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Budget Special: आजादी से अब तक इतनी बार बदला है टैक्स स्लैब, कब हुआ था बड़ा बदलाव?

इस साल के आम बजट को लेकर भी आम जनता को भी काफी उम्मीदें हैं। हर साल टैक्सपेयर को उम्मीद रहती है कि उन्हें टैक्स छूट या फिर कोई और रियायतें दी जाएगी। भारत सरकार ने टैक्स स्लैब में कई बदलाव किये हैं। इन बदलावों का असर आम जनता पर पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे कि सरकार ने कब-कब इनकम टैक्स में बड़े बदलाव किये हैं।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Tue, 23 Jul 2024 09:07 AM (IST)
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इनकम टैक्स सिस्टम में कई बार हुए बड़े बदलाव
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपसे कहा जाए कि बजट (Budget) में आपको किस घोषणा का सबसे ज्‍यादा इंतजार रहता है, तो शायद आपका भी वही जवाब होगा जो करोड़ों अन्‍य भारतीयों का होता है। जी हां, बात हो रही है आयकर में छूट के एलान की, जिसका इंतजार हर बजट में सबसे ज्‍यादा होता है।

इस बार भी नई सरकार के गठन के बाद जुलाई महीने में बजट (Budget 2024) पेश होने की संभावना है, और फिर से लोगों को उम्‍मीद है कि इस बार तो सरकार इनकम टैक्‍स में जरूर रियायत देगी।

मोदी सरकार के पिछले 9 साल के बजट में कभी भी टैक्‍स में रियायत नहीं दी गई है लेकिन, इस बार गठबंधन की मोदी सरकार से लोगों को बहुत उम्‍मीदें है। पिछली बार वर्ष 2017-18 के बजट में तत्‍कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टैक्‍स स्‍लैब में थोड़ा बदलाव जरूर किया था। तब उन्‍होंने 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय पर लगने वाले 10 फीसदी की दर को घटा कर 5 फीसदी कर दिया था।

इसके साथ ही, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87ए के त‍हत मौजूदा छूट (जो 5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को दी जाती थी) को 2.5 लाख रुपये से 3.5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए 5,000 रुपये से घटाकर 2,500 रुपये कर दिया गया था।

आजादी के बाद से इनकम टैक्‍स की दरों में कई बार बदलाव किए गए हैं। अब चूंकि बजट एक बार फिर पेश होने वाला है, तो ऐसे में यह जानना दिलचस्‍प होगा कि आजादी के बाद से अब तक कब-कब और क्‍या बदलाव इनकम टैक्‍स को लेकर हुए हैं।

आजादी के बाद से कितना बदला टैक्स सिस्टम

  • 26 जनवरी 1950 के बाद यानी पहले गणतंत्र दिवस (Republic Day) के बाद भारत ने अपना खुद का बजट, टैक्स सिस्टम बनाना शुरू किया था। इसमें समय -समय पर कई बदलाव भी हुए।
  • टैक्स स्लैब में सबसे पहली बार 1949-50 में बदलाव हुआ था। इस साल 10,000 रुपये के इनकम को घटाकर 1 आना का चौथाई कर दिया गया था। आपको बता दें कि उस समय 1 रुपये को 16 आना में बांटा जाता था।
  • वर्ष 1974-75 में टैक्स सिस्टम में सबसे बड़ा बदलाव हुआ था। इस साल इनकम के सभी स्लैब की टैक्स दरों को कम किया गया था। इस साल 60,000 रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री किया गया। इसके अलावा हर इनकम की सरचार्ज लिमिट को घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया था। इस साल संपत्ति कर की दर को बढ़ाया गया था।
  • वित्त वर्ष 1985-86 में देश के वित्त मंत्री वी.पी.सिंह थे। वी.पी.सिंह ने टैक्स सिस्टम में मौजूद टैक्स स्लैब को 8 से घटाकर 4 कर दिया था। इसके अलावा टैक्स की मैक्सिमम लिमिट को भी 61.87 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दिया।
  • आज हम जिस टैक्स सिस्टम को जानते हैं, जिसे ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) भी कहा जाता है, इसे वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बनाया था। मनमोहन सिंह वर्ष 1992-93 में यह सिस्टम लेकर आए। इसमें टैक्स स्लैब को 4 से घटाकर 3 कर दिया गया था।

