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Budget 2024: कार को लग्जरी नहीं, जरूरत के तौर पर देखे सरकार; ऑटो इंडस्ट्री ने लगाई गुहार

भारत की ऑटो इंडस्ट्री चार करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देती है। ऐसे में 23 जुलाई 2024 को पेश होने वाला आम बजट ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस उद्योग को राजमार्गों के बढ़ते नेटवर्क तेज विकास दर से सुधरते जीवन स्तर जैसे आकर्षण से प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन दूसरी तरफ ईवी की क्रांति के साथ नई प्रौद्योगिकी की चुनौतियां भी बहुतेरी हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 08 Jul 2024 07:19 PM (IST)
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बजट से ऑटो इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं।
जागरण टीम, नई दिल्ली। देश की जीडीपी में सात फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले और चार करोड़ से ज्यादा लोगों को परोक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार देने वाले ऑटोमोबाइल उद्योग और इससे जुड़े दूसरे अन्य सेक्टर एक बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़े हैं। इस उद्योग को राजमार्गों के बढ़ते नेटवर्क, तेज विकास दर से सुधरते जीवन स्तर जैसे आकर्षण से प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति के साथ नई प्रौद्योगिकी की चुनौतियां भी बहुतेरी हैं।

ऐसे में 23 जुलाई, 2024 को पेश होने वाला आम बजट ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस संदर्भ में दैनिक जागरण ने विभिन्न राज्यों में स्थित आटोमोबाइल क्लस्टरों में दर्जनों प्रतिनिधियों से बात की। ज्यादातर प्रतिनिधियों ने वित्तीय प्रोत्साहन की उम्मीद जताई है। साथ ही ये ढांचागत सुविधाओं को बेहतर करने, ब्याज दरों में कमी को भी महत्वपूर्ण बताते हैं जो देश के आटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा विस्तार दे सकता है।

बजट से ऐसी ही उम्मीदों को लेकर दैनिक जागरण आज से एक अभियान की शुरुआत कर रहा है, जिसकी पहली कड़ी ऑटोमोबाइल सेक्टर पर है। इसके पीछे का मकसद आम बजट को लेकर देश के दूर-दराज के इलाकों में स्थित छोटे, मझोले व बड़े उद्यमी क्या सोचते हैं, उनकी आवाज को वित्त मंत्रालय तक पहुंचाना है।

इंडस्ट्री को चाहिए ये रियायतें

मारूति सुजुकी, हीरो मोटोकार्प, होंडा मोटरसाइकिल जैसी दिग्गज कंपनियों का गढ़ गुरुग्राम आज देश का एक प्रमुख ऑटोमोबाइल हब बन चुका है। बड़ी कंपनियों की स्थापना से यहां हजारों मध्यम व लघु औद्योगिक इकाइयों को काम मिला हुआ है। मारुति सुजुकी को आटो पा‌र्ट्स सप्लाई करने वाली कुछ कंपनियां तो आज वैश्विक आटो पा‌र्ट्स निर्माता बन चुकी हैं।

इन उद्यमियों का मानना है कि यदि केंद्र सरकार टैक्स में रियायत दे तो गुरुग्राम का ऑटोमोबाइल सेक्टर और तेजी से विकास करेगा। ये कारों को लेकर सरकार का सोच भी बदलने की बात करते हैं। अब कारों को लग्जरी नहीं बल्कि जरूरी उत्पाद के तौर पर देखना चाहिए।

क्या कह रहे हैं उद्यमी

मुंजाल शोवा ग्रुप के योगेश मुंजाल का कहना है कि “कारों को लग्जरी आइटम न मानकर जरूरी आइटम माना जाए। लग्जरी आइटम की वजह से टैक्स काफी अधिक है। टैक्स कम होने पर ऑटोमोबाइल सेक्टर का विकास तेजी से होगा।''

लग्जरी सामान समझने की वजह से इन पर टैक्स ज्यादा लगाया जाता है। टैक्स घटाया जाए तो खरीदार बढ़ेंगें, मांग बढ़ेगी तो उत्पादन बढ़ेगा। यह स्टील, अल्यूमिनियम, रबर, इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग बढ़ाएगा। साथ ही रोजगार भी बढ़ेगा। गुरुग्राम के आटोमोबाइल उद्यमी यहां एक नहीं बल्कि कई ट्रांसपोर्ट नगर विकसित करने की जरूरत बता रहे हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधाओं की मांग भी की जा रही है जिस पर केंद्र व राज्य दोनों को ध्यान देना चाहिए।

