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अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल धड़ाम, क्या पेट्रोल-डीजल का भी घटेगा दाम?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के भाव में काफी कमी आई है। अमेरिका में सुस्त आर्थिक आंकड़ों ने क्रूड की कीमतों को नरम किया है। ओपेक प्लस यानी कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले प्रमुख देशों ने अक्टूबर-नवंबर तक प्रोडक्शन बढ़ाने की योजना को टाले हुए हैं। अगर वे प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला करते हैं तो तेल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 11 Sep 2024 12:40 PM (IST)
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वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव में भारी गिरावट आई है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले करीब 6 महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। आखिरी दफा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पेट्रोल और डीजल के दाम में दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। अब एक बार पेट्रोल और डीजल सस्ता होने की उम्मीद जताई जा रही है। दरअसल, कच्चे तेल (Crude Oil) का दाम लगातार कम हो रहा है। ऐसे में सरकार पेट्रोल-डीजल का रेट कम करके आम जनता को राहत दे सकती है।

कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव में भारी गिरावट आई है। ब्रेंट ऑयल फ्यूचर्स दिसंबर 2021 के बाद पहली बार 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया। दरअसल, मंदी से जुड़ी चिंताओं के चलते क्रूड की डिमांड को लेकर चिंता बढ़ रही है। साथ ही, कच्चे तेल की सप्लाई में तेजी आई है। चीन और अमेरिका के निराशाजनक आर्थिक आंकड़े से वहां तेल की मांग घटने की आशंका है। इन दोनों ही देशों में खपत नहीं बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

दाम घटाने पर विचार कर रही सरकार

बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, क्रूड ऑयल की कीमतें कम होने से तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है। अब सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव पर आम लोगों को कुछ राहत देने की स्थिति में आ गई हैं। इस बारे में इंटर-मिनिस्ट्रियल डिस्कशन भी चल रहा है। वरिष्ठ अधिकारी लगातार तेल की कीमतों में हो रहे बदलाव पर नजर रख रहे हैं। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि सरकार कीमतों में कटौती करेगी या नहीं। कोई भी आखिरी फैसला लेने से पहले वह महंगाई और राजस्व में कमी जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखेगी।

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