बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय यूनियन सख्त, क्या टुकड़ों में बंटेंगी एपल, गूगल, मेटा और अमेजन?
एपल गूगल और मेटा जैसी बड़ी टेक कंपनियों की दुनियाभर में मुश्किलें बढ़ रही हैं। अमेरिका के बाद यूरोप में भी इनके खिलाफ रेगुलेटरी जांच हो रही है। भारत में डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून आ रहा है जिसका मकसद छोटी कंपनियों को फलने-फूलने का मौका देना है। अब सवाल उठता है कि बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ जांच क्यों हो रही है और दोषी पाए जाने पर क्या एक्शन लिया जाएगा?
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में सरकारें बड़ी टेक कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ने और छोटी कंपनियों को फलनेफूलने का मौका देने के लिए सख्ती बरत रही हैं। भारत सरकार भी डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून ला रही है, जो छोटी-बड़ी सभी कंपनियों को कारोबार के समान अवसर देगा। पिछले दिनों प्रस्तावित कानून का ड्रॉफ्ट भी जारी किया गया, जिस पर सभी पक्षकार 15 अप्रैल तक अपनी राय दे सकेंगे।
वहीं, अमेरिका और यूरोप में भी एंटी-ट्रस्ट रेगुलेटर ऐपल, मेटा और अमेजन जैसी बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहे हैं। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने अपने दबदबे का दुरुपयोग किया और छोटी कंपनियों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी माहौल बनाया। अमेरिका और यूरोप के एक्शन से अनुमान लगाया जा रहा है कि बाकी देशों में भी बड़ी कंपनियों के खिलाफ जांच हो सकती है।
बड़ी टेक कंपनियों की जांच क्यों हो रही है?
अमेरिका का फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) अमेरिका की चार बड़ी टेक कंपनियों- अमेजन, एपल, गूगल और मेटा के खिलाफ जांच कर रहा है। इन सभी पर अपने दबदबे का नाजायज फायदा उठाने का आरोप है।अमेरिकी और यूरोपीय रेगुलेटरों का दावा है कि ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स के आसपास ऐसा माहौल तैयार करती हैं कि यूजर्स के लिए प्रतिद्वंद्वी सेवाओं पर स्विच करना तकरीबन नामुमकिन हो जाता है। इसके लिए वॉल्ड गार्डन (Walled garden) शब्द का इस्तेमाल किया गया है यानी चारदीवारी वाला बगीचा।
Amazon, Meta, Google और Apple पर क्या आरोप हैं?
- ई-कॉमर्स सेक्टर की दिग्गज अमेजन (amazon) पर आरोप है कि इसने व्यापारियों पर दबाव डाला और अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने लायक माहौल तैयार किया। इस पर गैरकानूनी तरीके से ऑनलाइन रिटेल मार्केट के एक बड़े हिस्से पर एकाधिकार की कोशिश करने का भी आरोप है।- फेसबुक की मालिक मेटा ने इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को खरीदा था और यही कंपनी के गले की फांस बन रहा। मेटा पर आरोप है कि उसने वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम को इसलिए खरीदा, ताकि भविष्य में प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश ही ना रहे। जांच के बाद मेटा के शेयरों में गिरावट देखी गई है।- एपल पर आरोप है कि यह यूजर्स को आईफोन पर निर्भरता बनाए रखने के लिए मजबूर करती रही है। ऐसी भी रिपोर्ट्स आई थीं कि एपल नया आईफोन लॉन्च करने के बाद अपडेट के जरिए पुराने मॉडल्स की परफॉरमेंस स्लो कर देती है, जिससे वे नया मॉडल खरीदें। जांच की खबर के बाद एपल इंक के शेयरों में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी।
- गूगल पर गैरकानूनी तरीके से सर्च इंजन और विज्ञापनों पर मोनोपॉली का आरोप है। पिछले साल इस पर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी एकाधिकार के आरोप लगे थे। पिछले दिनों कंपनी की एआई टेक्नोलॉजी जेमिनी के सर्च रिजल्ट को लेकर भी विवाद हुआ। कहा गया कि ये सर्च रिजल्ट खास किस्म के पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं।