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Budget 2024: पेंशन योजना में सुधार करेगी सरकार! क्या बैंक डिपॉजिट पर भी मिलेगा म्यूचुअल फंड जैसा रिटर्न?

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जनधन दिवालिया कानून और जीएसटी जैसे ऐतिहासिक सुधार किए हैं। अब पीएम मोदी को अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान पेंशन योजना में सुधार कार्बन उत्सर्जन को कम करने एनबीएफसी से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करने नैतिक एआई सहित दूसरे प्रणालीगत मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 08 Jul 2024 07:44 PM (IST)
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पिछले 10 वर्षों के सुधारों ने भारत में बैंकिंग क्षेत्र को नया रूप दिया है।
एएनआई, नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने बजट 2024 से पहले एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें सरकार के पिछले एक दशक की नीतिगत योजनाओं की तारीफ करने के साथ यह भी बताया गया है कि अब उसे किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए।

यहां फोकस करने की जरूरत

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जनधन, दिवालिया कानून और जीएसटी जैसे ऐतिहासिक सुधार किए हैं। अब पीएम मोदी को अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान, पेंशन योजना में सुधार, कार्बन उत्सर्जन को कम करने, एनबीएफसी से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करने, नैतिक एआई सहित दूसरे प्रणालीगत मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

2024-25 के लिए बहुप्रतीक्षित पूर्ण बजट 23 जुलाई को पेश किया जाएगा। इस रिपोर्ट को एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने लिखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट में पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस पर जोर देने के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र में सुधार संबंधी प्रस्ताव किए जा सकते हैं।

ऐसे बढ़ेगी सरकार की जीएसटी

रिपोर्ट में कहा गया है, 'परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 5.3 प्रतिशत तक रह गई और वित्त वर्ष 2023-24 में इसके 5.4 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है। अगर हम म्यूचुअल फंड के अनुरूप जमा दर को आकर्षक बनाते हैं तो इससे परिवार की वित्तीय बचत और सीएएसए (चालू खाता बचत खाता) बढ़ सकता है। चूंकि यह राशि जमाकर्ताओं के हाथ में होगी, इसलिए यह अतिरिक्त खर्च को बढ़ावा देगी और इस तरह से सरकार को अतिरिक्त जीएसटी प्राप्त होगा।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक जमा में वृद्धि से न केवल मुख्य जमा आधार और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता आएगी। रिपोर्ट में व्यक्तिगत आयकर दरों को कारपोरेट करों के समान करने की भी वकालत की गई है।

प्रतिस्पर्धा को कम करता है एमएसपी

रिपोर्ट में एमएसपी तंत्र से जुड़े मुद्दों जैसे अनावश्यक राजनीति, निजी निवेश को हत्सोहित करना, गैर एमएसपी फसलों की उपेक्षा, निर्यात प्रतिस्पर्धा में कमी जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि 23 प्रमुख फसलों पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यापार और निर्यात प्रतिस्पर्धा को कम करता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 वर्षों के सुधारों ने भारत में बैंकिंग क्षेत्र को नया रूप दिया है। हालांकि बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों का सिलसिला जारी रहना चाहिए, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विनिवेश और आइडीबीआइ बैंक में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री शामिल है।

4.9% राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखे सरकार

एसबीआई रिसर्च ने सुझाव दिया कि सरकार को 4.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखना चाहिए। सरकार का इरादा वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने का है। इस साल की शुरुआत में अंतरिम बजट में सरकार ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है।

हालांकि, पीएसयू और आरबीआई से उच्च लाभांश के साथ-साथ जीएसटी राजस्व में शानदार वृद्धि के कारण, एसबीआई रिसर्च का मानना है कि सरकार 2024-25 के लिए पांच प्रतिशत से कम राजकोषीय घाटे का बजट बना सकती है।

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