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Onion Diplomacy: वैक्सीन के बाद भारत की प्याज डिप्लोमेसी, सिर्फ चुनिंदा देशों को ही क्यों कर रहा निर्यात?

भारत ने पिछले करीब पांच महीने से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी उसने 6 देशों को प्याज भेजने अनुमति दे दी है। वहीं महंगी मानी जाने वाली सफेद प्याज भी मिडल-ईस्ट और कुछ यूरोपीय देशों को निर्यात की जा रही है। आइए जानते हैं कि सरकार देश में प्याज के बढ़ते दाम के बीच निर्यात की इजाजत क्यों दे रही है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 30 Apr 2024 06:27 PM (IST)
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सरकार ने बांग्लादेश, यूएई, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को प्याज निर्यात करने की अनुमति दी है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने पिछले करीब पांच महीने से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी उसने 6 पड़ोसी देशों को प्याज भेजने मंजूरी दे दी है। वहीं, महंगी मानी जाने वाली सफेद प्याज भी मिडल-ईस्ट और कुछ यूरोपीय देशों को निर्यात की जा रही है।

भारत का चुनिंदा देशों को प्याज निर्यात करना इसलिए भी अहम है, क्योंकि भारत में इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले दिनों जारी हुए थोक महंगाई के आंकड़ों में भी यह चीज साफ दिखी। इसमें आलू के साथ प्याज के भाव में भी 50 प्रतिशत से अधिक इजाफा देखा गया।

ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार चुनावी सीजन के दौरान देश में प्याज का दाम बढ़ने का जोखिम उठाकर भी निर्यात में क्यों ढील दे रही है? क्या यह सरकार की प्याज डिप्लोमेसी है? इससे क्या हासिल होगा? आइए इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

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किन देशों को निर्यात होगा प्याज?

सरकार ने 6 देशों- बांग्लादेश, यूएई, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज निर्यात करने की अनुमति दी है। ये सभी देश भारत के पड़ोसी हैं और इनकी सामरिक और रणनीतिक अहमियत काफी ज्यादा है। इनके साथ भारत के कारोबारी संबंध भी काफी समृद्ध हैं।

ऐसे वक्त में जब चीन काफी आक्रामक विदेश नीति अपना रहा है, भारत के लिए पड़ोसी देशों को अपने पाले में रखना निहायत ही जरूरी हो गया है। चीन लगातार भूटान और श्रीलंका में अपने पांव जमाने की कोशिश कर रहा है। उसकी नजर बांग्लादेश पर भी है। ऐसे में भारत अपनी प्याज डिप्लोमेसी के जरिए इन सभी देशों को साधने की कोशिश कर रहा है।

भारत ने इससे पहले मध्य पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों को 2,000 टन सफेद प्याज के निर्यात की भी इजाजत थी। इन देशों के साथ भारत का सालाना अरबों डॉलर का कारोबार होता है। भू-राजनीतिक तनाव का दुनियाभर के व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा, सप्लाई चेन भी प्रभावित हो रही। लेकिन, भारत अपनी प्याज डिप्लोमेसी के जरिए संदेश देना चाहता है कि उसे अपने घनिष्ठ सहयोगियों की फिक्र है।

भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी

कोरोना काल में दुनियाभर के तमाम विकसित देशों का ध्यान सिर्फ अपनी जनता को महामारी से बचाने पर था। वैक्सीन बनने के बाद अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी युद्धस्तर पर अपनी जनता का टीकाकरण कर रहे थे। वहीं, गरीब देशों का ख्याल किसी को नहीं था।

लेकिन, भारत ने ना सिर्फ अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण किया, बल्कि कई गरीब देशों को मुफ्त वैक्सीन भी दी। पीएम मोदी ने इसे 'वैक्सीनमैत्री' नाम दिया। इसके तहत भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, सेशेल्स, अफगानिस्तान, श्रीलंका और मॉरीशस को कोरोना वैक्सीन दी।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WTO) समेत दुनियाभर के देशों ने वैक्सीन डिप्लोमेसी लिए भारत की खुले मन से तारीफ भी की।

आम भी डिप्लोमेसी का जरिया

भारत हमेशा से दूसरे देशों के साथ संबंध बेहतर करने के लिए इस तरह की डिप्लोमेसी का सहारा लेता आया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू 1950 के दशक में विदेश से आने वाले सभी खास मेहमानों को आम का तोहफा जरूर देते थे। साथ ही वह दूसरे देशों के दौरे पर भी आम के पौधे साथ लेकर जाते।

चीन के उस वक्त के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने नेहरू के जन्मदिन पर कुछ कीमती उपहार भेजे। नेहरू ने इसके जवाब में एअर इंडिया की फ्लाइट से चीन को चौसा, दशहरी, लंगड़ा और अल्फांसो जैसे आमों के पौधे भेजे। पाकिस्तान के फौजी तानाशाह जिया उल-हक को काफी बदनाम शख्यित समझा जाता है। लेकिन, उन्होंने भी भी एक बार इंदिरा गांधी को अनवर रतौल आम भेजे थे।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को आम भेजे थे। यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी पीएम मोदी को तोहफे में आम भेज चुके हैं।

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