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दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं खतरे में, जानिए भारत पर क्यों नहीं पड़ेगा असर

इस वक्त वैश्विक अनिश्चितता का माहौल है। अमेरिका और जापान जैसी बड़ी इकोनॉमी के सामने मंदी का खतरा है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की भी जीडीपी ग्रोथ आरबीआई के अनुमान से भी कम रही। हालांकि वर्ल्ड बैंक का मानना है कि भारत वैश्विक अस्थिरता के बावजूद तेज विकास दर हासिल करता रहेगा। बस सरकार को कुछ फैक्टर पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 03 Sep 2024 07:12 PM (IST)
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विश्व बैंक ने परोक्ष तौर पर केंद्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन को सही ठहराया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में भी वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है लेकिन इसका कोई खास असर भारतीय इकोनमी पर नहीं पड़ेगा। भारत वर्ष 2024-25 में सात फीसद की आर्थिक विकास दर हासिल करेगा और अगले दो वित्त वर्षों के दौरान भी इसकी आर्थिक विकास दर 6.7 फीसद के करीब रहेगी। यह बात भारतीय इकोनॉमी की ताजी स्थिति पर मंगलवार को विश्व बैंक की तरफ से जारी नई रिपोर्ट में कही गई है।

विश्व बैंक की यह बात सच साबित होती है तो साफ है कि वर्ष 2023-24 में भारत ने 8.2 फीसद की जो विकास दर हासिल की थी वह कम से कम तीन वित्त वर्षों तक हासिल नहीं हो पाएगी। हालांकि विश्व बैंक इसे संतोषप्रद मानता है क्योंकि वैश्विक इकोनमी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहेगी। विश्व बैंक इसे तेज विकास दर मान रहा है और कहता है कि इसके साथ महंगाई को काफी हद तक नीचे ला कर भारत तेजी से गरीबी को दूर करने का काम करेगा।

सरकार का वित्तीय प्रबंधन दुरुस्त

विश्व बैंक की इस रिपोर्ट ने परोक्ष तौर पर केंद्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन को सही ठहराया है। इसने जो आंकड़े दिए हैं वह बताते हैं कि चाहे राजकोषीय घाटे पर काबू पाने का मामला हो या महंगाई को घटाने का हो या कर्ज व जीडीपी के अनुपात को नीचे लाने का हो, सरकार के प्रबंधन का असर दिख रहा है और आने वाले दो-तीन वर्षों में दिखेगा। मसलन, महंगाई की दर चालू वित्त वर्ष में 4.5 फीसद, वर्ष 2025-26 में 4.1 फीसद और वर्ष 2026-27 में 4 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।

सनद रहे कि आरबीआइ ने महंगाई दर को 4 फीसद से नीचे रखने के लक्ष्य के साथ काम करता है। महंगाई को लेकर आरबीआइ का कहना है कि अभी कच्चे तेल की कीमतें स्थिर है इसका फायदा भारत को मिला है लेकिन वैश्विक अनिश्चितता से स्थिति बिगड़ भी सकती है। इसी तरह से जीडीपी के मुकाबले भारत पर कर्ज का अनुपात वर्ष 2021-22 में 84.8 फीसद था जो चालू वित्त वर्ष में घट कर 83.7 फीसद पर आ गई है और अगले दो वर्षों में यह 82 फीसद के करीब हो जाएगा।

बेरोजगारी 6 साल में सबसे कम

रोजगार के बारे में विश्व बैंक ने कहा है कि शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी का स्तर वर्ष 2017-18 के बाद के सबसे न्यूनतम है। हालांकि युवाओं में बेरोजगारी का अनुपात 16.5 फीसद है जो काफी ज्यादा है। रोजगार के बारे में अच्छा संकेत यह है कि शहरी क्षेत्र में हर वर्ग को पहले के मुकाबले ज्यादा अवसर मिल रहे हैं जो बताता है कि देश का शहरी क्षेत्र कोरोना के बाद रोजगार के अवसर तेजी से पैदा करने लगे हैं।

पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान देश की आर्थिक विकास दर को बनाये रखने में केंद्र सरकार की तरफ से पूंजीगत खर्चे को बढ़ाने की अहमियत को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दो वर्षों के दौरान इसमें कमी आने के संकेत है। सरकार के लिए साल दर साल पूंजीगत खर्चे को बढ़ाये रखना संभव नहीं है। लेकिन अब निजी निवेश भी बढ़ने के संकेत हैं। साथ ही अर्थव्यवस्था को घरेलू खपत में वृद्धि और निर्यात में सुधार से फायदा होगा।

किसानों की आय में वृद्धि होने से ग्रामीण क्षेत्र में खपत बढ़ने की बात कही गई है। हाल ही में कुछ दूसरी रिपोर्ट में भी देश में दोपहिया वाहनों की बिक्री में तेजी आने के पीछे ग्रामीण क्षेत्र में मांग में सुधार की बात कही गई है।

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