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Budget 2024: होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर कर छूट को करें पांच लाख

रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको ने आगामी बजट में सरकार से मांग की और कहा कि होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर कर छूट को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की जरूरत है। नारेडको ने कहा है कि आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत स्व कब्जे वाली संपत्ति पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर कर छूट दो लाख रुपये तक सीमित है।

By Agency Edited By: Ankita Pandey Updated: Tue, 16 Jul 2024 08:24 PM (IST)
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बिल्डरों ने होम लोन ब्याज पर अधिक कर छूट की मांग की है।

पीटीआई, नई दिल्ली। रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको ने सरकार से बजट में होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर कर छूट को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की मांग की है। संगठन का मानना है कि आवास और ब्याज दरों में वृद्धि के चलते ऐसा करने से घरों की मांग को बढ़ावा मिलेगा।

बिल्डरों ने किफायती घरों की मांग और आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए कुछ कर प्रोत्साहन की भी मांग की। नारेडको ने कहा है कि आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत स्व कब्जे वाली संपत्ति (वह घर जिसमें आयकरदाता रहता है) पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर कर छूट दो लाख रुपये तक सीमित है।

चुननी होगी पुरानी कर व्यवस्था

आयकर कानूनों के अनुसार एक करदाता अधिकतम दो घरों को प्रापर्टी के तौर पर रख सकता है। वित्त वर्ष 2019-20 और उसके बाद से करदाता को दो घरों को स्व-घोषित संपत्ति के अंतर्गत मानने का लाभ दिया गया है। यदि आपके पास होम लोन है तो आप उस ऋण पर चुकाए गए ब्याज का उपयोग अपनी कुल आय को कम करने के लिए कर सकते हैं। इससे कर योग्य आय में कमी आएगी।

हालांकि इसके लिए जरूरी है कि आपने पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुना हो। यदि आप नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, तो आप गृह संपत्ति से किसी भी कटौती का दावा नहीं कर सकते। नारेडको के प्रेसिडेंट हरि बाबू ने कहा कि अगर इन सिफारिशों को लागू किया जाता है, तो इससे न केवल डेवलपर्स को राहत मिलेगी, बल्कि आवास क्षेत्र में मांग भी बढ़ेगी।

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किफायती घरों की मांग और आपूर्ति में उतार चढ़ाव

हाउसिंग डाट काम और प्रापटाइगर डाट काम के ग्रुप सीईओ -ध्रुव अग्रवाल मे कहा कि पिछले तीन सालों के दौरान टियर-1 और टियर-2 शहरों में किफायती घरों की मांग और आपूर्ति में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। सरकार को बजट में 15-75 लाख रुपये मूल्य वर्ग के घरों की मांग और आपूर्ति को बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ब्याज सब्सिडी कार्यक्रम शुरू करने से संभावित घर खरीदारों को प्रभावी रूप से प्रोत्साहित किया जा सकता है।

MSME की जरूरतों को मिले प्राथमिकता

इंडिया मार्ट के सीओओ दिनेश गुलाटी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में आगामी बजट में इस क्षेत्र की जरूरतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। एमएसएमई को आसानी से अधिक लोन और इसकी गारंटी को लेकर विशेष बैंकिंग नीति लाने की आवश्यकता है।

हमें उम्मीद है कि बजट में कर ढांचे को बेहतर बनाया जाएगा। MSME को डिजिटल बनाने में मदद करना चाहिए जिससे आनलाइन कारोबार में उनकी भागीदारी बढ़ सके। अभी केवल छह प्रतिशत एमएसएमई आनलाइन बिक्री करती हैं।

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