छोटी-सी कंपनी का IPO बन गया बड़े बवाल की वजह, सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल कंपनी के आईपीओ पर निवेशकों ने जबरदस्त प्यार लुटाया है। यह कंपनी दिल्ली में दो बाइक शोरूम चलाती है और इसमें बस 8 कर्मचारी काम करते हैं। इसके आईपीओ का सब्सक्रिप्शन 22 अगस्त से 26 अगस्त तक चला था। कंपनी आईपीओ से सिर्फ 12 करोड़ रुपये जुटाने वाली थी लेकिन बिडिंग 4800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। अब सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस खड़ी हो गई है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट में इस वक्त बुल रन चल रहा है, जिसे भुनाने के लिए कई कंपनियां अपना आईपीओ ला रही हैं। इन्हीं में से एक है, रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल (Resourceful Automobile IPO)। इस कंपनी के दिल्ली में यामाहा के सिर्फ दो शोरूम हैं, साहनी ऑटोमोबाइल्स ब्रांड के नाम से। इसमें सिर्फ 8 लोग काम करते हैं। कंपनी का आईपीओ से 12 करोड़ रुपये जुटाने का प्लान था 117 रुपये के प्राइस बैंड पर। इसकी लिस्टिंग 29 अगस्त को हो सकती है। यहां तक सब ठीक था, मसला हुआ आईपीओ के सब्सक्रिप्शन को लेकर।
अरबपति कारोबारी भाविश अग्रवाल के मालिकाना हक वाली ओला इलेक्ट्रिक मोबलिटी लिमिटेड पिछले दिनों अपना आईपीओ लाई थी। यह कंपनी फिलहाल घाटे में है, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल के बढ़ते चलन को देखते हुए इसका भविष्य अच्छा माना जा रहा है। लेकिन, ओला इलेक्ट्रिक को निवेशकों का बड़ा ठंडा रिस्पॉन्स मिला। इसकी लिस्टिंग आईपीओ के अपर प्राइस बैंड यानी 76 रुपये पर ही हुई।वहीं, रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के आईपीओ ने बोली के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। कंपनी को सिर्फ 12 करोड़ जुटाना था, लेकिन बोली मिली 4,800 करोड़ रुपये की। ग्रे मार्केट में 105 रुपये का प्रीमियम भी है। ऐसे में एक्सपर्ट हैरान हैं कि आखिर दो शोरूम और 8 कर्मचारियों वाली रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल में ऐसा क्या है, जो निवेशक इसके आईपीओ पर टूट पड़े हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग 'गड़बड़ी' का भी आरोप लगा रहे हैं।
क्या कह रहे सोशल मीडिया यूजर्स?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के आईपीओ को लेकर यूजर्स बंटे हुए हैं। कुछ इसे क्रेज बता रहे, तो कुछ पागलपन। यूजर्स का कहना है कि एसएमई सेगमेंट में जरूरत से ज्यादा निवेश हो रहा, क्योंकि इसमें 'गड़बड़ी' करने की गुंजाइश अधिक रहती है। कई बार इस गड़बड़ी को पकड़ पाना भी काफी मुश्किल होता है।
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने भी छोटी कंपनियों के आईपीओ में होने वाली धांधली और हेरफेर पर चिंता जताई थी। इसे रोकने के लिए उसने एसएमई की लिस्टिंग गेन पर 90 फीसदी की कैप लगा दी। इसका मतलब कि रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के आईपीओ का कितना भी जलवा हो, निवेशकों को लिस्टिंग पर 90 फीसदी से अधिक मुनाफा नहीं होगा।