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Budget 2024: रोजगार बढ़ाने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग और ग्रामीण कारोबार पर बजट में होगा फोकस

Budget 2024 वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में सरकार रोजगार सृजन के विभिन्न उपायों के साथ 18-35 वर्ष की आयु के लोगों को साधना चाहती है। उम्मीद है कि सरकार पीएनआई स्कीम के साथ ग्रामीण इलाके में यूनिट लगाने पर प्रोत्साहन पैकेज को लेकर कोई एलान कर सकती है। सरकार रोजगार सृजन के लिए एमएसएमई सेक्टर के लिए अलग से पीएलआई जैसी स्कीम ला सकती हैं।

By Jagran News Edited By: Priyanka Kumari Updated: Sun, 14 Jul 2024 04:40 PM (IST)
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Budget 2024: रोजगार और ग्रामीण कारोबार पर है फोकस

राजीव कुमार, नई दिल्ली। देश की आबादी में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी 18-35 वर्ष की आयु के लोगों की है। वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में सरकार रोजगार सृजन के विभिन्न उपायों के साथ इस वर्ग को साधना चाहती है। मुख्य रूप से पूंजीगत खर्च के व्यय में बढ़ोतरी, एमएसएमई के लिए अलग से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी स्कीम के साथ ग्रामीण इलाके में यूनिट लगाने पर प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा हो सकती है।

रोजगार में बढ़ोतरी के लिए सरकार पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी के लायक बनाने के लिए कुछ वित्तीय सहायता के साथ उन्हें डिजिटल, टेक्नीकल एवं विभिन्न उभरते हुए सेक्टर में ट्रेनिंग प्रोग्राम लॉन्च कर सकती है। देश के जीडीपी एवं निर्यात दोनों में ही 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने वाले एमएसएमई सेक्टर के लिए अलग से पीएलआई जैसी स्कीम लाने पर वे बड़ी मात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग के लिए नए निवेश कर सकते हैं जिससे रोजगार का सृजन होगा।

सरकार इंसेंटिव को रोजगार के सृजन से जोड़ दे

वर्तमान में 14 सेक्टर के लिए पिछले चार सालों में पीएलआई स्कीम लाई गई है, लेकिन इस स्कीम का लाभ लेने के लिए उन्हें 100 करोड़ से अधिक निवेश की जरूरत होगी और एमएसएमई बड़ी मात्रा में निवेश नहीं कर सकते हैं। एमएसएमई के लिए अलग से पीएलआई स्कीम आने पर लेदर, गारमेंट्स, ऑटो पा‌र्ट्स जैसे सेक्टर में एमएसएमई आसानी से बड़ी मात्रा में निवेश कर सकती है।

घोषित पीएलआई स्कीम की मदद से इलेक्ट्रानिक्स, फार्मा, व्हाइट गुड्स जैसे सेक्टर में बड़े निवेश हुए हैं और लाखों की संख्या में रोजगार भी निकले हैं। बजट में सरकार ग्रामीण इलाके के पास यूनिट लगाने वालों की मार्केटिंग व उन्हें अन्य बिजनेस सुविधा के लिए प्रोत्साहन पैकेज भी दे सकती है। जानकारों का कहना है कि इससे ग्रामीण इलाके में रोजगार का सृजन होगा और ग्रामीण खपत बढ़ेगी।

बुनियादी सुविधा के विकास और गांव-गांव में डिजिटल कनेक्टिविटी होने से अब ग्रामीण इलाके में कारोबार का प्रसार करना सरकार का लक्ष्य होगा।आगामी 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ ग्रीन सेक्टर में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा हो सकती है। इससे भी रोजगार में बढ़ोतरी होगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्ण बजट में सरकार पूंजीगत खर्च (कैपेक्स या कैपिटल एक्सपेंडिचर) में और बढ़ोतरी कर सकती है। फरवरी में पेश अंतरिम बजट में कैपेक्स के मद में 11.1 लाख करोड़ का आवंटन किया गया था जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है। पूर्ण बजट में 11.1 लाख करोड़ के आवंटन को बढ़ाकर 11.8 लाख करोड़ किया जा सकता है।

कैपेक्स में सरकार लगातार बढ़ोतरी कर रही है क्योंकि इससे बुनियादी सुविधाओं के विकास का काम होता है जिससे रोजगार निकलता है और फिर उस रोजगार से खपत में बढ़ोतरी होती है।

जानकारों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में सरकार के टैक्स राजस्व में दहाई अंक में बढ़ोतरी हुई है और राजकोषीय घाटे को भी सरकार लक्ष्य के भीतर जीडीपी के 5.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रही है, इसलिए रोजगार सृजन के लिए विभिन्न पैकेज देने में सरकार को वित्तीय झिझक नहीं होगी।

अभी देश के जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत के पास है और इस हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक ले जाने के लिए बजट में विशेष ध्यान दिया जा सकता है।