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Budget 2024: किसने पेश किया था भारत का पहला बजट, कैसे बना था इनकम टैक्स स्लैब?

1857 के क्रांतिकारी विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों को बड़े पैमाने पर धन-बल का इस्तेमाल करना पड़ा। इससे ब्रिटिश हुकूमत का खजाना तकरीबन खाली हो गया। अंग्रेजों ने जनता की नाराजगी कम करने और अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए भारत का अलग से बजट पेश करने का फैसला किया। इसके लिए एक बड़े अर्थशास्त्री को बुलाया गया जो थे जेम्स विल्सन (James Wilson)।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 22 Jul 2024 06:32 PM (IST)
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जेम्स विल्सन के पिता का टोपियां बनाने का कारखाना था।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। साल 1857 की क्रांति कई मायनों में ऐतिहासिक थी। यह पहली दफा था, जब देशभर के क्रांतिकारियों ने एकजुट होकर ब्रिटिश हुकूमत को ललकारा। यह विद्रोह बेशक असफल रहा, लेकिन इसके कई दूरगामी प्रभाव हुए। उन्हीं में से एक था, भारत का अपना बजट और इनकम टैक्स स्लैब।

क्यों पड़ी बजट की जरूरत?

1857 के गदर को दबाने के लिए अंग्रेजों को बड़े पैमाने पर धन-बल का इस्तेमाल करना पड़ा। इसका बोझ सरकारी खजाने पर भी पड़ा। ब्रिटिश हुकूमत ने जनता की नाराजगी कम करने और अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए भारत का अलग से बजट पेश करने का फैसला किया। इसके लिए एक बड़े अर्थशास्त्री को बुलाया गया, जो थे जेम्स विल्सन (James Wilson)।

कौन थे जेम्स विल्सन?

जेम्स विल्सन स्कॉटिश व्यापारी और मशहूर अर्थशास्त्री थे। 3 जून 1805 को जन्मे जेम्स के पुरखे भेड़पालन करते थे। उनके पिता का टोपियां बनाने का कारखाना था। जेम्स ने ही 'द इकोनॉमिस्ट' की नींव रखी थी, जो आज भी दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन समझी जाती है। उन्होंने ही 'चार्टर्ड बैंक ऑफ इंडिया, ऑस्ट्रेलिया और चाइना' की स्थापना की थी।

जेम्स विल्सन मुक्त व्यापार के हिमायती थी। जर्मन दार्शनिक और अर्थशास्त्री कार्ल मार्क्स (Karl Marx) भी जेम्स को तमाम अर्थशास्त्रियों के बीच बड़ा ऊंचा दर्जा देते थे। जेम्स को 1857 की क्रांति के बाद भेजा गया और वह इंडियन काउंसिल के वित्‍त सदस्‍य बने। उनका काम भारत के वायसराय को मशविरा देना था, जिसके हाथ में उस समय देश की कमान होती थी।

कब पेश हुआ पहला बजट?

1857 विद्रोह के बाद भारत की शासन प्रणाली में आमूलचूल बदलाव हुए। ब्रिटिश क्राउन ने भारतीय प्रशासन की जिम्मेदारी ईस्ट इंडिया कंपनी से खुद ले ली। इसका मतलब कि भारत का प्रशासन पूरी तरह से ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के अधीन हो गया। उन्होंने 7 अप्रैल, 1860 को पहली बार भारत का बजट पेश करवाया और बजट पेश करने वाले शख्स थे, पहले फाइनेंस मेंबर जेम्स विल्सन।

विल्सन ने क्या 'सुधार' किए?

इतिहासकार सब्यसाची भट्टाचार्य ने अपनी किताब- द फाइनेंशियल फाउंडेशन ऑफ द ब्रिटिश राज में लिखा है कि ब्रिटिश हुकूमत डायरेक्ट टैक्स लागू करने पर विचार कर रही थी, लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। ऐसे में उनकी मुश्किल आसान की जेम्स विल्सन ने। विल्सन ने दो नए विधेयक पेश किए, आयकर और लाइसेंस कर। जेम्स विल्सन ने एलान किया कि 200 रुपये से कम सालाना आय वाले लोगों को टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी।

इनकम टैक्स की शुरुआत के बाद काफी विवाद खड़ा हो गया। खासकर, जमींदारों और व्यापारियों को इस पर एतराज था। हालांकि, विल्सन ने दलील दी कि ब्रिटिश हुकूमत भारतीयों को व्यापार का सुरक्षित माहौल दे रही है और उसके बदले में टैक्स बस मामूली सी फीस है। जेम्स विल्सन ने मासिक व्यय खातों की निगरानी के लिए अंग्रेजी मॉडल पर आधारित विनियोग लेखा परीक्षा भी शुरू की। उन्होंने देश में कागज की करेंसी का चलन भी शुरू किया।

कैसा था पहला टैक्स स्लैब?

जेम्स विल्सन ने भारत में इनकम को चार हिस्सों में बांटा था। प्रॉपर्टी, व्यापार, सिक्योरिटीज और सैलरी व पेंशन से कमाई। हर कैटेगरी में 500 रुपये से कम सालाना आमदनी वालों को 2 फीसदी टैक्स देना पड़ता था। वहीं, 500 से अधिक आमदनी वाले लोगों को 4 फीसदी टैक्स देना होता था। इसका मतलब कि 500 रुपये तक की आय पर 10 रुपये और इससे अधिक पर 20 रुपये टैक्स लगता था। 200 रुपये तक की सालाना कमाई टैक्स फ्री थी।

पेचिश से हुई विल्सन की मौत

जेम्स विल्सन का बजट पेश करने के कुछ ही दिनों बाद निधन हो गया। उस वक्त गर्मियों का सीजन था। विल्सन को भारत की उमस भरी गर्मी की आदत नहीं थी। फिर भी उन्होंने कोलकाता छोड़ने से मना कर दिया। वह पेचिश के शिकार हो गए और उसी साल अगस्त में उनका इंतकाल हो गया, 55 साल की उम्र में।

विल्सन ने ब्रिटिश सरकार को इनकम टैक्स और लाइसेंस टैक्स जैसे व्यवस्थित कमाई के साधन दिए थे। वह नामी अर्थशास्त्री भी थे। लेकिन, उन्हें कोलकाता के मलिक बाजार के एक कब्रिस्तान में गुमनाम तरीके से दफना दिया गया। उनकी कब्र की खोज 2007 में आयकर के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सीपी भाटिया ने की। वह भारत के टैक्स इतिहास पर किताब लिखने के सिलसिले में रिसर्च कर रहे थे। उनकी कोशिशों के बाद Christian Burial Board ने कब्र पर पत्थर वापस लगवाया।

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