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Mutual Funds VS NPS: रिटायरमेंट के लिए किसमें निवेश करना ज्यादा फायदेमंद

यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि आपको रिटायरमेंट के लिए म्यूचुअल फंड और एनपीएस में से किसमें निवेश करने पर ज्यादा फायदा मिलता है। एनपीएस में टियर-2 से टियर-1 में एक तरफा स्विच हो सकता है। एनपीएस कार्पस का 60 प्रतिशत एक साथ निकाल सकते हैं और बाकी 40 प्रतिशत एन्युटी के लिए इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते है इसके बारे में।

By Jagran News Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Sat, 24 Aug 2024 07:01 PM (IST)
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रिटायरमेंट के लिए Mutual Funds और NPS में से किसमें करें इनवेस्ट?
धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। कुछ हफ्ते पहले मैने म्यूचुअल फंड टैक्सेशन से जुड़े एक कालम में कहा था कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) टियर-2 को कम लागत वाले म्यूचुअल फंड की तरह माना जा सकता है। लेकिन यह सटीक नहीं था। भले ही म्यूचुअल फंड की तरह टियर-2 फंड से निवेश निकाला जा सकता है, लेकिन इस पर म्यूचुअल फंड की तरह टैक्स नहीं लगता। टैक्स कोड में टियर-2 का कोई विशेष उल्लेख नहीं है। इसलिए, डिफाल्ट तौर पर, वे 'अन्य स्त्रोतों से आय' की सामान्य श्रेणी में आते हैं और आपकी आय पर लागू दर के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। इस तरह से आपके पास म्यूचुअल फंड में मौजूद टैक्स का फायदा नहीं हैं। टियर-2 में, जब तक आप इसे भुना नहीं लेते, तब तक पैसा जमा होता रहता है। इस तरह से ये फायदे बढ़ाने में भूमिका निभाता है।

हो सकता है टियर-2 से टियर-1 में स्विच

एनपीएस के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि ये टियर-2 से टियर-1 में एक तरफा स्विच हो सकता है। इस तरह, रिटायरमेंट के समय (या जब भी आप 70 साल की उम्र तक एनपीएस से बाहर निकलते हैं), टियर-2 में जमा धन को रिटायरमेंट के बाद एनपीएस से बाहर निकलने के समान ही माना जा सकता है। यानी, निकाली गई राशि का 60 प्रतिशत टैक्स-फ्री है। इसलिए, अगर आप एनपीएस कार्पस का 60 प्रतिशत एक साथ निकाल सकते हैं और बाकी 40 प्रतिशत एन्युटी के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो उस समय कोई टैक्स नहीं देना होगा। केवल बाद के सालों में एन्युटी की आमदनी पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।

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पेंशन बढ़ाने के लिए कर सकते हैं

सरकारी कर्मचारियों के लिए, टियर-2 तीन साल के लाक-इन के साथ स्वीकार्य 80C टैक्स सेविंग विकल्पों में से एक के तौर पर उपलब्ध है। हालांकि, ये देखना मुश्किल है कि कोई इसका इस्तेमाल करेगा या नहीं। इसका मतलब ये है कि टियर-2 को म्यूचुअल फंड का विकल्प मानने के बजाय, आपकी पेंशन के लिए एक अतिरिक्त योगदान माना जाता है। आप इसे जमा कर सकते हैं और अंतत: इसका इस्तेमाल अपनी पेंशन बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। मुझे पता नहीं है कि अब तक कितने लोगों ने ऐसा किया है, लेकिन एसेट क्लास का डिजाइन इस तरीके से उपयोग के लिए सबसे सही है। या, अगर आपको किसी समय पैसे की जरुरत है, तो आप पैसे निकाल सकते हैं। जैसा कि ज्यादातर एनपीएस सदस्य जानते हैं या उन्हें पता होना चाहिए कि टियर-1 का पैसा पूरी तरह से लिक्विड नहीं होता है और निकालने के लिए भी उपलब्ध होता है। लेकिन केवल आंशिक रूप से और कुछ खास उद्देश्यों के लिए।

इन परिस्थितियों में निकाल सकते हैं पैसे

इसमें बच्चों की उच्च शिक्षा या शादी का खर्च, घर खरीदने या आवासीय संपत्ति बनाने, स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियां और किसी हादसे में खाताधारक का 75 प्रतिशत से ज्यादा विकलांग हो जाना शामिल है। हालांकि, दो और परिस्थितियां हैं जिनमें पैसे निकाले जा सकते हैं। उसमें खुद के कौशल विकास और स्वयं का उद्यम या कोई स्टार्ट-अप स्थापित करना शामिल है। मुझे नहीं पता कि कोई इन प्रविधानों का इस्तेमाल करता है या नहीं, लेकिन उनका अस्तित्व दिलचस्प और काम का है। इस कहानी का अंतिम नैतिक सबक (मेरे लिए भी) ये है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली अब एक बड़ी और जटिल प्रणाली बन गई है, जिसमें कई ऐसे कोने और खामियां हैं, जिनसे बहुत कम लोग परिचित हैं।

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(लेखक धनक डॉट कॉम के संपादक हैं।)