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Non-Basmati Rice Export पर बैन से दुनिया में मची हलचल, भारत सरकार ने क्यों उठाया ये कदम

20 जुलाई को भारत सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया जिससे दुनिया भर में खलबली मच गई। यह निर्णय बासमती किस्म के अलावा अन्य सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए था। इस फैसले के बाद दुनिया भर के बड़े संगठनों को वैश्विक महंगाई का डर सताने लगा। आज जानिए की आखिर क्यों भारत ने चावल के प्रतिबंध का फैसला लिया और दुनिया में क्यों हलचल मची है।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Fri, 28 Jul 2023 04:15 PM (IST)
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Why the ban on Non-Basmati Rice Export created a stir in the world?
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: 20 जुलाई को भारत सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया जिससे पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है। वो फैसला था गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना। इस फैसले के बाद से दुनिया भर के बड़े संगठन को ग्लोबल मुद्रास्फीती का डर सता रहा है।

हाल ही में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत से प्रतिबंध हटाने की भी बात कही थी। आईएमएफ ने यह आशंका जताई थी की प्रतिबंध की वजह से ग्लोबल मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।

पिछले कुछ दिनों में, चावल का स्टॉक करने के लिए अमेरिकी और कनाडाई दुकानों में कतार में लगे एनआरआई के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि एनआरआई भारत से चावल के बैग अपने साथ वापस ले जा रहे हैं। तो आखिर भारत के इस एक फैसला से दुनिया में इतना हलचल क्यों है और चावल को लेकर विदेशों में हो क्या रहा है।

भारत ने क्यों लगाया है प्रतिबंध?

सबसे पहले जानिए आखिर भारत ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगाया है। आपको बता दें कि भारत सरकार ने प्रतिबंध का फैसला घरेलू मजबूरियों को देखते हुए लिया था।

दरअसल देर से आई मॉनसून और भारी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे पूरे भारत में चावल की कीमतें बढ़ गई हैं। इसे देखते हुए भारत सरकार ने मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।

भारत के फैसले से दुनिया में खलबली क्यों?

अब आप सोच रहे होंगे चलो ठीक है भारत ने अपने देश में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए यह कदम उठाया तो आखिर इस कदम से दुनिया में हलचल क्यों है तो आपको बता दें कि भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है और वास्तव में दुनिया के चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। स्वाभाविक है कि इतने बड़े निर्यातक का चावल के निर्यात को बैन करने का फैसला खलबली मचाने वाला है।

कनाडा और यूएस में लोगों के बीच घबराहट

भारत के इस फैसले के बाद कनाडा और यूएस से ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि एनआरआई विशेषकर तेलुगु समुदाय के लोगों के बीच घबराहट है और वो चवाल की खरीदारी कर उसे स्टॉक कर रहे हैं। ट्विटर पर एक वीडियो के मुताबिक, डलास, टेक्सास से, भारतीयों को सुपरमार्केट और दुकानों में लगभग चावल के बैग जमा करते हुए देखा जा सकता है।

बासमती चावल को भी एनआरआई कर रहे हैं जमा

आप घबराहट का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि है प्रवासी भारतीय बासमती चावल को भी स्टॉक कर रहे हैं जिसे भारत ने प्रतिबंध नहीं किया है।

मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका

भारत के चावल निर्यात प्रतिबंध से प्रवासी भारतीयों को उनकी पसंदीदा चावल की किस्म नहीं मिलने से कहीं अधिक गंभीर संकट पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है। इससे दुनिया भर में मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका भी पैदा हो गई है। 25 जुलाई को, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने एक संवाददाता सम्मेलन में इन आशंकाओं को व्यक्त किया था।

भारत ने प्रतिबंध को बताया सही

भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि

भारतीय बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार ने निर्यात नीति में संशोधन किया है।

बयान में यह भी बताया गया कि 12 महीनों में चावल की खुदरा कीमतों में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

भारत के चावल निर्यात के बारे में कुछ तथ्य

पिछले साल देश से 55.4 मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात हुआ था। इसके अलावा पिछले साल भारत ने 17.86 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया था, जिसमें से 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल था।