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SIP बंद करने वालों की क्यों बढ़ रही तादाद, किस बात का है खौफ?

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को जादुई रिटर्न देने वाला निवेश माना जाता है। यह आम निवेशकों को लंबी अवधि में रईस बनाने वाले रास्ते के रूप में मशहूर है। लेकिन पिछले महीने लोगों ने रिकॉर्ड संख्या में अपनी एसआईपी बंद की है। जबकि इसी दौरान एसआईपी में रिकॉर्ड निवेश भी आया है। आइए जानते हैं कि लोग बड़ी संख्या में अपनी एसआईपी बंद क्यों करा रहे हैं।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Published: Fri, 14 Jun 2024 03:00 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2024 03:00 PM (IST)
एक्सपर्ट का मानना है कि जब कोई गंभीर वित्तीय मजबूरी हो, तभी सिप बंद करनी चाहिए।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड के सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है। आर्थिक जगत की प्रभावशाली हस्तियां भी लॉन्ग टर्म में इसके रिटर्न की मुरीद हैं। पिछले दो महीने यानी अप्रैल और मई से एसआईपी यानी सिप में लगातार 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश आ रहा है। मई में तो यह बढ़कर 20,904 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

लेकिन, इसी दौरान SIP Stoppage Ratio यानी सिप बंद करवाने वालों की संख्या में रिकॉर्ड उछाल आया है। सिप स्टॉपेज रेशियो नए सिप अकाउंट खुल के मुकाबले बंद होने वाले खातों के प्रतिशत को बताता है। मई में सिप स्टॉपेज रेशियो 88.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया, जो इसका नया रिकॉर्ड हाई है। इसका मतलब कि अगर 100 लोगों ने नए सिप अकाउंट खुलवाए, तो 88 लोगों ने बंद कराए या उनकी सिप का टेन्योर पूरा हो गया।

आइए जानते हैं कि सिप के जरिए निवेश लगातार बढ़ने और दमदार रिटर्न मिलने के बावजूद SIP अकाउंट बंद कराने वालों की संख्या क्यों बढ़ रही है। क्या लोग मार्केट से जुड़े जोखिम के चलते घबरा रहे हैं या किसी और काम के लिए सिप अकाउंट की रकम का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सिप से जुड़े नियमों में बदलाव

कैपिटल रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने सिप से जुड़े में कुछ बदलाव किए है। सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, अब अगर कोई निवेशक अपनी सिप की लगातार तीन किस्तें चूकता है, तो उसकी सिप को रद्द मान लिया जाएगा। पहले यह म्यूचुअल फंड पर था कि वे किसी निवेशक के सिप अकाउंट को कब रद्द करार दें। इससे ऑटोमैटिक उन सिप को रद्द मान लिया गया, जिनमें पिछले तीन महीने से निवेश नहीं आ रहा था।

लोकसभा चुनाव की हलचल

लोकसभा चुनाव के एलान के साथ ही इक्विटी मार्केट में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिली। खासकर, शुरुआती चरण में कम वोटिंग के बाद विदेशी निवेशकों ने ताबड़तोड़ बिकवाली शुरू कर दी। अस्थिरता के इस माहौल में म्यूचुअल फंड ने भी सिप खोलने के लिए अपने मार्केटिंग अभियान पर ज्यादा जोर नहीं दिया। वहीं, कई निवेशकों ने भी शेयर मार्केट की उथलपुथल से घबराकर अपनी सिप को भुना लिया।

बजट की भी अहम भूमिका

केंद्र की नई सरकार जुलाई में अपना पहला बजट पेश करेगी। इसमें कई नियमों और टैक्स में बदलाव की संभावना है। ऐसे में बहुत से लोग बजट से पहले अपने लॉन्ग टर्म प्लान पर अमल करना चाहते हैं, जैसे कि घर या फिर गाड़ी खरीदना। शेयर मार्केट की अस्थिरता ने भी उन्हें सिप भुनाकर घर या गाड़ी खरीदने की ओर प्रोत्साहित किया। साथ ही, ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जिन्होंने स्टॉक मार्केट की गिरावट का फायदा उठाने के लिए अपनी सिप को भुनाकर खुद ही निवेश करने का फैसला किया।

क्या सिप बंद करना सही है?

एक्सपर्ट का मानना है कि जब तक आपके सामने कोई गंभीर वित्तीय मजबूरी नहीं है, आपको सिप बंद नहीं करनी चाहिए। खासकर, मार्केट की गिरावट से घबरा तो बिल्कुल भी नहीं। उलटे मार्केट में गिरावट के वक्त सिप जारी रखने से लंबी अवधि में आपको फायदा होता है, क्योंकि गिरावट के समय में शेयर कम कीमत मिलते हैं और म्यूचुअल खरीदारी बढ़ाते हैं, जिसका लंबे में आपको फायदा मिलता है। इससे जो शेयर महंगे में खरीदे गए थे, उनकी कॉस्ट एवरेजिंग कम करने में भी मदद मिलती है।

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