रिजर्व बैंक ने विदेश से गोल्ड वापस मंगाया, क्या अब सस्ता होगा सोना? RBI गवर्नर ने दिया जवाब
सोना सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि इसकी कीमतें समय के साथ बढ़ती रहती हैं। साथ ही प्राचीन समय से इसे यूनिवर्सल करेंसी का दर्जा मिला है। यह किसी भी आर्थिक संकट से निपटने में मदद करता है। अब अगर आरबीआई देश में सारा सोना जमा रखता है तो किसी राजनीतिक उथलपुथल या कुदरती आफत के समय यह उसके हाथ से जा भी सकता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक पिछले कुछ समय से गोल्ड रिजर्व को युद्ध स्तर पर बढ़ा रहा है। इसका मकसद डॉलर पर निर्भरता घटाने के साथ मुद्रास्फीति से मुकाबले की तैयारी करना भी है। साथ ही, केंद्रीय बैंक ने पिछले दिनों ब्रिटेन के बैंक जमा अपने सोने को भी वापस देश में मंगाया था।
इससे कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा था कि गोल्ड रिजर्व बढ़ने और विदेश से अपना सोना वापस मंगाने से क्या देश में गोल्ड सस्ता हो सकता है। अब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने खुद स्थिति साफ की है।
उन्होंने कहा, 'रिजर्व बैंक ब्रिटेन से 100 मीट्रिक टन सिर्फ इसलिए वापस लाया है, क्योंकि भारत के पास पर्याप्त भंडारण क्षमता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं समझा जाना चाहिए।' आरबीआई गर्वनर के इस बयान से साफ है कि सोने के दाम नहीं घटने वाले।
गोल्ड रिजर्व बढ़ाने से सोना सस्ता क्यों नहीं होता?
अब मान लीजिए कि आपके पिताजी सोना खरीदकर लाते हैं और उसे तिजोरी में रख देते हैं। उनका इरादा है कि जब अचानक कोई मुसीबत आएगी, तो इस सोने का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि आप या किसी और घरवाले को उस सोने से कोई तात्कालिक फायदा नहीं होने वाला।
यही चीज आरबीआई के गोल्ड रिजर्व के साथ भी है। दुनियाभर में जिस तरह से भूराजनीतिक तनाव बढ़ रहा है और उससे महंगाई का खतरा भी अधिक हो गया है। इसी से बचने के लिए आरबीआई गोल्ड रिजर्व अपने सोने के भंडार को बढ़ा रहा है। यह एक तरह से किसी बड़े आर्थिक खतरे से निपटने की तैयारी है।
अगर आरबीआई विदेश से सस्ते में सोना खरीदकर लाता और उसे बाजार में बेचता या लोगों को बांटता, तो उससे सोने की कीमतें कम होने की संभावना रहती। लेकिन, न तो यह व्यावहारिक चीज है और न ही आरबीआई का ऐसा कोई इरादा है। इसका मतलब कि गोल्ड रिजर्व बढ़ने या विदेश से सोना वापस लाने से सोने की मार्केट प्राइस पर कोई पॉजिटिव या नेगेटिव असर नहीं पड़ने वाला।