आय नहीं, निवेश पर लगता था एंजल टैक्स; क्या इसे हटाने से विदेशी निवेश लाने में मिलेगी मदद?
अगर कोई स्टार्टअप विदेश से कोई निवेश हासिल करता है तो उस निवेश को अन्य माध्यम से आय मानते हुए उस पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगता था जिसे एंजल टैक्स कहा जाता था। अपनी फेयर वैल्यू से जितनी अधिक राशि स्टार्टअप किसी एंजल निवेशक से जुटाता था उस पर एंजल टैक्स वसूला जाता था। लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। स्टार्टअप से एंजल टैक्स हटाने का मुद्दा लंबे समय से लंबित था और चूंकि यह कर देश में आने वाले निवेश पर लगाया जाता था और इस तरह के विदेशी निवेश पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। यह बात उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कही है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से विदेशी निवेश आकर्षित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
विवाद और मुकदमेबाजी में आएगी कमी
सिंह ने बताया, 'एंजल टैक्स का मुद्दा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ-साथ कर का भी मुद्दा था। दरअसल, यह आय पर नहीं बल्कि निवेश पर कर था और निवेश पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए और यही मूल विचार है।'' सिंह ने कहा कि इस फैसले से विवाद और मुकदमेबाजी भी कम होगी। निवेशक नए नवाचार पर निवेश करता है और यह कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है।
उन्होंने कहा, ''वास्तव में यह भारत में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को कम करता है।'' ऐसे निवेश से जुड़े मनी लॉन्डिंग संबंधी मुद्दों के बारे में अधिकारियों की चिंता पर सिंह ने कहा, 'इसके लिए पहले से कानून मौजूद है। आप एक, दो या तीन प्रतिशत लोगों से निपटने के लिए ऐसे 97 प्रतिशत लोगों पर बोझ डाल रहे हैं जो वास्तव में नवोन्मेषी है और एक विचार को मूर्तरूप देने के लिए निवेश प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।''
क्या था एंजल टैक्स का नियम
अगर कोई स्टार्टअप विदेश से कोई निवेश हासिल करता है तो उस निवेश को अन्य माध्यम से आय मानते हुए उस पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगता था, जिसे एंजल टैक्स कहा जाता था। अपनी फेयर वैल्यू से जितनी अधिक राशि स्टार्टअप किसी एंजल निवेशक से जुटाता है, उस पर एंजल टैक्स वसूला जाता था।
जैसे कि किसी स्टार्टअप की फेयर वैल्यू एक करोड़ है और वह 1.5 करोड़ रुपये एंजल निवेशकों से जुटाता है तो 50 लाख रुपये पर एंजल टैक्स लगता था। लेकिन, अब इसे खत्म कर दिया गया है।
FDI मंजूरी के लिए सख्त समयसीमा
डीपीआईआईटी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्तावों की मंजूरी के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों और विभागों के लिए सख्त समयसीमा तैयार बनाएगा। सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इन मंजूरियों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) है, लेकिन फिर भी देर हो रही है, क्योंकि एसओपी का पालन नहीं किया जा रहा है।
एफडीआई को सुविधाजनक बनाने और प्राथमिकता को बढ़ावा देने के लिए विदेशी निवेश के नियमों और विनियमों को सरल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्रालयों और विभागों को आवेदनों को प्राथमिकता देने और अनुमोदन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
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