भारत को 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य, कितनी मुश्किल होने वाली है राह?
भारत सरकार ने साल 2047 तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी को ध्यान में रखकर तमाम नीतियां भी बनाई जा रही हैं। लेकिन 2047 तक भारत को विकसित बनाने की राह आसान नहीं होने वाली। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत जैसे सौ अन्य विकासशील देशों ने पिछले दो-तीन दशकों में जो प्रगति की है उसकी रफ्तार लगातार आगे बना कर रखना मुश्किल होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के लिए वर्ष 2047 तक विकसित देशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए अथक प्रयास करने होंगे। विश्व बैंक का मानना है कि राह इसलिए कठिन है क्योंकि भारत जैसे दूसरे सौ विकासशील देशों के लिए भी पिछले दो-तीन दशकों में जो प्रगति की है उसकी रफ्तार लगातार आगे बना कर रखना मुश्किल होगा।
पिछले 50 वर्षों के दौरान दुनिया के हर देश की विकास यात्रा का आकलन करने के बाद विश्व बैंक की नई वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024 कहती है कि वैश्विक माहौल इस तरह का बना है कि विकासशील देशों के मध्य आय वर्ग वाले जाल में ही फंस कर रह सकते हैं।
रिपोर्ट कहती है कि कई देश लगातार विकास करते हुए एक ऐसी बिंदु पर पहुंचे हैं जहां उनकी प्रति व्यक्ति जीडीपी अमेरिका के 10 फीसद के करीब हो गया है। यह स्तर फिलहाल 8,000 डॉलर के करीब है। विश्व बैंक इसे मध्य आय वर्ग की श्रेणी में रखता है।
सिर्फ 34 देश मध्यम आय वर्ग से ऊपर
विश्व बैंक के मुताबिक 1136 डॉलर से 13,885 डॉलर प्रति व्यक्ति जीडीपी को मध्यम आय वर्ग वाले देशों में रखा जाता है। वर्ष 1990 के बाद से अभी तक सिर्फ 34 देश ऐसे हैं, जिन्होंने मध्यम आय वर्ग वाले श्रेणी से ऊपर उठ कर उच्च आय वर्ग वाले श्रेणी में शामिल हुए हैं। लेकिन इन 34 देशों में से अधिकांश को यह सफलता इसलिए मिली है कि उन्होंने या तो यूरोपीय संघ में शामिल होना स्वीकार किया है या फिर उन्होंने कच्चे तेल के भंडार से कमाई की है।
इन देशों में अब कई तरह की समस्याएं हैं जैसे इनकी जनसंख्या में बुजुर्गों की संख्या बढ़ने लगी है, विकसित देश अपनी आर्थिक नीतियां बदल रही हैं व संरक्षणवाद को बढ़ावा दे रही हैं। इसी तरह से जिस तरह से ऊर्जा के उपभोग का तरीका बदल रहा है वह भी इन देशों पर बहुत ज्यादा दबाव बनाये हुए है। पहले, विकासशील देशों के लिए विकसित देश बनना आज के मुकाबले ज्यादा आसान था।