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NFT की खरीद और बिक्री के लिए एथेरियम क्यों है सबसे पॉप्युलर, जानें पूरी डिटेल

Importance of Ethereum एथेरियम पहला स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट-इनेबल्ड नेटवर्क था। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम से किसी चीज की ओनरशिप को हासिल करना आसान हो गया। साथ ही इसने ओनरशिप को दूसरे को ट्रांसफर करना भी आसान बना दिया।एथेरियम ने एक टोकन स्टैंडर्ड बनाया जिसे ERC-721 नाम से जाना गया।

By Saurabh VermaEdited By: Updated: Mon, 20 Jun 2022 08:00 AM (IST)
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Photo Credit - Ethereum Block Chain File Photo
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। नॉन-फंजिबल टोकन यानी (NFTs) ने आज से करीब 5 साल पहले 2017 में डेब्यू किया था। उस वक्त बाकी क्रिप्टो करेंसी की तरह एनएफटी ने खरीददारों की तरफ अपना ध्यान खींचा। तभी से एनएफटी मार्केट में तेजी का रुख जारी है। एनएफटी मार्केट में तेजी की मुख्य वजह एथिरियम बना हुआ है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर क्यों एथेरियम ही NFTs में सबसे डिमांडिंग है? और क्यों ज्यादातर NFTs ट्रांजैक्शन एथिरियम ब्लॉकचेन पर बेस्ड हो रहे हैं? क्या एथिरियम एक अकेला ऐसा रास्ता है, जहां से एनएफटी को बनाया जा सकता है? इन सारे सवालों के जवाब जानेंगे आज के आर्टिकल में.. 

अकेला ब्लॉकचेन नहीं है एथेरियम 

ऐसा नहीं है कि एथेरियम ही एनएफटीज के लिए अकेली ब्लॉकचेन है। मार्केट में अन्य ब्लॉकचेन जैसे सोलाना (Solana), कार्डोनो (Cardano), और बीएनबी चेन (BNB Chain) तकनीक मौजूद हैं, जो कि एनएफटी होस्ट करती हैं। यूजर्स एनएफटी की बिक्री और खरीददारी और डिजिटल एसेट्स का कारोबार SOL, ADA, BNB और अन्य टोकन के इस्तेमाल से कर सकते हैं।

डिजिटल एसेट्स की दुनिया में क्रांति की वजह बना एथेरियम 

एथेरियम पहला स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट-इनेबल्ड नेटवर्क था। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम से किसी चीज की ओनरशिप को हासिल करना आसान हो गया। साथ ही इसने ओनरशिप को दूसरे को ट्रांसफर करना भी आसान बना दिया।एथेरियम ने एक टोकन स्टैंडर्ड बनाया, जिसे ERC-721 नाम से जाना गया। इसे खासतौर पर NFTs की माइनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल पूरी कहानी यह है कि एथिरियम ने NFTs के लिए बुनियाद तैयार की, जिससे डिजिटल एसेट्स की दुनिया में क्रांति आ गई, जिसकी वजह से एथेरियम ब्लॉकचेन एनएफटी के लिए  काफी पॉप्युलर हो गया। 

मार्केट लीड का फायदा ले रहा एथेरियम 

एथेरियम ने शुरुआत में ही मार्केट में लीड हासिल कर ली। एथेरियम ने एक वॉलेट मेटाटॉस्क बनाया, जिसे NFTs के एथिरियम वर्चुअल मशीन (EVM) के साथ कम्पैटिबल किया गया। यह केवल एथिरियम बेस्ड एनएफटीज को ही सपोर्ट करती है। बता दें कि EVM एक डिसेंट्रलाइज्ड कंप्यूटर की तरह काम करता है। यह एक वर्चु्अल मशीन है, जो लाखों-करोड़ों प्रोजेक्ट को हैंडल करता है, जो एथेरियम नेटवर्क पर बनाए जाते हैं। यह एक बेडरॉक्स एथिरियम का ऑपरेटिंग स्ट्रक्चर है। यही कारण है कि NFT बनाने वालों को मालूम होता है कि उनका प्रोजेक्ट EVM के साथ कम्पैटिबल होगा।

एथेरियम के पास बड़ा नेटवर्क है मौजूद 

एथेरियम एकमात्र ब्लॉकचेन थी, जो डिजिटल एसेट्स को सपोर्ट करती थी। ऐसे में जल्द ही बड़े पैमाने पर कई एथेरियम-बेस्ड एनएफटी मार्केटप्लेस जैसे रारिबल, ओपनसी और निफ्टी गेटवे बन गए। एथेरियम डिजिटल टोकन बनाने और व्यापार करने का अकेला ऑप्शन नहीं है। लेकिन इतना जरूर है कि एथेरियम NFT की दुनिया का लीडर है। इसके पास खरीदारों का एक व्यापक नेटवर्क भी है।

पर्यावरण नुकसान और बिजली खपत, ज्यादी फीस बनीं मुसीबत 

एथिरियम की पॉप्युलैरिटी उसके लिए बाधा की वजह भी बनी है। इस प्लेटफॉर्म पर काफी ट्रैफिक रहता है। इस ट्रैफिक की वजह लेनदेन के लिए ज्यादा फीस देनी होती है। दरअसल ट्रैफिक की वजह से लेनदेन में समय लगता है। साथ ही कई बार नेटवर्क डाउन हो जाता है। लेनदेन में लगने वाले वक्त को बचने के लिए लेनदेन की प्रॉयरिटी सेट करनी होती है, जिसके लिए ज्यादा फीस देनी होती है। इसके अलावा पर्यावरण एक मुद्दा बना हुआ है। शोध के मुताबिक सालाना तौर पर एथेरियम जितनी बिजली खपत करता है, वो कई देशों की कुल बिजली की खपत से ज्यादा है।

क्या एथिरियम अकेला खिलाड़ी है?

नहीं, सोलाना ब्लॉकचेन की तरफ से एथेरियम को जोरदार टक्कर मिल रही है। आपको बता दें कि एथेरियम के 13 ट्रांजैक्शन के मुकाबले सोलाना प्लेटफॉर्म पर एक सेकेंड में 60,000 ट्रांजैक्शन होते हैं। साथ ही सोलाना की ट्रांजैक्शन फीस भी काफी कम है। इसके अलावा सोलाना कम मात्र में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। Solana ब्लॉकचेन ने डेली एनएफटी लेनदेन के मामले में एथेरियम को 24 मई 2022 को पहली बार पीछे छोड़ दिया था।