़े ऑटोमेकर की खरीद
टाटा मोटर्स ने दुनिया के दो बड़े ऑटोमेकर को खरीदा। पहली डील साल 2004 में हुई दक्षिण कोरिया की देवू (Daewoo) से। टाटा मोटर्स ने देवू की कमर्शियल व्हीकल यूनिट को 10.2 करोड़ डॉलर में खरीद लिया। इससे टाटा ग्रुप के पास ट्रक बनाने वाली एडवांस तकनीक आ गई। फिर टाटा मोटर्स ने 2008 में अमेरिकी ऑटोमेकर फोर्ड से Jaguar Land Rover (JLR) की खरीदा। इस 230 करोड़ डॉलर की डील ने टाटा मोटर्स को ऑटो सेक्टर की वैश्विक कंपनी बना दिया।दो स्टील कंपनियों से डील
टाटा स्टील ने रतन टाटा की अगुआई में दो बड़े सौदे करके अपना दबदबा बढ़ाया। पहली डील2004 में हुई, जब टाटा स्टील ने सिंगापुर की स्टील कंपनी NatSteel को 48.6 करोड़ डॉलर में खरीदा। वहीं, दूसरा सौदा 2007 में हुआ। इस बार टाटा स्टील ने ब्रिटेन की Corus Steel को 1290 करोड़ डॉलर में खरीदा। यह अपने समय की सबसे बड़ी डील थी और इसने टाटा स्टील की दुनिया की टॉप-10 स्टील कंपनियों में शुमार कर दिया।