Budget 2023: राजकोषीय घाटा 2025-26 तक 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य, सरकार ने बनाई FY2024 के लिए अहम योजना
budget 2023 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को वित्त वर्ष 2022-23 के अपने पुराने भाषण का जिक्र करते हुए मजबूती के साथ दोहराया कि 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को कम करके 4.5 प्रतिशत के नीचे लाया जाएगा।
By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 01 Feb 2023 05:16 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। Budget 2023: केंद्र की मोदी सरकार 2.0 ने बुधवार को आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। इस दौरान हर मोर्चे पर सरकार ने आम लोगों से लेकर उद्यमियों तक की आशाओं को पूर्ण करने का प्रयास किया। इसी बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई। जिसके मुताबिक, सरकार ने तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए वित्त वर्ष 2024 में 15.4 लाख करोड़ रुपये का उधार लेने की योजना बनाई है। जो वित्त वर्ष 2023 के 14.21 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे की भरपाई करने के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार कर्ज 11.8 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। उन्होंने कहा कि शेष वित्त पोषण छोटी बचत और अन्य स्रोतों से आने की उम्मीद है। सकल बाजार उधार 15.4 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.4 प्रतिशत रखा है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष के लिए इसे घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा कि 2023-24 तक उधार के अलावा कुल प्राप्तियां और कुल व्यय क्रमशः 27.2 लाख करोड़ रुपये और 45 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। शुद्ध कर प्राप्तियां 23.3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की योजना
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट भाषण में मैंने घोषणा की थी कि हम कालांतर में राजकोषीय घाटे को लगातार कम करने के साथ-साथ 2025-26 तक इसे 4.5 प्रतिशत से नीचे रखने के लिए राजकोषीय समेकन के रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे। इसी बीच उन्होंने दोहराया कि 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को कम करके 4.5 प्रतिशत के नीचे लाया जाएगा।Budget 2023: बजट में आम आदमी के लिए खास सौगात, ये चीजें हुईं सस्ती, इनके लिए देना होगा अधिक पैसा
सरकार ने इतने रुपये की ली थी उधारी
गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से 14,95,000 करोड़ रुपये का सकल बाजार उधार लिया था। हालांकि, सरकार ने सितंबर 2022 में उधारी को घटाकर 14.21 लाख करोड़ रुपये करने का फैसला किया। 2021-22 के लिए सकल उधारी 12,05,500 करोड़ रुपये थी।इसी बीच उन्होंने कहा कि साल 2014 से सरकार के प्रयासों ने सभी नागरिकों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता और गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित किया है। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। इन 9 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बढ़ी है।
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