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नाजायज बच्चे का माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा या नहीं? जानिए क्या कहता है कानून

कभी-कभी समाज में ऐसे प्रश्न होते हैं जिनका उत्तर नियमतः हर किसी के पास नहीं होता है। ऐसा ही एक दिलचस्प मामला कल सुप्रीम कोर्ट में उठा। सवाल था कि क्या अवैध विवाह से पैदा हुए नाजायज बच्चे को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा या क्या उसे हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) की संपत्ति पर संयुक्त अधिकार होगा? पढ़िए पूरी खबर

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Thu, 27 Jul 2023 07:36 PM (IST)
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Would an illegitimate child born out of a void or voidable marriage be entitled to the property of parents?

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: समाज में कभी-कभी ऐसे सवाल भी सामने आते हैं जिसका जवाब सामान्य तौर पर हर किसी के पास नहीं होता।

एक ऐसा की दिलचस्प सवाल सुप्रीम कोर्ट में कल उठा था। सवाल था कि क्या शून्य या अमान्य विवाह से पैदा हुआ एक नाजायज बच्चा माता-पिता की संपत्ति का हकदार होगा या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) से संबंधित संपत्तियों पर सहदायिक अधिकार होगा?

क्या है वकीलों की राय?

कुछ वकील इस बात पर आम सहमति बना रहे थे कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 की धारा 16(3) के तहत, शून्य या अमान्य विवाह से पैदा हुआ बच्चा वैध पत्नी/पति से पैदा हुए बच्चों के साथ समान हिस्सेदारी का हकदार होगा।

वहीं अन्य वकीलों ने यह संदेह जताया कि क्या उस संपत्ति में माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति या विरासत में मिली पैतृक संपत्ति शामिल होगी।

क्या कहता है कानून?

अधिनियम की धारा 16 नाजायज बच्चे के संपत्ति अधिकार को स्पष्ट करती है और इसे माता-पिता की संपत्ति तक सीमित करती है। धारा 16(3) द्वारा दिया गया एकमात्र स्पष्टीकरण यह है कि ऐसे बच्चे का एचयूएफ के अन्य सदस्यों की संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं होगा।

कुछ वकीलों ने इसे एचयूएफ के तहत रखी गई संपत्तियों पर एक नाजायज बच्चे के अधिकार पर रोक के रूप में समझाया, जहां वैध विवाह से पैदा हुआ प्रत्येक बच्चा जन्म लेते ही संयुक्त स्वामित्व वाली संपत्ति में हिस्सेदारी का हकदार होता है।

क्या है केस?

इस मुद्दे की उत्पत्ति कर्नाटक की एक ट्रायल कोर्ट से हुई, जिसने 2005 में फैसला सुनाया कि नाजायज विवाह से पैदा हुए बच्चों का माता-पिता की पैतृक संपत्तियों पर कोई सहदायिक अधिकार नहीं था। एक जिला न्यायाधीश ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को उलट दिया।

हालांकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि "हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16(3) यह स्पष्ट करती है कि नाजायज बच्चों को केवल अपने माता-पिता की संपत्ति का अधिकार है, किसी और का नहीं।"

इसमें कहा गया है कि एक बार जब एचयूएफ/पैतृक संपत्ति माता-पिता की मृत्यु पर विभाजित हो जाती है, तो नाजायज बच्चे को संपत्ति के उस हिस्से में हिस्सा मिल सकता है जो उसके माता-पिता को मिला है, लेकिन एक चेतावनी के साथ कि ऐसा अधिकार केवल तभी उत्पन्न होगा जब माता-पिता की वसीयत के बिना मृत्यु हो गई हो।