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मैक्सिको जितनी बिजली सिर्फ एसी पर खर्च करेगा भारत, किन कंपनियों को होगा फायदा?

भारत की आबादी के साथ मैन्युफैक्चरिंग बढ़ रही है। इसका असर डिमांड पर भी दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान का है कि अगले एक दशक के दौरान भारत में बिजली की खपत में जोरदार इजाफा होगा। इसका असर पावर सेक्टर और एसी बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर दिख सकता है। आइए जानते हैं कि भारत में बिजली की खपत में किस तरह से इजाफा होगा।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 16 Oct 2024 06:13 PM (IST)
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अभी भारत की कुल तेल खपत करीब 52 लाख बैरल प्रतिदिन है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में बिजली की खपत तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) का कहना है कि अगले एक दशक के दौरान भारत में हर रोज 12 हजार से अधिक कारें बढ़ेंगी। बिल्ट स्पेस (Built Space) दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले ज्यादा हो जाएगा। वहीं, सिर्फ एयर कंडीनशर (AC) ही मैक्सिको की कुल खपत के बराबर बिजली खर्च करेंगे।

IEA ने अपने विश्व ऊर्जा परिदृश्य 2024 में कहा है कि 2035 तक भारत में सभी प्रकार की ऊर्जा की मांग बढ़ेगी। इससे यह ग्लोबल लेवल पर ऊर्जा की मांग बढ़ाने वाला इंजन बन जाएगा। भारत फिलहाल दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत और आयात करने वाला देश है। 2035 तक इसकी तेल खपत में करीब 20 लाख बैरल प्रतिदिन का इजाफा होगा।

तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत

अभी भारत की कुल तेल खपत करीब 52 लाख बैरल प्रतिदिन है जिसके 2035 तक 71 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है। IEA के अनुमान के अनुसार, भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अभी हमारी इकोनॉमी दुनिया में पांचवें नंबर पर है। साल 2023 में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी रही, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं से सबसे तेज है।

सबसे अधिक आबादी वाला देश

2023 में चीन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। आबादी के आकार के साथ सभी क्षेत्रों में मांग भी बढ़ रही है। इसका मतलब है कि भारत अगले दशक में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक ऊर्जा मांग वृद्धि का अनुभव करने के लिए तैयार है। 2035 तक भारत के लोहा और इस्पात उत्पादन में 90 प्रतिशत और सीमेंट उत्पादन में करीब 55 प्रतिशत की वृद्धि रहने का अनुमान है।

किन कंपनियों को मिलेगा फायदा

ब्रोकरेज फर्म मोतीवाल ओसवाल ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि अगले एक दशक के दौरान भारत के बिजली क्षेत्र में 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो सकता है। इससे पावर कंपनियों को भारी फायदा मिलेगा। बिजली की खपत बढ़ने से NTPC, JSW एनर्जी, टाटा पावर और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों को तगड़ा फायदा मिल सकता है। वहीं, एसी और इससे जुड़े पार्ट बनाने वाली कंपनियों की भी चांदी हो सकती है।

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