Onion Diplomacy: वैक्सीन के बाद भारत की प्याज डिप्लोमेसी, सिर्फ चुनिंदा देशों को ही क्यों कर रहा निर्यात?
भारत ने पिछले करीब पांच महीने से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी उसने 6 देशों को प्याज भेजने अनुमति दे दी है। वहीं महंगी मानी जाने वाली सफेद प्याज भी मिडल-ईस्ट और कुछ यूरोपीय देशों को निर्यात की जा रही है। आइए जानते हैं कि सरकार देश में प्याज के बढ़ते दाम के बीच निर्यात की इजाजत क्यों दे रही है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने पिछले करीब पांच महीने से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी उसने 6 पड़ोसी देशों को प्याज भेजने मंजूरी दे दी है। वहीं, महंगी मानी जाने वाली सफेद प्याज भी मिडल-ईस्ट और कुछ यूरोपीय देशों को निर्यात की जा रही है।
भारत का चुनिंदा देशों को प्याज निर्यात करना इसलिए भी अहम है, क्योंकि भारत में इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले दिनों जारी हुए थोक महंगाई के आंकड़ों में भी यह चीज साफ दिखी। इसमें आलू के साथ प्याज के भाव में भी 50 प्रतिशत से अधिक इजाफा देखा गया।
ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार चुनावी सीजन के दौरान देश में प्याज का दाम बढ़ने का जोखिम उठाकर भी निर्यात में क्यों ढील दे रही है? क्या यह सरकार की प्याज डिप्लोमेसी है? इससे क्या हासिल होगा? आइए इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
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किन देशों को निर्यात होगा प्याज?
सरकार ने 6 देशों- बांग्लादेश, यूएई, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज निर्यात करने की अनुमति दी है। ये सभी देश भारत के पड़ोसी हैं और इनकी सामरिक और रणनीतिक अहमियत काफी ज्यादा है। इनके साथ भारत के कारोबारी संबंध भी काफी समृद्ध हैं।
ऐसे वक्त में जब चीन काफी आक्रामक विदेश नीति अपना रहा है, भारत के लिए पड़ोसी देशों को अपने पाले में रखना निहायत ही जरूरी हो गया है। चीन लगातार भूटान और श्रीलंका में अपने पांव जमाने की कोशिश कर रहा है। उसकी नजर बांग्लादेश पर भी है। ऐसे में भारत अपनी प्याज डिप्लोमेसी के जरिए इन सभी देशों को साधने की कोशिश कर रहा है।भारत ने इससे पहले मध्य पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों को 2,000 टन सफेद प्याज के निर्यात की भी इजाजत थी। इन देशों के साथ भारत का सालाना अरबों डॉलर का कारोबार होता है। भू-राजनीतिक तनाव का दुनियाभर के व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा, सप्लाई चेन भी प्रभावित हो रही। लेकिन, भारत अपनी प्याज डिप्लोमेसी के जरिए संदेश देना चाहता है कि उसे अपने घनिष्ठ सहयोगियों की फिक्र है।