म्यूचुअल फंड बेचने की जगह अब डिपॉजिट लाने पर बैंककर्मियों का जोर, क्या है इसकी वजह?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी बैंकों में जमा की विकास दर कम होने पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। डिपॉजिट कम होने पर बैंकों से मिलने वाले कर्ज का संकट पैदा हो सकता है। चिंता इसलिए बढ़ रही है क्योंकि बैंकों की जमा विकास दर कर्ज कर्ज देने विकास दर से कम हो गई है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। पांच-सात साल पहले सरकारी बैंक के कर्मचारियों पर ग्राहकों को म्यूचुअल फंड (MF) बेचने का दबाव रहता था। अब यह स्थिति बदल गई है। अब बैंककर्मियों को किसी भी प्रकार से बैंक में जमा (Deposit) बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है। उन्हें बड़े-बड़े ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की सेवा के माध्यम से अपने बैंक में डिपॉजिट के लिए लुभाने के लिए कहा जा रहा है।
सरकारी बैंक के कर्मचारियों को तो जमा (डिपॉजिट) बढ़ाने पर प्रोत्साहित करने की भी योजना चलाई जा रही है। जमा बढ़ाने वाले कर्मचारियों को बैंक के चेयरमैन या अन्य बड़े अधिकारियों से प्रशंसा पत्र या अन्य प्रोत्साहन पत्र देने की योजना बनाई जा रही है। तीन दिन पहले देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन एक कार्यक्रम में कहा था कि उनका पूरा ध्यान अभी बैंकों में डिपॉजिट बढ़ाना है।
आरबीआई गवर्नर के साथ देश की वित्त मंत्री भी बैंकों में जमा की विकास दर कम होने पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। डिपॉजिट कम होने पर बैंकों से मिलने वाले कर्ज का संकट पैदा हो सकता है। चिंता इसलिए बढ़ रही है क्योंकि बैंकों की जमा विकास दर कर्ज कर्ज देने विकास दर से कम हो गई है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक बैंक की जमा विकास दर में पिछले साल की तुलना में 11.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी, जबकि कर्ज देने की विकास दर 12 प्रतिशत से अधिक चल रही है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों की जमा विकास दर में पूर्व के वित्त वर्ष के मुकाबले 13.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष तक बैंककर्मियों का फोकस म्यूचुअल फंड बेचने पर रहा और बैंकों ने वित्त वर्ष 23-24 में व्यक्तिगत रूप से ग्राहकों को 1.9 लाख करोड़ रुपए का म्यूचुअल फंड बेचा। पिछले तीन सालों में म्यूचुअल फंड का रिटर्न सालाना 15 प्रतिशत का रहा है जबकि बैंक के बचत खाते में 3.5-6 प्रतिशत का रिटर्न दिया जाता है। जमा राशि पर 10,000 रुपए से अधिक के ब्याज पर टैक्स भी लग जाता है।
चालू वित्त वर्ष से बाजार से लांग टर्म में होने वाली एक लाख रुपए तक की कमाई को टैक्स से मुक्त कर दिया गया है। ऐसे में कोई व्यक्ति शेयर बाजार में दस लाख रुपए लगाता है और उसे एक साल बाद 11 लाख रुपए में बेचता है तो उस एक लाख की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन बचत खाते में 10,000 रुपए से अधिक के ब्याज पर टैक्स लग जाता है।
बैंकों में आने वा ले ग्राहकों को अब अपने खाते में पैसा जमा करने की जगह सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) लेने में ज्यादा दिलचस्पी रहती है। एसआईपी में पांच साल से भी कम समय में उसकी जमा राशि दोगुनी हो रही है। जानकारों के मुताबिक ऐसे में जमा राशि पर ब्याज दर बढ़ाने पर ही ग्राहकों को आकर्षित किया जा सकता है।यह भी पढ़ें : Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले क्यों कमजोर हुआ रुपया, क्या कर रहा है आरबीआई?