क्या 75 फीसदी लोग बंद कर देंगे UPI का इस्तेमाल? सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा
देश में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (Unified Payment Interface -UPI) का चलन तेजी से बढ़ा है। ज्यादातर लोग छोटे-बड़े ट्रांजैक्शन के लिए UPI ऐप यूज कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी है यूपीआई का सुविधाजनक होने के साथ मुफ्त होना। फिलहाल यूपीआई ट्रांजैक्शन पर किसी तरह का चार्ज नहीं लिया जाता। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार इस पर चार्ज लगाने पर विचार कर रही है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। यूनिफाइड पेमेंट इंटरनेस (UPI) ने डिजिटल पेमेंट की दुनिया ही बदलकर रख दी। आज पान की दुकान से लेकर सब्जी के ठेले तक QR कोड स्कैनर लगे नजर आ जाते हैं, जिसकी मदद से आप चुटकियों में पेमेंट कर सकते हैं। यूपीआई अब हर 10 में से 4 लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। ऐसे में यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि यूपीआई के बगैर पेमेंट की दुनिया कैसी होगी।
इसके बावजूद 75 फीसदी लोग यूपीआई का इस्तेमाल बंद करने का इरादा रखते हैं। दरअसल, इस तरह की खबरें आई थी कि सरकार यूपीआई से लेनदेन पर टांजैक्शन फीस लगा सकती है। इस पर जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भी चर्चा हुई। हालांकि, काउंसिल ने अगली मीटिंग के लिए इस पर फैसला टाल दिया दिया।
यूपीआई का यूज बंद करेंगे लोग?
लोकलसर्किल्स (LocalCircles) के एक सर्वे में यूपीआई के बारे में कई दिलचस्प बातें निकलकर सामने आईं। सर्वे के मुताबिक, अगर यूपीआई के लेनदेन पर कोई शुल्क लगाया जाता है, तो तकरीबन 75 फीसदी यूजर्स इसका इस्तेमाल बंद करेंगे। सर्वे से यह भी पता चला कि 38 फीसदी लोग यूपीआई पर काफी ज्यादा निर्भर हैं। वे अपने टोटल ट्रांजैक्शन में से 50 फीसदी से अधिक यूपीआई के जरिए ही करते हैं। बाकी में डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या अन्य डिजिटल माध्यम हैं।यूपीआई 10 में से लगभग 4 यूजर्स के पेमेंट लाइफ का अभिन्न हिस्सा बन रहा है। वे यूपीआई पर किसी तरह के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लेनदेन शुल्क लगाए जाने के पक्ष में नहीं हैं। हम अपने सर्वे के निष्कर्षों को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास भेजेंगे, ताकि किसी भी एमडीआर शुल्क की अनुमति देने से पहले यूपीआई यूजर्स की नब्ज को ध्यान में रखा जा सके।
लोकलसर्किल्स, सर्वे एजेंसी