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Windfall Profit Tax Increase: केंद्र सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स बढ़ाया, जानें क्या होगा इसका असर

Windfall Profit Tax Increase कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने एक बार फिर से तेल कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स को बढ़ा दिया गया है। इसका असर घरेलू कच्चा तेल उत्पादन और पेट्रोल-डीजल निर्यात करने वाली कंपनियों पर होगा।

By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 10:31 AM (IST)
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Windfall Profit Tax Increase on crude oil and Export Diesel
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार की ओर से कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को 37 प्रतिशत बढ़ाकर 11,000 रुपये प्रति टन कर दिया है। इससे पहले यह 8,000 रुपये प्रति टन था। केंद्र सरकार की ओर से विंडफॉल टैक्स ऐसे समय पर बढ़ाया गया है, जब कुछ दिनों पहले तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ की ओर से कच्चे तेल के उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करने का एलान किया गया था, जिसके बाद दुनिया में कच्चे तेल के दामों में बड़ा उछाल देखने को मिला है और यह 95 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गई है।

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इसके साथ ही विमानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन एटीएफ पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 3.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। डीजल के निर्यात पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी को 5 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 10.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। अब डीजल के निर्यात पर कुल टैक्स बढ़कर 12 रुपये प्रति लीटर हो गया है, इसमें 1.50 रुपये प्रति लीटर का रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस शामिल है।

नया विंडफॉल टैक्स रविवार से लागू हो जाएगा। सरकार की ओर से एक निश्चित अंतराल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों की समीक्षा के बाद विंडफॉल टैक्स का निर्धारण किया जाता है।

इन कंपनियों पर पड़ेगा असर

विंडफॉल टैक्स का असर देश में घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों जैसे ओएनजीसी और वेदांता लिमिटेड पर होगा। इसके साथ ही डीजल के निर्यात पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का असर बड़ी मात्रा में पेट्रोल- डीजल का निर्यात करने वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर होगा।

क्यों लगा विंडफॉल टैक्स?

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने की वजह से जुलाई 2022 में भारत सरकार की ओर से तेल कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाने का फैसला किया गया था। इसे सरकार ने मूल्य वृद्धि के कारण कंपनियों को हो रहे अप्रत्याशित मुनाफे पर लगाया है। भारत से पहले यूनाइटेड किंग्डम, इटली और जर्मनी भी इसी तरह का टैक्स अपनी तेल कंपनियों पर लगा चुके हैं।

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