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आम नागरिकों के खिलाफ होगा पुरानी पेंशन लागू करना, इंटरव्यू में बोले वित्त सचिव

वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन का कहना है कि ओपीएस लागू होने पर सरकारी बजट का अधिकतर हिस्सा सरकारी कर्मचारी की सैलरी और पेंशन में जाएगा और सरकार का काम यह हो जाएगा कि टैक्स जुटाओ और सरकारी कर्मचारियों को दे दो। यह नहीं है सरकार का काम। पेंशन का भार भविष्य की पीढ़ी पर पड़ेगा। बाद की सरकार पर पड़ेगा।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 25 Jul 2024 08:14 PM (IST)
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कंपनियां सीएसआर के फंड से बच्चों को कुशल करने का काम करें।

राजीव कुमार। केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में बदलाव करने के लिए एक कमेटी बनाई है। इसके हेड वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन हैं। सोमनाथन ने बजट के बाद दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में पुरानी पेंशन स्कीम और सब्सिडी जैसे मुद्दे पर खुलकर बात की।

प्रश्न: आप नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में बदलाव को लेकर बनाई गई कमेटी के चेयरपर्सन है, जैसी चर्चा है कि एनपीएस में अंतिम सैलरी का एक निश्चित भाग पेंशन के लिए निर्धारित हो सकता है तो क्या आप बता सकते हैं कि वह निश्चित भाग कितना होगा और सरकार पर उसका कितना वित्तीय भार पड़ेगा?

उत्तर: हमने यह गणना की है, लेकिन अभी हम आपको नहीं बता सकते हैं। लेकिन हमने पाया कि पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) वित्तीय रूप से मुमकिन नहीं है। मेरे ख्याल से यह कहीं से व्यावहारिक नहीं है, अगर यह अमल होता है तो सरकारी कर्मचारी के लिए अच्छा होगा, लेकिन साधारण नागरिक के खिलाफ होगा जो बहुसंख्यक है।

ओपीएस लागू होने पर सरकारी बजट का अधिकतर हिस्सा सरकारी कर्मचारी की सैलरी और पेंशन में जाएगा और सरकार का काम यह हो जाएगा कि टैक्स जुटाओ और सरकारी कर्मचारियों को दे दो। यह नहीं है सरकार का काम। पेंशन का भार भविष्य की पीढ़ी पर पड़ेगा। बाद की सरकार पर पड़ेगा। हालांकि एनपीएस को लेकर कर्मचारियों की जो न्यूनतम आशा है, उस पर अमल हो सकता है, हालांकि उससे भी लागत बढ़ेगी। एनपीएस उतनी बुरी स्कीम नहीं है जितना कर्मचारी समझते हैं। वे समझते हैं एनपीएस से उन्हें कुछ नहीं मिलेगा, ऐसा नहीं है।

प्रश्न: सब्सिडी में हमारा काफी अधिक व्यय हो जाता है, इस बार प्रमुख सब्सिडी में 3.81 लाख करोड़ का प्रविधान है, क्या हम सब्सिडी को कम नहीं कर सकते हैं, वित्त मंत्रालय क्या सोच रहा है?

उत्तर: सब्सिडी कम हो सकती है, हमारे पास कुछ तरीके हैं। काम हो रहा है।

प्रश्न: बजट में कहा गया है कि हर साल 500 कंपनियां 20 लाख बच्चों को कुशल बनाएंगी, ट्रेनिंग देंगी, तो क्या हर साल 4000 बच्चों को एक कंपनी ट्रेनिंग देगी और इस ट्रेनिंग का काम कब से शुरू होगा?

