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Economic Survey 2023: भारत के पास सुनहरा अवसर, चीन और अमेरिका को पछाड़ कर बन सकता है ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब

Economic Survey 2023 मजबूत सप्लाई चेन की वजह से भारत जल्द ही दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। आने वाले सालों में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाकर GDP के 25 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। (जागरण फाइल फोटो)

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Tue, 31 Jan 2023 05:40 PM (IST)
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Economic Survey: India Has Opportunity To Become Global Manufacturing Hub In This Decade

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Economic Survey India: भारत के पास अमेरिका और चीन जैसे देशों को पीछे छोड़ने का सुनहरा अवसर है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि विदेशी कंपनियां भारत की विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों को अपना रही हैं। इससे भारत के पास इस दशक में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का अच्छा मौका है। सर्वे के मुताबिक, भारत के पास आपूर्ति श्रृंखला में होने वाले रिस्क की साफ स्थिति का ब्योरा है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार की योजना

सर्वे के मुताबिक, आने वाले साल में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 25 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। यह वर्तमान समय में यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15 से 16 प्रतिशत है। इसके लिए सरकार 'मेक इन इंडिया 2.0' को ला रही है। इसमें 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में 15 विनिर्माण और 12 सर्विस क्षेत्र शामिल हैं। साथ ही फर्नीचर, कृषि उत्पाद, कपड़ा, रोबोटिक्स, टेलीविजन और एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना

विनिर्माण क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 14 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) शुरू की है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा देश में स्टार्टअप कल्चर को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इसके तहत स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS), स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (CGSS) और फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप जैसी योजनाएं पहले से काम कर रही हैं।

दो लाख करोड़ रुपये हो रहा खर्च

PLI योजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार दो लाख करोड़ रुपये के खर्च कर रही है। सितंबर 2022 तक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग (LSEM) पीएलआई योजना से 4,784 करोड़ रुपये का निवेश मिल चुका है। इसमें उत्पादन के लिए 2,03,952 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है, जबकि 80,769 करोड़ रुपये का निर्यात किया जाएगा। बता दें कि पीएलआई से जुड़ी 13 योजनाओं के तहत अब तक 650 से ज्यादा आवेदनों को मंजूरी दी चुकी है।

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