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Warren Buffett ने लिपस्टिक बनाने वाली कंपनी में लगाए पैसे, क्यों डर रही दुनिया?

लिपस्टिक और आर्थिक मंदी के बीच गहरा नाता है और यह बात पिछली एक सदी में कई बार साबित हो चुकी है। अर्थव्यवस्था जब अच्छा कर होती है तो महिलाएं अमूमन कपड़े और पर्स जैसी चीजें खरीदती हैं। लेकिन मंदी के वक्त महिलाएं लिपस्टिक ज्यादा खरीदती हैं। दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे ने एक लिपस्टिक बनाने वाली कंपनी में पैसे लगाए हैं। इससे दुनियाभर निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 20 Aug 2024 03:17 PM (IST)
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मंदी के वक्त में लोग छोटी-छोटी चीजों में खुशियां तलाशते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में पिछले कुछ समय से आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही थी। इसके चलते दुनियाभर के शेयर मार्केट भी क्रैश हुए थे। अब बेरोजगारी और महंगाई से जुड़े आंकड़े बेहतर होने से मंदी का खतरा कुछ हद तक चला गया है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। कुछ अर्थशास्त्रियों का तो मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले ही मंदी में जा चुकी है।

इस बीच अमेरिकी अरबपति और दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे ने कुछ ऐसा किया है, जिससे दुनियाभर के निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। वॉरेन बफे ने पहले एपल समेत कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर अपनी नकदी का भंडार बढ़ाया, जो तकरीबन 277 अरब डॉलर तक पहुंच गया। और अब उन्होंने एक कॉस्मेटिक कंपनी अल्ट्रा ब्यूटी इंक (Ulta Beauty Inc) में निवेश किया है।

कॉस्टमेटिक ब्रांड में निवेश से चिंता क्यों?

अल्ट्रा ब्यूटी इंक दूसरे सौंदर्य प्रसाधन के साथ लिपस्टिक बनाने के लिए भी मशहूर है। अमूमन माना जाता है कि मंदी के दौरान ज्यादातर प्रोडक्ट्स की बिक्री घट जाती है, लेकिन लिपस्टिक की सेल में जोरदार इजाफा है। यह कई बार आजमाया फॉर्मूला है, जो अक्सर सटीक साबित होता है। इसकी पैमाइश के लिए लिपस्टिक इंडेक्स भी बना है, जो पिछले कुछ समय में काफी मशहूर हुआ है। दुनियाभर के निवेशकों को लग रहा कि वॉरेन बफे ने मंदी का अंदाजा लगा लिया, इसलिए उन्होंने लिपस्टिक बनाने वाली कंपनी में पैसा लगाया है।

लिपस्टिक का आर्थिक मंदी से नाता

अमेरिका का एक प्रतिष्ठित लिपस्टिक ब्रांड है, इस्टी लाउडर (Estee Lauder)। इसके चेयरमैन लियोनार्ड लाउडर (Leonard Lauder) ने साल 2000 की मंदी में नोटिस किया कि अधिकतर प्रोडक्ट की सेल सुस्त है, लेकिन लिपस्टिक धड़ाधड़ बिक रही है। यही चीज 1929 से 1933 के ग्रेट डिप्रेशन में भी दिखी। उस महामंदी में भी औद्योगिक उत्पादों का प्रोडक्शन ध्वस्त हो गया था, जबकि कॉस्टेमिक का उत्पादन बढ़ा था। यही चीज 2008 की वैश्विक मंदी में भी नजर आई।

मंदी में क्यों बढ़ती है लिपस्टिक की बिक्री

कई रिसर्च बताती हैं कि अर्थव्यवस्था जब बहुत अच्छा करती है, तो महिलाएं कपड़े, जूती या फिर पर्स जैसी चीजें अधिक खरीदती हैं। लेकिन, मंदी के वक्त लिपस्टिक की खरीदारी अधिक करती हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि लिपस्टिक महिलाओं के लिए सुंदर दिखने का सबसे किफायती तरीका है, जो उनकी शख्सियत में निखार ला देता है। बाकी अधिकतर सौंदर्य प्रसाधन महंगे होते हैं, जिन्हें महिलाएं मंदी के दौर में खरीदने से बचती हैं।

लिपस्टिक खरीदने का मनोविज्ञान क्या है?

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आर्थिक मंदी के वक्त चौतरफा तनाव होता है। ऐसे में लोग छोटी-छोटी चीजों में खुशियां तलाशने लगते हैं। वे कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जो उनका तनाव कम करे और खुशी दे। फिर चाहे कुछ ही देर के लिए। यही वजह है कि महिलाएं लिपस्टिक खरीदती हैं, क्योंकि इससे चेहरा चटक दिखता है। इसी तरह लॉकडाउन में शराब और चॉकलेट बिक्री में भी उछाल आया था, क्योंकि हर शख्स के लिए खुशी का जरिया अलग-अलग हो सकता है।

अंडरवियर की बिक्री से भी मंदी की आहट

लिपस्टिक की तरह ही अंडरवियर की बिक्री का आंकड़ा भी अर्थव्यवस्था के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देता है। अमेरिकी अर्थशास्त्री एलन ग्रीनस्पैन के मुताबिक, अगर उपभोक्ता अंडरवियर जैसी छोटी चीज भी नहीं खरीद रहे, तो इसका मतलब कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं। ऐसे में वे उन्हीं चीजों को खरीदेंगे, जो बेहद जरूरी होंगी और यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं होता। उन्होंने इसी आधार पर 1970 के दशक में मंदी का सटीक अंदाजा लगाया था।

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