जीएसटी छूट, सब्सिडी की भी डिमांड

उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में ऑटोमोबाइल व ऑटोपा‌र्ट्स सेक्टर की 188 इकाइयां हैं। 40-50 हजार लोगों को यहां रोजगार मिला हुआ है। पंतनगर सिडकुल क्षेत्र में ऑटोमोबाइल से जुड़ी टाटा, बजाज, अशोक लीलेंड और महिंद्रा एंड महिंद्रा की इकाइयां लगीं हैं। साथ ही इनकी वेंडर यूनिट भी लगाई गईं। वेंडर इकाइयां पा‌र्ट्स बनाकर टाटा, बजाज, अशोक लीलेंड व महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी को उपलब्ध कराती हैं। हालांकि, तमाम पा‌र्ट्स ऐसे भी हैं, जिनको लेकर निर्भरता हरियाणा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, लुधियाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों पर है।

ऐसे में यहां स्थापित इकाइयों की उत्पाद लागत बढ़ जाती है। यहां के उद्यमी बताते हैं कि अगर उन्हें रेल ट्रांसपोर्ट व हाइवे जैसे आधारभूत ढांचे में सुधार व विस्तार मिले तो वह वैश्विक स्तर के महिंद्रा एंड महिंद्रा हब को चुनौती दे सकते हैं। पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (उत्तराखंड) के सह-अध्यक्ष राजीव घई का कहना है, “ऑटोमोबाइल कंपनियों को जीएसटी में छूट व ट्रांसपोर्ट आदि में सब्सिडी दी जानी चाहिए। इससे और ऑटो पा‌र्ट्स कंपनियां देवभूमि में उद्यम लगाकर अधिक माल उपलब्ध करा सकेंगी और दूसरे राज्यों पर निर्भरता कम होगी। पहले यहां बिजली सस्ती थी मगर अब उत्तर प्रदेश के बराबर दरें कर दी गई हैं। इससे लागत बढ़ गई है।''

चार दशक पहले जमशेदपुर देश का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल हब होता था, लेकिन अब यह पुणे, चेन्नई, गुरुग्राम के सामने अपनी चमक खो रहा है। वैसे आज भी यह एक बड़ा ऑटोमोबाइल हब है। यहां लगभग 1050 लघु व मध्यम उद्योग संचालित हैं जिनमें 85 प्रतिशत कंपनियां मध्यम, सूक्ष्म व लघु (एमएसएमई) सेक्टर से हैं जो आटो कंपोनेंट, फैब्रिकेशन का काम करती हैं।

सरकार पर उपेक्षित करने का आरोप

दैनिक जागरण से वार्ता में इन कंपनियों ने सरकार की तरफ से उपेक्षित होने का आरोप भी लगाया है। इनका कहना है कि टाटा मोटर्स के अलावा किसी बड़ी कंपनी ने अपना प्लांट नहीं लगाया। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए क्योंकि यहां ऑटोमोबाइल कंपनियों की जरूरत की सभी चीजें पहले से मौजूद होने के बावजूद ऐसा क्यों हुआ। आज सभी कंपनियां टाटा मोटर्स पर ही निर्भर हैं।

इंडस्टि्रयल इस्टेबलिटी एंड रिफॉर्मस ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के महासचिव संदीप मिश्रा का कहना है, “केंद्र सरकार से यदि एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों को समर्थन मिले तो न सिर्फ निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर पर तैयार होंगे। सरकार ¨सगल ¨वडो सिस्टम का सख्ती से अनुपालन कराएं और छोटी व बड़ी कंपनियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था हो।''

ऑटो सेक्टर की तारीफ कर चुके हैं पीएम

पिछले साल सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) की सालाना बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि देश की इकोनॉमी को दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी से तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाने में ऑटोमोबाइल सेक्टर की अहम भूमिका होगी। अगर ऑटोमोबाइल बाजार की बात करें तो भारत आज अमेरिका व चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। वर्ष 2023-24 में भारत में आटो की बिक्री में 12.5 फीसद की रही है जो प्रमुख देशों में सबसे ज्यादा है। सिर्फ पैसेंजर कारों की बिक्री 42.19 लाख रही है।

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