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Budget 2024-25: बजट में मैन्यूफैकचरिंग यूनिट पर लगने वाले टैक्स पर फिर मिल सकती है छूट

1 फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेगी। बजट की अपेक्षा करते हुए ईवी (EV) ने एक रिपोर्ट पेश की है।इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए नई मैन्यूफैकचरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए कॉरपोरेट्स के लिए रियायती 15 प्रतिशत आयकर दर को एक साल के लिए 31 मार्च 2025 तक बढ़ा सकती है।

By Agency Edited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 19 Jan 2024 01:14 PM (IST)
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बजट में सरकार ले सकती है कई अहम फैसले

पीटीआई, नई दिल्ली। 1 फरवरी को मोदी सरकार अपना अंतरिम बजट पेश करेगी। यह बजट केंद्र वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। अभी तक सीतारमण ने 5 बार बजट पेश कर दिया है। वह छठी बार बजट पेश करेंगी। 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश करेंगी।

बजट की अपेक्षा करते हुए ईवी (EV) ने एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए नई मैन्यूफैकचरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए कॉरपोरेट्स के लिए रियायती 15 प्रतिशत आयकर दर को एक साल के लिए 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा सकती है।

इसके अलावा इस साल पेश होने वाले बजट में सरकार टैक्स पेमेंट की सिस्टम को आसान बनाने की ओर ध्यान देगी। वहीं, विधायी (Legislative) सुधार प्रगति पर रहेंगे। इसके अलावा मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर और निर्यात सेक्टर में निवेश को बढ़ाने के लिए अंतरिम बजट 15 प्रतिशत रियायती इनकम टैक्स रेट का लाभ उठाने वाली कंपनियों के लिए मैन्यूफेक्चरिंग शुरू करने की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2024 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2025 तक कर सकता है।

2019 में सरकार ने मैन्यूफेक्चरिंग के लिए की थी घोषणा

सरकार ने 2019 में घोषणा की थी कि 1 अक्टूबर, 2019 को या उसके बाद मैन्यूफेक्चर में नया निवेश करने वाली किसी भी नई घरेलू कंपनी को 31 मार्च 2203 या उससे पहले अपना प्रोडक्शन शुरू करने पर 15 प्रतिशत की दर से आयकर का भुगतान करने का विकल्प होगा।

1 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत बजट में सरकार ने नई विनिर्माण इकाइयों के लिए रियायती 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर की दर को एक वर्ष और मार्च 2024 तक बढ़ा दिया। इस बार भी इसकी समयसीमा को बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है।

ईवाई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालांकि वैश्विक विकास की संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं। ऐसे में भारत को अपनी लचीली घरेलू मांग के कारण चालू वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने की उम्मीद है।

भारत की आर्थिक विकास बचत और निवेश दरों पर निर्भर है। ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार भारत डॉमेस्टिक सेक्टर की वित्तीय बचत है जो सार्वजनिक और निजी कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा निवेश के लिए उपलब्ध होती है।