उत्तर: बजट में स्कीम की आउटलाइन दी गई है उसकी विस्तृत रूपरेखा तैयार करना बाकी है। कॉरपोरेट मामले के मंत्रालय व अन्य मंत्रालयों इसे करेंगे। इस वित्त वर्ष में इसका प्रारूप तैयार होगा और अगले वित्त वर्ष से काम शुरू हो जाएगा। बच्चों को कुशल बनाना कंपनी की जिम्मेदारी होगी। वह कंपनी अपनी सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनी में बच्चों को कुशल बनाता है या संबंधित किसी अन्य कंपनी में, यह उसकी जिम्मेदारी होगी।

ये कंपनियां अपने सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत 26,000 करोड़ रुपए खर्च करती है और इनमें से 12,000 करोड़ सिर्फ 100 कंपनियां खर्च करती है। इसलिए हमने कहा है कि ये कंपनियां सीएसआर के फंड से बच्चों को कुशल करने का काम करे। हालांकि प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बच्चों को जो भत्ता या स्टाइपेन मिलेगा उसका 90 प्रतिशत हिस्सा सरकार देगी, कंपनियां 10 प्रतिशत ही देंगी।

कंपनियों को सीएसआर के पैसे से बच्चों के प्रशिक्षण का इंतजाम करना होगा। ये बड़ी कंपनियां है, इसलिए गंभीरता से काम होगा। प्रशिक्षण के नाम पर किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी। कंपनियां कहती रहती है उन्हें योग्य प्रोफेशनल्स नहीं मिल रहे हैं, यह कमी भी दूर होगी।

प्रश्न: बजट में मैन्युफैक्चरिंग के प्रोत्साहन के लिए 100 शहरों में प्लग एंड प्ले सुविधा वाले पार्क लगाने की घोषणा की गई है, क्या है प्लग एंड प्ले सुविधा और किन-किन शहरों में इस पार्क को लगाया जाएगा?

उत्तर: प्लग एंड प्ले के तहत एक ही जगह पर निर्माण की सभी सुविधाएं पहले से मौजूद होगी। जैसे कोई बैट्री का निर्माण शुरू करना चाहते हैं तो आपको पहले जमीन लेनी होगी, बिजली, पानी लेना होगा, प्रदूषण व अन्य संबंधित का लाइसेंस लेना होगा। प्लग एंड प्ले में सबकुछ पहले से तैयार होगा, आप जाइए और काम शुरू कीजिए। उद्योग विभाग इसके लिए नोडल एजेंसी काम करेगा। किन-किन जगहों पर लगेगा, इस बारे में वे सही जानकारी दे सकेंगे।

प्रश्न: एमएसएमई ने बजट में 45 दिन से जुड़े भुगतान नियम को बदलने की मांग की थी, क्योंकि वह कह रहे हैं कि इससे उन्हें नुकसान हो रहा है?

उत्तर: हां, उन्होंने मांग की थी, लेकिन इस नियम को हम नहीं हटा रहे हैं। कुछ एमएसएमई इसे अच्छा बता रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि इससे हमारा आर्डर प्रभावित हो रहा है, इसलिए वे इस नियम में बदलाव की मांग कर रहे थे।

प्रश्न: लोगों का कहना कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में 80सी में की जाने वाली बचत पर मिलने वाली छूट से हम कुछ बचा रहे थे, क्योंकि आम लोगों के पास भविष्य के लिए कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है लेकिन सरकार टैक्स की नई व्यवस्था को प्रमोट कर रही है, इस पर क्या कहेंगे?

उत्तर: देखिए, एक तरफ किसी कटौती पर लोग कहते हैं कि हमारी सैलरी से कटौती क्यों कर रहे हैं। यह हमारा पैसा है। सरकार अब इस सोच पर काम नहीं कर रही है कि टैक्स छूट के लिए निवेश करो। टैक्स बचाने के लिए कई काम होते थे। अब यह नागरिक पर छोड़ देना चाहिए कि वह कहां निवेश करना चाहता है। अब एलआईसी, बैंक आकर बताएंगे कि हमारे यहां निवेश करो, आपको हम अधिक रिटर्न देंगे। इससे विकल्प खुलेगा।