Budget 2024: भारतीय इतिहास के 5 वित्त मंत्री, जिनके बजट ने बदल दी अर्थव्यवस्था की तस्वीर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। इसमें कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले होंगे जिनसे देश के आर्थिक भविष्य की रूपरेखा तय होगी। इससे पहले भी बहुत-से ऐसे बजट पेश हुए हैं जिन्होंने भारत की तरक्की की रफ्तार को तेज करने और करदाताओं को राहत देने में अहम भूमिका निभाई है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी 23 जुलाई को मोदी 3.0 का पहला बजट पेश करेंगी। इस बजट से आम जनता से लेकर उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें हैं। भारत में बजट की समृद्ध परंपरा है। भारत का अपना पहला बजट साल 1860 में स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था।
वहीं, आजादी के बाद की बात करें, तो आरके शनमुखम चेट्टी पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने 26 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट पेश किया। उसके बाद से देश में 70 से अधिक केंद्रीय बजट पेश हो चुके हैं। आइए उनमें पांच ऐसे बजट के बारे में जानते हैं, जो भारत के आर्थिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए।
1991-92 में हुआ अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
अगर किसी बजट ने आधुनिक भारत की तकदीर तय की, तो वह है 1991 का केंद्रीय बजट। उस समय देश गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा था। एक तरह से दिवालिया होने की कगार पर खड़ा भारत। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बतौर अर्थशास्त्री अपनी काबिलियत का इस्तेमाल किया और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए।
मनमोहन सिंह के बजट ने कस्टम ड्यूटी यानी विदेश से आने वाले सामानों पर टैक्स 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया। इससे भारतीय व्यापार वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया। उन्होंने उदारीकरण की भी शुरुआत की। इसमें व्यापार में सरकार का दखल कम करके आर्थिक आजादी को बढ़ावा दिया गया।
यह बजट भारत के आर्थिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। इसने बहुचर्चित 'लाइसेंस राज' को खत्म करके दुनियाभर में भारत की छवि को बेहतर किया। लाइसेंस राज से मतलब ऐसी व्यवस्था से था कि आपको कोई भी कारोबार करने के लिए सरकार से परमिट या लाइसेंस लेना पड़ता था। इसमें काफी वक्त लगता और नौकरशाही की मनमानी भी खूब चलती।
मनमोहन सिंह के बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था में दुनिया का भरोसा बहाल किया। विदेशी निवेश को आकर्षित किया। इससे भारत के आर्थिक शक्ति बनने का रास्ता भी तैयार हुआ।