Economic Survey 2024 में महंगाई घटने और रोजगार बढ़ने का अनुमान, कृषि क्षेत्र पर फोकस की बताई जरूरत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Economic Survey 2024 को संसद में पेश कर दिया है। इसमें रोजगार महंगाई से लेकर कृषि तक के बारे में महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं। सरकार ने कई अहम डेटा भी दिए हैं। आर्थिक सर्वे में सरकार की उपलब्धियों के साथ आने वाले समय की चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है। इकोनॉमिक सर्वे ने प्राइवेट कैपिटल मार्केट की भी काफी तारीफ की है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट (Budget 2024) से एक दिन पहले आर्थिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरा लेखा-जोखा बताया गया। साथ ही, आर्थिक चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं का भी जिक्र किया गया।
खासकर, इकोनॉमिक सर्वे ने कोरोना काल के बाद उपजी दुश्वारियों पर बात की। इसमें देश के सबसे चर्चित मुद्दे यानी रोजगार की संभावनाओं पर भी की गई। आर्थिक सर्वे में GDP ग्रोथ, इनफ्लेशन, इंप्लॉयमेंट रेट, फिस्कल डेफिसिट समेत कई डेटा शामिल हैं।
रोजगार पर क्या बोला आर्थिक सर्वे
आर्थिक सर्वे का रोजगार पर काफी जोर है। इसके मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था में वर्क फोर्स की जरूरत तेजी से बढ़ रही है। इसे पूरा करने के लिए 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि सर्विस सेक्टर में आगे अच्छी ग्रोथ रह सकती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि रोजगार के अवसर पैदा करने में कॉरपोरेट सेक्टर की भूमिका बढ़नी चाहिए। आर्थिक सर्वे बताता है कि 2023 के पहले तीन महीनों के दौरान शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर 6.7 फीसदी तक आई गई। हालांकि, आर्थिक सर्वे का यह भी कहना है कि वैश्विक चुनौतियों और टेक्नोलॉजी में बदलाव के चलते मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आईटी सेक्टर में ज्यादा हायरिंग की उम्मीद नहीं है।
महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद
महंगाई के मामले में आर्थिक सर्वे ने आरबीआई के डेटा का हवाला दिया है। आरबीआई के अनुमान के मुताबिक, अगर मानसून सामान्य रहता है और कोई नीतिगत झटका नहीं लगता, तो मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 4.5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष तक 4.1 फीसदी तक आ जाएगी।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2024 में रिटेल इनफ्लेशन 4.6 फीसदी और 2025 में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान दिया है। वर्ल्ड बैंक ने 2024 और 2025 के दौरान ग्लोबल प्राइसेज में गिरावट का अनुमान लगाया है। आर्थिक सर्वे ने इन सबके आधार पर उम्मीद लगाई है कि भारत में खुदरा मंहगाई में कमी आएगी।आर्थिक सर्वे ने महंगाई को कुशलता से संभालने के तरीके की भी तारीफ की है। इसमें कहा गया कि वैश्विक संकट, सप्लाई चेन में रुकावट और मानसून की अनिश्चितता जैसी चुनौतियों से महंगाई का दवाब बढ़ा। लेकिन, प्रशासनिक और मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं के चलते उसे कुशलता से मैनेज किया गया। इससे वित्त वर्ष 23 में खुदरा महंगाई औसतन 6.7 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 24 में घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई।