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Hindustan Zinc के शेयरों में क्यों थम नहीं रही गिरावट, कहां तक आ सकता है भाव?

अनिल अग्रवाल का वेदांता ग्रुप ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए हिंदुस्तान जिंक में अपनी 3.17 फीसदी हिस्सेदारी बेच रहा है। OFS में स्टॉक की कीमत 486 रुपये है। यही वजह है कि हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है और अब बाजार भी OFS वाली कीमत के आसपास आ गया है। आइए जानते हैं कि वेदांता ग्रुप अपनी सब्सिडियरी कंपनी में हिस्सेदारी क्यों बेच रहा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 19 Aug 2024 03:12 PM (IST)
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जून तिमाही के अंत तक वेदांता लिमिटेड के पास हिंदुस्तान जिंक में 64.92 फीसदी हिस्सेदारी थी।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc Shares) के स्टॉक में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। अनिल अग्रवाल के मालिकाना हक वाली इस कंपनी का शेयर मई में 808 रुपये के अपने ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया था। लेकिन, उसके बाद से इसमें लगातार करेक्शन देखने को मिला। चार दिन में इसका भाव करीब 20 फीसदी तक गिर चुका है। सोमवार को भी इसके शेयरों में 4 फीसदी से अधिक गिरावट आई और इसका भाव मई के बाद पहली बार 500 रुपये के नीचे आया।

क्या है गिरावट की वजह?

दरअसल, हिंदुस्तान जिंक की प्रमोटर वेदांता (Vedanta) ने ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के जरिए कंपनी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने का एलान किया। तभी से हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी है। अब यह 486 रुपये के अपने ऑफर फॉर सेल के फ्लोर प्राइस के करीब आ गया है। रिटेल निवेशकों के लिए वेदांता का OFS सोमवार (19 अगस्त) को खुला। वहीं, बाकी निवेशकों के लिए यह 16 अगस्त से खुला है।

जून तिमाही के अंत तक वेदांता लिमिटेड के पास हिंदुस्तान जिंक में 64.92 फीसदी हिस्सेदारी थी। वहीं, भारत सरकार के पास 29.54 फीसदी स्टेक था। बाकी हिस्सेदारी रिटेल इन्वेस्टर्स के पास थी।

हिस्सेदारी क्यों बेच रही वेदांता?

अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की वेदांता पर भारी कर्ज का बोझ है। इसे कम करने के लिए वह 2.5 अरब डॉलर तक जुटाने की कोशिश में है। हिंदुस्तान जिंक में हिस्सेदारी बेचना वेदांता के उसी कर्ज घटाने वाले प्लान का हिस्सा है। वेदांता ने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए 8,500 करोड़ रुपये जुटाने के बाद अब अपने स्टील बिजनेस को बेचने के प्लान को फिलहाल रोक दिया है। इस रकम का इस्तेमाल ओकट्री कैपिटल, ड्यूश बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बकाया कर्ज को चुकाने में किया जाएगा।

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