यस बैंक के शेयरों में क्यों नहीं आ रहा उछाल, क्या यहां फंसा है मामला?
प्राइवेट सेक्टर का यस बैंक साल 2020 की शुरुआत में डूबने की कगार पर पहुंच गया था। इसे बचाने के लिए आरबीआई ने स्थानीय बैकों का एक ग्रुप बनाया और उन्होंने निवेश करके यस बैंक बचाया। SBI के पास यस बैंक में सबसे अधिक 24 फीसदी हिस्सेदारी है। SBI अब यस बैंक से बाहर निकलने की तैयारी में है। लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते डील मुश्किल हो सकती है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक का शेयर काफी समय से सुस्त पड़े हैं। पिछले 6 महीने में स्टॉक ने सिर्फ 2.63 फीसदी का मुनाफा दिया है। एक महीने की बात करें, तो निवेशकों को करीब चार फीसदी का नेगेटिव रिटर्न मिला है। दरअसल, यस बैंक में एसबीआई अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में है। उसे आरबीआई ने इजाजत भी दे दी है।
लेकिन, यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के इच्छुक बोलीदाता 51 फीसदी स्टेक खरीदना चाहते हैं, लेकिन यह बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई के नियमों के खिलाफ है और वह इसकी मंजूरी नहीं दे रहा। अगर यह डील हो जाती, तो मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार यस बैंक के शेयरों में तेजी आने की उम्मीद थी।
क्या यस बैंक में हिस्सेदारी नहीं बिकेगी?
निजी क्षेत्र के यस बैंक में हिस्सेदारी खरीद की प्रक्रिया बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने पर बोलीदाताओं के जोर देने की वजह से खतरे में पड़ सकती है। समाचा एजेंसी पीटीआई ने इस पूरे घटनाक्रम से परिचित एक व्यक्ति से पूछा कि क्या चालू वित्त वर्ष के अंत तक यह सौदा पूरा हो जाएगा, तो उन्होंने कहा कि सौदा फंस सकता है।
सूत्र के मुताबिक, आरबीआई इस बात से असहज है कि एक विदेशी संस्था के पास यस बैंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्था में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। जापान की एसएमबीसी और अमीरात एनबीडी के रूप में दो बोलीदाता मैदान में हैं। यस बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने वाले दोनों दावेदार सीधे आरबीआई से बात कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक इसका स्वामित्व नियंत्रण देने के लिए तैयार नहीं है।
क्या हैं बैंक में हिस्सेदारी के नियम?
मौजूदा नियमों के मुताबिक, किसी भी बैंक में किसी इकाई के पास अधिकतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति है और इस सीमा से अधिक हिस्सेदारी वाले मामलों में इसे कम करने के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित की गई है। सूत्र ने कहा कि इस सौदे से संबंधित 'उपयुक्त और उचित' पहलुओं पर कोई प्रगति नहीं हुई है।यस बैंक को वित्तीय संकट में फंसने के बाद वर्ष 2020 में एक विशेष सौदे के तहत बाहर निकाला गया था। इसके तहत एसबीआइ के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के एक समूह ने यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदी थी। बैंक में सर्वाधिक 24 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला एसबीआइ वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक हिस्सेदारी बेचना चाहता है।
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