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महंगाई पर काबू पाना हो रहा मुश्किल; सब्जियों के बाद गेहूं के भी बढ़े भाव, चीनी में भी तेजी की सुगबुगाहट

जून में भी खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतों में राहत मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि अरहर या तुअर दाल की खुदरा कीमत बाजार में 200 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुकी है। निर्यात पर रोक हटने के बाद प्याज के खुदरा दाम 40-60 रुपये किलो हो गए हैं। गेहूं का MSP 2275 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन खुले बाजार में गेहूं 2600 रुपये क्विंटल बिक रहा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 17 Jun 2024 10:30 PM (IST)
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अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 8.70 प्रतिशत तो मार्च में 8.52 प्रतिशत थी।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर काबू में नहीं आ रही है और इसमें दाल, प्याज, गेहूं, आलू जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतें प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। गत मई की खुदरा महंगाई दर 4.75 प्रतिशत दर्ज की गई, लेकिन खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 8.69 प्रतिशत रही। इस साल अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 8.70 प्रतिशत तो मार्च में 8.52 प्रतिशत थी।

महंगाई से राहत के आसार नहीं

जून में भी खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतों में राहत मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि अरहर या तुअर दाल की खुदरा कीमत बाजार में 200 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुकी है। निर्यात पर रोक हटने के बाद प्याज के खुदरा दाम 40-60 रुपए प्रति किलोग्राम हो गए हैं। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन खुले बाजार में गेहूं 2600 रुपए प्रति क्विंटल की दर बिक रहा है।

गेहूं की कमजोर खरीदारी की वजह से सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक 299 लाख टन के पास है जबकि पिछले साल जून के आरंभ में यह स्टॉक 313 लाख टन से अधिक था। मतलब यह है कि आने वाले महीनों में गेहूं के दाम भी बढ़ सकते हैं। यही वजह है कि रबी की नई फसल के बावजूद मई में गेहूं समेत सभी अनाज की खुदरा कीमत में 8.69 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।

सप्लाई बढ़ाकर कीमत पर रोक के लिए दाल का भारी मात्रा में आयात किया जा रहा है। इस साल अप्रैल में दाल के आयात में 172 प्रतिशत तो मई में 176 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही, लेकिन दाल की खुदरा कीमत लगातार बढ़ रही है। मई में यह बढ़ोतरी दर 17.14 प्रतिशत की रही। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल कहते हैं कि अब अफ्रीका में मौसम ठीक रहा तो दाल की कीमत में कुछ नरमी आ सकती है क्योंकि जुलाई में जिम्बाब्वे, कीनिया जैसे देशों से तुअर दाल का आयात किया जाना है।

प्याज भी रूला रहा महंगाई के आंसू

महाराष्ट्र के प्याज किसानों की मांग पर मई माह में चुनाव के दौरान प्याज के निर्यात पर रोक को हटा लिया गया और उसके बाद से प्याज की खुदरा कीमत बढ़ रही हैं। अब प्याज के खुदरा भाव 40-60 रुपए प्रति किलोग्राम तक चले गए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई में प्याज के थोक मूल्य में पिछले साल मई की तुलना में 58.05 प्रतिशत तो आलू के थोक भाव में 64.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

इन सबके अलावा चीनी की खुदरा कीमतों में भी तेजी का रुख शुरू हो गया है और अब चीनी उत्पादक संघ चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को 32 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 42 रुपए प्रतिकिलो ग्राम करने की मांग कर रहे हैं। मई में चीनी के खुदरा दाम में पिछले साल मई के मुकाबले 5.70 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।

आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही तो खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत के पास लाना आसान नहीं होगा। आरबीआई बार-बार खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत तक लाने की कोशिश का जिक्र करता है। ऐसे में, अगस्त में होने वाली आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में बैंक दरों में किसी कटौती की संभावना नहीं रह जाएगी।

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