मनमोहन सिंह ने भी बदला टैक्स सिस्टम

वर्ष 1992-93 में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। उन्‍होंने टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव किया। इस साल 30,000 रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री रखा गया था। इसके अलावा टैक्स स्लैब को भी 4 से घटाकर 3 कर दिया गया।

इस सिस्टम के अनुसार 50,000 रुपये तक की इनकम पर 20 फीसदी टैक्स, 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक की इनकम पर 30 फीसदी और 1 लाख से ज्यादा इनकम पर 40 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगेगा। इसके बाद 2 साल तक इनकम टैक्स रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ। हालांकि, टैक्स स्लैब में थोड़ा बहुत बदलाव किया गया था।

पी. चिदंबरम ने पेश किया ड्रीम बजट

वित्त वर्ष 1997-98 में पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। इस साल उन्होंने ड्रीम बजट पेश किया था। इस बजट में टैक्स रेट को सिंपल बनाया गया और 40,000 रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री किया गया। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ा दिया गया। अगर कोई टैक्सपेयर अपनी सैलरी का टोटल 10 फीसदी हिस्सा पीएफ में जमा करता है और उसकी सैलरी 75,000 रुपये है तो उसे भी टैक्स छूट दी गई।

वित्त वर्ष 1997-98 के बाद से लगभग 10 साल तक टैक्स सिस्टम में कोई बड़े बदलाव नहीं हुए। हालांकि, 2005-06 के बजट में 1 लाख रुपये तक के इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया। इसके 5 साल के बाद साल 2010-11 में प्रणब मुखर्जी ने टैक्स स्लैब में बदलाव किया था। इस साल टैक्स लिमिट को 1.6 लाख रुपये कर दिया गया।

वर्ष 2014 में भी हुआ बड़ा बदलाव

साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आई। इस साल वित्त मंत्रालय की कमान अरुण जेटली ने संभाली। साल 2014 में पेश हुए बजट में वेल्थ टैक्स को हटा दिया गया और उसकी जगह पर 2 फीसदी का सरचार्ज लगाना शुरू किया गया। यह सरचार्ज 1 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों पर लगाया गया।

वर्ष 2017-18 में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया था। इसके अलावा टैक्स रिबेट सिस्टम में भी बदलाव किये गए।

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निर्मला सीतारमण लेकर आईं नया टैक्स सिस्टम

मनमोहन सिंह के बाद टैक्स सिस्टम में निर्मला सीतारमण ने सबसे बड़ा बदलाव किया। वर्ष 2020-21 में उन्होंने न्यू टैक्स रिजीम की घोषणा की। इस सिस्टम में टैक्स को काफी आसान किया गया और सभी टैक्स छूटों को खत्म कर दिया गया। पिछले साल न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट रिजीम बना दिया गया था।

इस साल पूर्ण बजट पेश करने के साथ ही निर्मला सीतारमण अपने नाम एक नया रिकॉर्ड कर लेंगी। इस साल वह लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी और वह पहली महिला वित्त मंत्री बन जाएंगी जिन्होंने इतनी बार बजट पेश किया है। इस फरवरी में भी उन्होंने अपने नाम एक रिकॉर्ड बनाया था। वह पहली महिला वित्त मंत्री है जिन्होंने अंतरिम बजट पेश किया था।

आगामी बजट में भी सरकार द्वारा इनकम टैक्स को लेकर कोई बड़ा एलान किया जाएगा। क्या सरकार इनकम टैक्स की लिमिट को बढ़ाएगी? इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए हमें बजट 2024 का इंतजार करना होगा।

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