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Budget 2024: बजट से एक दिन पहले जारी होगा इकोनॉमिक सर्वे, जानें आम जनता के लिए भी क्यों है यह जरूरी

Union Budget 2024 23 जुलाई 2024 को केंद्र वित्त मंत्री यूनियन बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा। इस साल फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था। हर साल बजट से एक दिन पहले Economic Survey पेश किया जाता है। आइए जानते हैं कि इकॉनमिक सर्वे क्या होता है और ये इतना जरूरी क्यों है? पढ़ें पूरी खबर...

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Wed, 10 Jul 2024 05:00 PM (IST)
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Economic Survey Budget 2024: क्यों जरूरी है इकोनॉमिक सर्वे

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार द्वारा हर साल बजट पेश किया जाता है। वैसे तो हर साल 1 फरवरी को बजट पेश होता है, लेकिन जिस साल आम चुनाव (Aam Chunav) होते हैं उस साल नई सरकार के गठन के बाद यूनियन बजट पेश होता है।

इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) हुए थे और जून में नतीजों की घोषणा हुई थी। इस बार के आम चुनाव में एनडीए (NDA) को बहुमत मिली और तीसरी बार मोदी सरकार बनी।

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आम बजट के तारीख की घोषणा हो गई है। 23 जुलाई 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट (Budget 2024) पेश किया जाएगा। इस साल बजट पेश करते ही निर्मला सीतारमण अपने नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज कर लेंगी। वह देश की पहली वित्त मंत्री हैं जिन्होंने लगातार 7 बार बजट पेश किया है।

यूनियन बजट पेश होने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया जाता है। इस साल फरवरी में अंतरिम बजट (Interim Budget 2024) पेश हुआ था, जिसकी वजह से इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey Of India) पेश नहीं किया गया था। चूंकि, 23 जुलाई को यूनियन बजट पेश होगा ऐस में 22 जुलाई को इकोनॉमिक सर्वे पेश हो सकता है।

क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे? (What is Economic Survey?)

इकोनॉमिक सर्वे एक तरह का डॉक्यूमेंट है जो हर साल बजट से एक दिन पहले पेश होता है। इस डॉक्यूमेंट में पिछले वित्त वर्ष के देश की इकोनॉमी कैसी थी इसकी समीक्षा की जाती है। इसके अलावा सरकार के विकास कार्यक्रमों की भी समरी दी जाती है।

इकोनॉमिक सर्वे में सरकार की नीतिगत पहलों के बारे में भी बताया जाता है। यह देश की अर्थव्यवस्था की संभावनाओं का एक दृष्टिकोण है जो सरकार द्वारा पेश किया जाता है।

वित्त वर्ष 1950-51 में पहली बार इकोनॉमिक सर्वेक्षण पेश किया गया था। इस समय बजट के साथ ही इसे पेश किया जाता है। लेकिन, साल 1964 के बाद से इसे बजट से अलग कर दिया गया और बजट से एक दिन पहले इसे पेश किया जाने लगा।

क्यों जरूरी है इकोनॉमिक सर्वे

इकोनॉमिक सर्वे काफी जरूरी होता है। इसमें सरकार ने किस सेक्टर में कैसे प्रदर्शन किया है इसकी जानकारी दी जाती है। यह कृषि, सर्विस,उद्योग और बुनियादी ढांचे जैसे बाकी सेक्टर की परफॉर्मेंस के बारे में बताता है और इन सेक्टर का आर्थिक विश्लेषण करने में मदद करता है।

आगामी वित्त वर्ष में आर्थिक रणनीति तैयार करने में भी इसकी अहम भूमिका होती है। यहां तक कि इस सर्वे में विकास में आ रही बाधाओं के बारे में भी जान सकते हैं।

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वी के विजयकुमार, मुख्य निवेश रणनीतिकार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार

इकोनॉमिक सर्वे में व्यापक आर्थिक परिदृश्य की व्यापक पृष्ठभूमि दी जाती है। बजट में होने वाले राहतों की उम्मीद पूरी तरह से इकोनॉमिक सर्वे में आए रुझानों पर निर्भर करती है। आम जनता बजट में आयकर रियायतों जैसी राहतों की उम्मीद करेगी, जो बदले में सर्वेक्षण द्वारा उजागर किए गए वृहद रुझानों पर निर्भर करेगी।

कौन पेश करता है इकोनॉमिक सर्वे

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा इकोनॉमिक सर्वे तैयार किया जाता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति देश के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। वर्तमान में डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। इकोनॉमिक सर्वे को पहले संसद में पेश किया जाता है।

आप ‘www.indiabudget.gov.in/economicsurvey’ पर जाकर इकोनॉमिक सर्वे को डाउनलोड कर सकते हैं।

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सिद्धार्थ मौर्य, फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, विभावंगल अनुकूलकारा प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार

इकोनॉमिक सर्वे एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो न केवल नीतिनिर्माताओं और अर्थशास्त्रियों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी बहुत उपयोगी है। यह हमें आर्थिक स्थिति, भविष्य की संभावनाएं, सरकार की नीतियां, निवेश के अवसर और समस्याओं के समाधान की जानकारी देता है। इसलिए, इसे ध्यान से पढ़ना और समझना हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आम जनता के लिए क्यों जरूरी है इकोनॉमिक सर्वे

  • हमें यह समझने में मदद करता है कि देश की आर्थिक स्थिति कैसी है। इससे हम यह जान सकते हैं कि जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी आदि किस स्थिति में हैं। यह जानकारी लोगों को अपने आर्थिक निर्णय लेने में मदद करती है, जैसे कि निवेश करना, बचत करना या खर्च करना।
  • आर्थिक सर्वेक्षण में भविष्य की आर्थिक संभावनाओं का भी उल्लेख होता है। इससे लोग यह समझ सकते हैं कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा सकती है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की नीतियों और उनकी संभावित प्रभावों की जानकारी भी होती है। इससे आम जनता यह समझ सकती है कि सरकार कौन-कौन सी नीतियाँ लागू कर रही है और उनका असर क्या होगा।
  • एक निवेशक के दृष्टिकोण से, आर्थिक सर्वेक्षण में ऐसे क्षेत्रों का उल्लेख होता है जहां निवेश के अच्छे अवसर हो सकते हैं। यह जानकारी उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है जो अपने पैसे को सही जगह निवेश करना चाहते हैं।
  • आर्थिक सर्वेक्षण में समाजिक और आर्थिक समस्याओं का भी जिक्र होता है और उनके समाधान के लिए सुझाव दिए जाते हैं। इससे आम जनता को यह समझने में मदद मिलती है कि उनकी समस्याओं का समाधान कैसे हो सकता है और वे किस तरह से इनसे निपट सकते हैं।