Budget 2024: सस्ते और छोटे मकान के निर्माण को मिले बढ़ावा, अंतरिम बजट में रियल एस्टेट के लिए क्या होगा खास
रियल एस्टेट सेक्टर का कहना है कि मकान की कीमत कम होगी या उन्हें खरीदारी पर टैक्स में अधिक राहत मिलने पर अधिक लोग मकान की खरीदारी करेंगे। रियल एस्टेट सेक्टर को व्यवस्थित करने के लिए इस सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने की जरूरत है। परियोजनाओं की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली को सशक्त रूप से लागू करने की भी मांग की गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रियल एस्टेट सेक्टर ने वित्त मंत्रालय ने एक फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में सस्ते व छोटे मकान के निर्माण को प्रोत्साहित करने की मांग की है। उनका कहना है कि अभी देश में 41 प्रतिशत आबादी के पास अपना मकान नहीं है। अधिक मकान के निर्माण से सीमेंट, स्टील, जैसे सेक्टर को भी प्रोत्साहन मिलता है और बड़े पैमाने पर रोजगार का भी सृजन होता है।
ऐसे बढ़ेगी खरीदारी
रियल एस्टेट सेक्टर का कहना है कि मकान की कीमत कम होगी या उन्हें खरीदारी पर टैक्स में अधिक राहत मिलने पर अधिक लोग मकान की खरीदारी करेंगे। रियल एस्टेट सेक्टर को व्यवस्थित करने के लिए इस सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने की जरूरत है। परियोजनाओं की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली को सशक्त रूप से लागू करने की भी मांग की गई है।
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हाउसिंगडाटकाम के सीईओ ध्रुव अग्रवाल के मुताबिक बजट में सरकार को होम लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत मिलने वाली छूट सीमा में बढ़ोतरी करनी चाहिए। इस सीमा को दो लाख से बढ़ाकर चार लाख कर देनी चाहिए।
अग्रवाल ने कहा कि इससे मकानों की वर्तमान मांग में बढ़ोतरी होगी और यह रियल एस्टेट सेक्टर के लिए गेम चेंजर साबित होगा।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिले उद्योग का दर्जा
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने की मांग लंबे समय से अटकी है। यह मान्यता न केवल निवेश को प्रेरित करेगी बल्कि नियमों को भी सुव्यवस्थित करेगी, जिससे विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि लागत बोझ को कम करने के लिए निर्माण सामग्री पर जीएसटी दरों को कम करने की भी मांग वित्त मंत्री से की गई है। इससे मकान की कीमत कम होगी और कम बजट वाले मकान की बिक्री बढ़ेगी।
समाधान क्या है?
सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली के स्थापित होने से परियोजना में देर नहीं होगी, जिससे बेवजह लागत नहीं बढ़ेगी। डेवलपर्स ने सरकार से रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अलग से विशेष फंड स्थापित करने की मांग की है, ताकि उन्हें आसानी से पूंजी उपलब्ध हो सके। कई बार बैंक उन्हें लोन देने में देरी कर देते हैं जिससे परियोजना अटक जाती है।
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